धर्म और संस्कृति

क्या भारत अमीर मंदिरों वाला गरीब देश है?

भारत के अमीर मंदिरों में आज भी अकूत धन-सम्पदा है, लेकिन फिर भी भारत एक गरीब देश है. क्यों है ये गंभीर असमानता? जानिये इस लेख में.

 

क्या भारत अमीर मंदिरों वाला गरीब देश है?

कल मैं अपने एक मित्र ‘सुरेश’ के साथ इस बात पर बहस कर रही थी कि भारत एक गरीब देश नहीं है. सुरेश  का मत विपरीत था और उसने अपनी बात के समर्थन में वर्ल्ड बैंक की उस रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें वर्ल्ड बैंक ने भारत को निम्न मध्य आय वाला देश माना है.

उनके अनुसार जिस देश की प्रति व्यक्ति आय 1000 से 4000 डॉलर के बीच होगी उस देश को निम्न मध्य आय वाला देश कहा जाएगा और भारत की इस समय प्रति व्यक्ति आय 1586 डॉलर है.

मैंने हँसते हुए उसकी बात को काटते हुए कहा कि इसी निम्न मध्य आय वाले देश के भगवान के घर सोने से भरे पड़े हैं. इस समय भारत के 100 प्रमुख मंदिरों में क़रीब 3,600 अरब रुपए का सोना भरा हुआ है. शायद इतना सोना तो हमारे रिजर्व बैंक के पास भी नहीं होगा. मेरे मित्र को मेरी बात कोरी गप्प लगी तो मैंने उसे ये तथ्य गिनाये-

 

1. तिरुपति बालाजी

आंध्र प्रदेश  तिरुपति बालाजी के मंदिर का सालाना बजट लगभग 2600 करोड़ है. यहां लगभग 1000 करोड़ हुंडी के चढ़ावे से और ब्याज से 8000 करोड़ रुपए की आय होती है. इसके साथ दूसरे स्त्रोतों से 600 करोड़ की आय होती है. बहुत सारे बैंकों में मंदिर का करीब 3000 किलो सोना जमा है और  मंदिर के पास 1000 करोड़ रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट भी हैं.

 

2. पद्मनाभ स्वामी मंदिर

केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर में कई क्विंटल हीरे-जवाहरात हैं और 1300 टन सोना है। इसलिए इसे देश का सबसे अमीर मंदिर भी कहा जाता है.

 

3. मीनाक्षी अम्मन मंदिर

तमिलनाडु में मदुरै शहर में स्थित मीनाक्षी अम्मन मंदिर भारत के प्राचीनतम और महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है. इस मंदिर में हर साल लगभग 6 करोड़ की नकदी और करोड़ों के जेवरात चढ़ाए जाते हैं.

 

4. सिद्धि विनायक मंदिर

मुंबई स्थित सिद्धिविनायक मंदिर के पास 160 टन सोना जमा है और स्वर्ण मौद्रीकरण योजना के तहत यह मंदिर 44 किलो सोना बैंक में जमा कर चुका है. हर साल इस मंदिर में चढ़ावे के लगभग 50 करोड़ रुपये आते हैं और इसके फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में 125 करोड़ रुपए जमा है. इसी कारण यह मंदिर महाराष्ट्र का दूसरा सबसे अमीर मंदिर कहलाता हैं.

 

5. शिरडी का साईं मंदिर

महाराष्ट्र के सबसे अमीर मंदिरों में शिरडी स्थित साईं बाबा के मंदिर का नाम सबसे ऊपर आता है. इस मंदिर की संपत्ति और आय दोनों ही अरबों में है और फिलहाल अनुमान से बाहर है. इस मंदिर में 360 किलो का सोना है और दान के रूप में लगभग 350 करोड़ रुपए हर साल आते हैं. इस मंदिर के ट्रस्ट ने 450 करोड़ रुपये का निवेश किया हुआ है.

 

6. सोमनाथ मंदिर

गुजरात के सोमनाथ मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है जिसके अनुसार राजा चन्द्र्देव ने इसका निर्माण करवाया था और विभिन्न आक्रमणों में 17 बार यह मंदिर नष्ट हुआ था. भारत के 12 ज्योतिलिंगों में से इसे प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है. संपत्ति की दृष्टि से यहाँ 35 किलो सोना है.

 

7. श्री जगन्नाथ मंदिर

श्री जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) जी को समर्पित पुरी स्थित यह मंदिर वैष्णव संप्रदाय का है. इस मंदिर की संपत्ति 2500 करोड़ से भी ज्यादा है.

 

8. वैष्णो देवी मंदिर

हिन्दू धर्म का सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से एक वैष्णो देवी का मंदिर है. जम्मू-कश्मीर के कटरा स्थित इसके निर्माण काल का अनुमान लगाना कठिन है. कुछ लोगों के मत के अनुसार यह स्वनिर्मित मंदिर है. एक अनुमान के अनुसार इस मंदिर के पास 1.2 टन सोना है. मंदिर की सालाना आय 500 करोड़ रुपए है. तिरुपति बालाजी मंदिर के बाद देश में सबसे ज्यादा भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं.

 

9. गुरुव्युर मंदिर 

लगभग 5000 साल पुराना यह मंदिर केरल में स्थित है और विष्णु भगवान का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है. अपने अकूत खजाने के कारण इसकी गिनती भारत के 10 अमीर मंदिरों में की जाती है.

 

10. काशी विश्वनाथ मंदिर

बारह ज्योतिर्लिंगों में से काशी विश्वनाथ जी का मंदिर को भी एक ज्योतिर्लिंग माना जाता है. बनारस में स्थित यह मंदिर हिन्दू धर्म में एक विशिष्ट स्थान रखता है. महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा 1780 में इस मंदिर का निर्माण करवाया गया और 1853 में महाराजा रंजीत सिंह द्वारा इसका उद्धार करवाया गया. उस समय इस मंदिर के निर्माण में 1000 कि.ग्रा. शुद्ध सोने का प्रयोग किया गया था. इस मंदिर की प्रसद्धि के कारण यहाँ चढ़ावा बहुत आता है और इसीलिए इसकी गिनती अमीर मंदिरों में होती है.

इतने प्रमाण देने के बाद मैंने सुरेश को जीत की नज़रों से देखा, लेकिन सुरेश ने हार न मानते हुए एक घटना का जिक्र किया और कहा की कल जब वो मंदिर गया तो वहाँ एक व्यक्ति पूजा करने के बाद दान पात्र में 100 रुपए डाल गया और बाहर एक गरीब परिवार जो शायद भूखा भी था, उनको सुरेश ने थमा दी एक अट्ठनी.

ईश्वर को पैसे की नहीं, हमारी श्रद्धा की लालसा है – वो तो सुरेश की अट्ठनी में ही प्रसन्न हो जाते. लेकिन वो सौ रुपये का नोट उस गरीब परिवार के लिए कुछ दिनों के भोजन का स्त्रोत हो जाता.

आए दिन हम अखबारों में भुखमरी से मरने वालों की संख्या आती रहती है, जो धन संपत्ति मंदिर के दान पात्र में डाली जाती है, अगर उसका छोटा सा हिस्सा भी ऐसी जगह लगा दिया जाए जहां इसकी मंदिर से ज्यादा जरूरत है, तो क्या यह सच्चा दान नहीं होगा?

मंदिरों की संपत्ति देखकर यही लगता है कि ये मंदिर धर्मकर्म की दुकान बन गए हैं जिसका फायदा उसके ट्रस्ट के लोग ही उठाते हैं. जहां देश की लगभग 80 प्रतिशत जनता बुनियादी सुविधाओं से भी महरूम है वहीं मंदिरों के ट्रस्ट के लोग कुबेर के अवतार बने हुए हैं. अब मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं था क्योंकि सुरेश की बातों में वाकई दम था.

अब आप ही फैसला करें कि भारत को अमीर देश कहा जाए क्योंकि यहाँ भगवान के पास अकूत स्वर्ण भंडार है या गरीब देश जिसके एक आम आदमी के पास अपना जीवन बिताने के लायक भी धन नहीं है. 

 

Charu Dev

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