ज़्यादातर भारतीय परिवार आज भी एक पुरुष सदस्य की आय पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में यदि किसी कारण उस पुरुष का अचानक देहांत हो जाये, या किसी दुर्घटना का शिकार हो वो अपंग हो जाये और कमाने की स्तिथि में न रहे तो उसका परिवार बिखर जाता है।
ऐसी स्तिथियों में जीवन बीमा एक वरदान की तरह साबित होता है। भारतीय जीवन बीमा निगम ने ऐसे हज़ारों परिवारों को बिखरने से बचाया है। मृत्यु के बाद या फिर अपाहिज होने पर जमा की गयी राशि मृतक के परिजनों को अदा कर दी जाती है।
जीवन बीमा एक कॉन्ट्रैक्ट होता है जो कि इनश्योरेंस पोलिसी होल्डर और इंश्योरर के बीच में होता है। जीवन बीमा में इंश्योर्ड व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर या अपाहिज होने की स्तिथि में इंश्योरर एक निर्धारित रकम प्रदान करता है। कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर बिमारी में भी एक निर्धारित रकम पोलिसी होल्डर को प्रदान की जाती है।
जीवन पर आधारित कॉन्ट्रैक्ट्स दो प्रकार के होते हैं:
1. प्रोटेक्शन पॉलिसीज
ऐसी पोलिसी में लम्प सम यानी कि एक मुस्त पेमेंट प्रदान की जाती है।
२. इन्वेस्टमेंट पोलिसी
इस पोलिसी का मुख्य उद्देश्य रेगुलर या फिर सिंगल प्रीमियम के ज़रिये पोलिसी होल्डर को रकम प्रदान करना होता है।
लाइफ इनश्योरेंस या जीवन बीमा कई प्रकार के होते हैं-
१.टर्म इनश्योरेंस
देखा जाये तो टर्म इनश्योरेंस सबसे किफायती बीमा होता है और इसमें ज्यादा पैसे निवेश करने की ज़रूरत नहीं होती। पोलिसी होल्डर की मृत्यु होने पर एक निर्धारित राशि उसके परिवार वालों को दे दी जाती है। लेकिन अगर पोलिसी होल्डर जीवित है तो किसी तरह की राशि उसे प्रदान नहीं की जाती।
3. एंडोमेंट प्लान
एंडोमेंट प्लान टर्म इनश्योरेंस से काफी अलग होता है और इसकी सबसे अच्छी बात यह होती है की पोलिसी ख़त्म होने के बाद भी जमा की गयी राशि के साथ बोनस को जोड़ कर पोलिसी होल्डर को एक निर्धारित रकम प्रदान की जाती है।
4. यूलिप( यूनिट लिंक्ड इंशोरेंस प्लान्स)
इस पोलिसी में प्रीमियम भरना होता है, और पोलिसी होल्डर अपनी इच्छा अनुसार निवेश करता है।
5. मनी बैक पोलिसी
इस पोलिसी में जो प्रीमियम भरा जाता है उसमें से एक निश्चित राशि पोलिसी होल्डर को दी जाती है, और पोलिसी ख़त्म होने के बाद बची हुई रकम में बोनस जोड़ कर पोलिसी होल्डर को प्रदान कर दी जाती है।
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