Categories: Uncategorized @hi

आयरन की मात्रा ज्यादा बढ़ जाने से किन बिमारियों का खतरा होता है?

यह बात सभी जानते है की शरीर में आयरन का होना बहुत ही जरुरी होता है  – यह हमारे खून में प्रवाहित होकर हमारे सारे शरीर को ऑक्सीजन पहुँचता है। लेकिन वह कहते है न कि “अति सर्वत्र वर्जयते ” किसी भी चीज की अति अर्थात ज्यादा मात्रा में होना खतरनाक हो सकता है। वैसे ही आयरन यानि लोह तत्व का हमारे शरीर में ज्यादा अधिक मात्रा में होना भी बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। यह बात चौकाने वाली जरूर है लेकिन यह शत-प्रतिशत सत्य है।

‘हीमोक्रोमेटोसिस’ ( Haemochromatosis)अर्थात रक्त वर्णकता एक ऐसी बीमारी है जो शरीर में ज्यादा आयरन की मात्रा से होने लगती है। साधारण तौर पर तो यह देखा गया है की यह बीमारी  वंशाणु (gene) के द्वारा शरीर में प्रवेश लेती है जिसका सीधा सरल अर्थ यह है कि यह बीमारी अगर परिवार में किसी को है तो आपको भी होने की सम्भावना  है। ज्यादातर यह देखा गया है कि अगर माता और पिता दोनों के वंशाणु द्वारा यह बच्चे में जाती है तो ही यह बीमारी उत्पन्न होती है। बॉडी में ज्यादा आयरन इसे जनम देती है।

हमारे पूरे शरीर में ४ ग्राम आयरन की मात्रा होती है जिसमे से हमारी बॉडी को सिर्फ २ ग्राम आयरन की आवश्यकता है। हमारी आंते सिर्फ १० प्रतिशत आयरन को ही ग्रहण कर पाती है। लेकिन जैसे ही शरीर में आयरन की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है तो आंते भी ज्यादा मात्रा में इसे पचाना शुरू कर देती है। अब जब यह ज्यादा हुई मात्रा शरीर में पहुँचती है, तो यह शरीर में खर्च नहीं हो पाती है जो कि शरीर के विभिन्न अंगो में जाकर जमा होने लगती है।

ज्यादातर यह आयरन ह्रदय, यकृत, जोड़ो में जाकर जमा हो जाता है। अलग-अलग अंगो में आयरन की मात्रा विभिन्न प्रतिशत में बढ़ने लगती है। जैसे अगर ह्रदय की बात करे तो वहां पर १० से १५ गुना तक आयरन की मात्रा बढ़ जाती है , थायरॉइड ग्लैंड में तो २० से २५ गुना तक की बढ़ोतरी देखी गयी है।

इस बढ़ोतरी के कारण शरीर में अलग-अलग तकलीफें जनम लेने लगती है। जैसे की, सबसे पहले तो डायबिटीज की शिकायत का खतरा हो सकता है। शरीर का रंग बदलकर भूरा होने लगता है। यकृत सिरोसिस भी इसी कारन जन्म लेता है जो बाद में कैंसर का रूप धारण कर लेता है। अगर ह्रदय में आयरन की मात्रा ज्यादा हो जाये तो धड़कन बंद होने का खतरा भी अधिक हो जाता है।

यह बीमारी अधिकतर पुरुषो में ज्यादा देखी गयी है, लेकिन महिलाओ में रजोनिवृत्ति (menopause) के बाद इसके होने की सम्भावना अधिक होती है।

Jasvinder Kaur Reen

Recent Posts

चेहरे पर होने वाले छोटे-छोटे पिंपल्स को ठीक करने के घरेलू उपाय

खूबसूरत और चमकता चेहरा पाने की ख्वाहिश तो हर किसी की होती है लेकिन चेहरे…

2 वर्ष ago

मेथी से बनी हुई नाइट एंटी-एजिंग क्रीम – क्रीम एक, फायदे अनेक

मेथी एक ऐसी चीज़ है जो दिखने में छोटी होती है पर इसके हज़ारों फायदे…

2 वर्ष ago

कुणाल कपूर के अंदाज में बनी लजीज रेसिपी नवरत्न पुलाव रेसिपी

यूं तो नवरत्न अकबर के दरबार में मौजूद उन लोगों का समूह था, जो अकबर…

2 वर्ष ago

सर्दियों के लिए ख़ास चुने हुए डार्क कलर सूट के लेटेस्ट डिज़ाइन

वैसे तो गहरे और चटकदार रंग के कपडे किसी भी मौसम में बढ़िया ही लगते…

2 वर्ष ago

सर्दियों में डैंड्रफ की समस्या से बचने के असरदार टिप्स

डैंड्रफ एक ऐसी समस्या है जो आपके बालों को तो कमज़ोर बनाती ही है, साथ…

2 वर्ष ago

इंस्टेंट ग्लो के लिए टॉप 3 होममेड चावल फेस पैक

हमारी त्वचा बहुत ही नाजुक होती है। यदि इसकी सही तरह से देखभाल नहीं की…

2 वर्ष ago