“उफ़ काबेरी, आज फिर से तुमने पिज़्ज़ा और गार्लिक ब्रेड ऑर्डर कर दिया। हर वीकेंड तुम्हारा यह जंक फूड खा खाकर पच गया हूं मैं। यह तो कभी नहीं होता कि घर पर ही कुछ गरमा गरम टेस्टी पकौड़ी वकौड़ी, टिक्की कटलेट बना लो। तुम्हें तो बस यह बाहर का विदेशी खाना ही रास आता है।”
“तो बुराई क्या है इस विदेशी खाने में चहक? इतना टेस्टी तो होता है। कौन सा रोज रोज ऑर्डर करती हूं? पूरे हफ्ते सब्जी दाल रोटी खा खा कर ऊब जाती हूं। अब वीक मैं 1 दिन जायका बदलने के लिए कुछ बाहर से मंगवा लिया तो क्या आसमान टूट पड़ा? कालेज लाइफ में तो आए दिन हम बाहर खाते थे।”
“आज महीने का पांचवा शनिवार है। महीने भर में अभी तक पांच हज़ार तो तुम्हारे इस पिज़्ज़ा और गार्लिक ब्रेड में ठुक गए। फिर हर संडे की शाम को तुम रेस्त्रां में खाने की जिद करती हो। पॉकेट तो मेरी ही ढीली होती है ना। इस महीने दीदी आने वाली हैं। उन्हें 10,000 की गिफ्ट देनी होगी। तुम तो जरा घर देखकर नहीं चलती। मुसीबत तो मेरी आती है ना।”
अपने बगल वाले फ्लैट से शर्मा दंपत्ति की यह तुर्श नोंक झोंक की आवाज हवा में तैरती मुझ तक पहुंची थी। सुनकर मुझे बेहद मजा आ रहा था। दोनों योद्धा ताल ठोक कर जोर शोर से चिल्लाते हुए मैदान में डटे हुए थे। मैं बड़ी अधीरता से प्रतीक्षा कर रही थी ऊंट किस करवट बैठेगा।
तभी काबेरी की आवाज आई,”अच्छा अच्छा, कल संडे है ना, कल रेस्त्रां नहीं जाएंगे। मैं घर पर ही छोले टिक्की बना लूंगी। चलो अब तो गुस्सा थूक दो। और हां, अगले महीने दीदी के आने तक नो रेस्त्रां एंड नो पिज़्ज़ा और गार्लिक ब्रेड। दीदी जीजाजी को देने के लिए मेरे पास बढ़िया गिफ्ट्स भी रखी हैं। तुम्हारी तो फिजूल में टेंशन लेने की आदत है। अपनी परेशानी मुझसे शेयर करोगे नहीं, खुद घुटते रहोगे भीतर ही भीतर। यू फ़िक्र मत किया करो चहक, अब 35 से ऊपर हो चले हो। ब्लड प्रेशर होते देर नहीं लगेगी।”
“मोहतरमा मुझसे पहले तो यह ब्लड प्रेशर आपको पकड़ेगा, हर वीक इतना जंक फूड जो खाती हो।”
“जनाब मैं रोज जिमिंग करती हूं एक घंटा। तुम ही ऑफिस में पूरे दिन बैठे रहते हो। प्लीज चहक, मेरी बात को सीरियसली लो। शाम को मेरे साथ चला करो ना जिम। वहां अकेले-अकेले जाना मुझे तनिक भी अच्छा नहीं लगता, सच कहती हूं।
चलो तुम डाइनिंग टेबल पर बैठो, मैं स्मूदी बनाकर लाती हूं।”
“अरे फ्रूट्स और वेजीस यहीं ले आओ, मैं काट दूंगा। तुम किचन समेट दो। पिज़्ज़ा खाकर थोड़ा रेस्ट करेंगे, फिर हम दोनों जिम चलेंगे।”
“सच चहक, तुम भी चलोगे मेरे साथ? ओह, आइ ऐम सो हैपी। मैं स्मूदी 5 मिनट में बना कर लाई। तुम रेस्ट करो। पूरे वीक इतना बिजी रहते हो। दम मारने की फुर्सत नहीं मिलती तुम्हें रोजाना में।”
तो देखा आपने, काबेरी और चहक, दोनों की मैच्योरिटी और समझदारी से उनके घर में महाभारत होते होते रह गया और उनका विवाद बखूबी परस्पर स्नेह भाव और केयरिंग के जज्बे के साथ बिना किसी कड़वाहट के कितने पॉजिटिव मोड़ पर खत्म हुआ।
विवाह बंधन में बंधे पति पत्नी भिन्न पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं। अतः उनकी आदतें, विचारधारा, सोच, जीवन के प्रति नजरिए और जीवन मूल्यों में बहुत अंतर होता है। इसी कारण उनके मध्य कभी मामूली तो कभी किसी महत्वपूर्ण बात पर मतभेद होते रहते हैं।
वैवाहिक जीवन मैं मतभेद होना असामान्य नहीं। अपने पार्टनर के साथ कभी कभार किसी मुद्दे पर विवाद का अर्थ यह कदापि नहीं है कि आपके साथ सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। आप दोनों किस तरह से अपने विवादों को हैंडल करते हैं, यह आपके सुखद वैवाहिक जीवन की सफलता का राज है।
जब भी आप दोनों किसी विवाद में उलझें, इस बात को नजरंदाज न करें कि आप दोनों का रिश्ता वह इकलौता रिश्ता है जो परस्पर प्रेम एवं समर्पण की नींव पर आधारित है। अतः किसी भी परस्पर टकराव की स्थिति आने पर भी इस अनूठे जज़्बे को भरसक कायम रखें और अपने रिश्ते में परस्पर परवाह, एवं केयरिंग जैसी पॉजिटिव भावनाओं को सर्वोपरि रखते हुए खुले मन से बातचीत से टकराव को भरसक टालने का प्रयास करें।
जितना हो सके, किसी भी विवादास्पद स्थिति को अवॉइड करें। याद रखें, खुश रहना हमारा अल्टीमेट मोटिव होना चाहिए। जब भी किसी भी मसले पर मनमुटाव या मतभेद की स्थिति आए और आप विवाद की दिशा में अपने कदम आगे बढ़ाएं, याद रखें विवाद में उलझाव किसी भी पक्ष को मानसिक संतुष्टि या शांति नहीं देता। अतएव विवाद को भरसक अवाएड कर खुशियों को चुनने का प्रयास करें।
पति पत्नी का एक दूसरे के प्रति समझौतावादी रवैया अमूमन उनके मध्य अनेक समस्याओं का हल कर देता है। दांपत्य जीवन में विभिन्न विवादास्पद मुद्दों पर पति पत्नी को एक दूसरे के नजरिए को समान महत्व देते हुए उन्हें बारी-बारी से कार्यान्वित करना चाहिए। पति यदि सप्ताहांत में किसी ढाबे में खाना चाहते हैं और आप किसी रेस्त्रां में तो, 1 सप्ताह उनकी पसंद के ढाबे में जाएं दूसरे सप्ताहांत अपनी पसंद के रेस्त्रां जाएं।
किसी भी विवादास्पद मसले पर अपने पति के दृष्टिकोण को समझने एवं स्वीकारने का प्रयत्न करें। इसके लिए आपको अपने पार्टनर के दृष्टिकोण को उनकी तरह से यानी एंपैथी के साथ स्वीकारना होगा।
यदि विवाह के बाद आप बच्चा शीघ्र चाहती हैं लेकिन आपके पति कुछ वर्षों बाद चाहते हैं तो उनके नजरिए के मूल में छिपे कारणों को समानुभूतिपूर्वक समझने का प्रयास करें। इस तरह आप निश्चित ही विवाद के हल की दिशा में अपने कदम आगे बढ़ाऐंगी।
यह व्यवहार आपके पति को क्रोधित और उत्तेजित कर सकता है। अनावश्यक कटुता को जन्म दे सकता है। इसके स्थान पर उन्हें उनके रवैये से अपनी परेशान मनःस्थिति और उससे जन्मी नेगेटिव फीलिंग्स से अवगत कराएं। सीधे-सीधे “आप हमेशा माँजी का पक्ष लेते हैं। आपकी निगाहों में मेरी कोई इंपोर्टेन्स नहीं” के बदले यह कहना बेहतर होगा, “बिना पूरी बात की तह तक गए माँजी का पक्ष लेना मुझे बेहद आहत और डिप्रेस करता है।
तो इस प्रकार आप शादीशुदा जिंदगी में पति के साथ टकराव की स्थिति से उबरते हुए एक खुशहाल जिंदगी बिता सकती है।
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Excellent write up.. V practical and apt
Lovely article dealing on these major conflicts of life.... Choti baatein but often missed in our day to day conflicts... Kudos to the writer for having dealt beautifully with a topic as sensitive as this
Well written
Bahut hi smart ways to avoid daily conflicts Even it is important in every relationship