कहा जाता है कि इस दुनिया में आठ लोगों को अमरता का वरदान प्राप्त है और रामभक्त हनुमान उन्हीं में से एक हैं,क्या हैं उनकी अमरता के प्रमाण जानिए इस लेख में.
हनुमान जी भगवान शिव के आठ अवतारों में से एक हैं. हनुमान का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुदर्शी के दिन हुआ था. ऐसा उल्लेख मिलता है कि भगवान राम त्रेतायुग में धर्म की स्थापना कर के अपने लोक चले गए थे पर हनुमान को धर्म की रक्षा के लिए अमर होने का वरदान दे कर गये थे और इसी वरदान के कारण वो आज भी जीवित हैं. उनके जीवित होने के समय-समय पर कई प्रमाण मिलते रहते हैं, उनमे से कुछ इस प्रकार हैं-
शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि आज भी रामायण और महाभारत काल के कुछ लोग धरती पर जीवित हैं क्योंकि उन्हें चिरंजीवी होने का वरदान मिला था. हनुमान जी भी उन्हीं में से एक हैं. कवि श्री तुलसीदास ने भी अपनी किताब में इसके बारे में बताया है कि कलयुग में हनुमान मौजूद हैं. उनका यह भी कहना था कि हनुमान जी की कृपा से ही उन्हें भगवान राम के दर्शन हुए थे.
बंदरों को हनुमान जी का ही रूप माना जाता है. विद्वान इस बात को सिर्फ संयोग नहीं मानते हैं कि हर हनुमान मंदिर के बाहर बंदरों का जमवाड़ा रहता हैं. चाहे वो मंदिर बड़ा हो या छोटा. बंदर इन मंदिरों में ही रहते हैं और यह दृश्य सदियों से देखने को मिल रहा है. यह संयोग मात्र तो नहीं हो सकता. कई लोग तो मानते हैं कि हनुमान जी इन्हीं बंदरों के रूप में लोगों को दर्शन देते हैं.
कहा जाता है कि जहाँ भी भगवान् राम का नाम लिया जाता है या उनके नाम की पूजा की जाती है, उस जगह पर हनुमान ज़रूर आते हैं. इस बात के कई गवाह और साक्ष्य भी मौजूद हैं. हनुमान राम भक्तों से बेहद प्यार करते हैं और हमेशा उनके आसपास रहते हैं. श्रीमद् भागवत में भी इस बात का वर्णन आता है जिसके अनुसार ” कलियुग में जहां-जहां भगवान श्रीराम की कथा-कीर्तन इत्यादि होते हैं, हनुमानजी गुप्त रूप से वहां विराजमान रहते हैं.”
हनुमान के बारे में हरेक कहानी और घटना का जिक्र वेदों व ग्रंथों में मिलता हैं पर हनुमान की मृत्यु का उल्लेख कहीं नहीं हैं. उनके जन्म, पालन पोषण से लेकर लंका कांड और उसके बाद का पूरा ज्ञान विद्वानों को हैं या लिखित रूप में मौजूद है पर जब बात हनुमान की मृत्यु की आती है तो सब इस बात पर एकमत हैं कि हनुमान को अमरता का वरदान प्राप्त है.
एक वेबसाइट के अनुसार हनुमान जी हर 41 साल के बाद श्रीलंका के जंगलों में रहने वाले आदिवासियों से मिलने आते हैं. इस वेबसाइट ने यह भी दावा किया हैं कि 27 मई 2014 को हनुमान जी श्रीलंका में मातंग आदिवासियों के साथ थे.
अगर इन साक्ष्यों या गवाहों की बात मान ली जायें तो लगता है कि हनुमान जी आज भी जीवित हैं. यह बात भी श्रद्धा और आस्था से जुडी हुई है यानी अगर आपको हनुमान जी पर आस्था है तो आप ज़रूर इन बातों को सच मानेंगे क्योंकि विश्वास पर ही यह दुनिया कायम है.
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