क्या आप जानते हैं कि मशहूर गायक और संगीतकार तानसेन और पंडित जसराज के सधे हुए और सुरीले गले का राज क्या है? वो राज है – इमली के पेड़ के पत्ते। ग्वालियर में 500 वर्ष पुराना इमली का वह मशहूर इमली का पेड़, जिसके पत्तों ने न जाने कितने सुरीले गायक इस समाज को दिये, आज भी संगीत समाज का मंदिर है।
भारतीय खाना जब तक चटपटा-मसालेदर ना हो,स्वाद नहीं आता है। इमली का प्रयोग करके भारतीय व्यंजनों को खूब खट्टा बनाया जाता है। दक्षिण भारत के अधिकतर व्यंजन, बिना इमली के अधूरे हैं। इडली-सांभर हो या, दाल, सब्जी, मीट, चिकन बनाना हो, खाने को विशेष स्वाद देने के लिए इमली का ही इस्तेमाल किया जाता है। इमली की चटनी तो सब्जी को स्वादिष्ट बनाने के लिए भारत के लगभग हर घर में ही पसंद की जाती है और गोल-गप्पों का स्वाद तो बिना इमली के पानी के आता ही नहीं है।
इमली में विटामिन बी, सी, फाइबर, ज़िंक, पोटेशियम, मेग्नीशियम आदि न्यूट्रिशियन पर्याप्त मात्रा में होते हैं। नीम की भांति इमली के पेड़ का हर भाग औषधीय गुणों से भरपूर होता है-
इमली के पत्तों की चटनी से पेट का खराब हाजमा ठीक हो जाता है और बंद भूख भी खुल जाती है।
कब्ज को दूर करने में इमली का शर्बत बहुत फायदेमंद होता है।
गर्मी के मौसम में लू लगने पर पुदीने और इमली के शर्बत में नमक, जीरा और चीनी पीसकर पीने की सलाह दी जाती है।
पुराने से पुराना जोड़ों का दर्द भी नियमित रूप से इमली खाने से दूर हो जाता है।
खाना खाने के बाद थोड़ी सी इमली का सेवन करने से मुंह से दुर्गंध भी नहीं आती और मुंह अंदर से साफ भी हो जाता है।
इमली के पत्ते सूजन दूर करने में भी मदद करते हैं। इमली के गूदे को अगर हड्डी की मोच वाली जगह पर 4-4 घंटे के अंतर पर लगा दिया जाए तो मोच में आराम आ जाता है।
कॉलेस्ट्रॉल कम करने में भी इमली को मददगार माना जाता है।
गले की खराश को इमली की पत्तियों के पानी से दूर किया जा सकता है।
वजन कम करने में भी इमली का अच्छा इस्तेमाल किया जाता है। इसमें उपलब्ध हाइड्रो-ऑक्साइट्रिक एसिड, शरीर की वसा को कम करने में सहायक होता है।
आँखों में दर्द या जलन होने पर इमली के रस को थोड़े से दूध के साथ मिलाकर लगाने से तुरंत आराम मिलता है।
इमली के बीज को नींबू के रस में पीसकर लगाने से खाज-खुजली की परेशानी दूर होती है।
इमली का सेवन हृदय के लिए भी लाभकारी होता है। पोटेशियम की मात्रा होने के कारण इमली ब्लड प्रेशर को नियमित रखती है ।
इमली के एंटी-ऑक्सीडेंट्स, फ्री रेडिकल्स को नियंत्रित रखते हैं।
इनके अलावा और भी बहुत सारे रोग और परेशानियाँ हैं जिनमें इमली या इसके विभिन्न भाग काफ़ी कारगर साबित होते हैं, जो इसे सेहत के लिए मिश्री समान बना देते हैं।
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