क्रोध एक प्राकृतिक भावना है जिसे अमूमन हर बच्चा अनुभव करता है। बस जहां कुछ बच्चे इस भावना को उग्रता से प्रदर्शित करते हैं, वहीं कुछ बच्चे हल्का-फुल्का गुस्सा करके रह जाते हैं। यहां हम उन बच्चों की बात कर रहे हैं जो अत्यधिक क्रोध करते हैं और इसके अतिरेक में चीखते चिल्लाते हैं, सामने वाले को अपशब्द कहने लगते हैं, उन पर हाथ उठाते हैं, पैर पटकते हैं, जमीन पर लोट जाते हैं, लतियाते हैं, चीजें फेंकने लगते हैं या फिर चीजें तोड़ने लगते हैं।
तो आइए हम आज आपको बताते हैं, आप अपने गुस्सैल बच्चे की आक्रामक क्रोध की आदत को कैसे छुड़ा सकती हैं।
कठिन परिस्थिति में भी कभी अपना आपा न खोएं। अपने उदाहरण से बच्चे को अपना गुस्सा काबू में करने का सबक सिखाएं।
उदाहरण के लिए मान लीजिए, आपके यहां रात के खाने पर मेहमान आने वाले हैं और तभी आपकी नौकरानी का फोन आ जाता है कि वह आज छुट्टी पर रहेगी। इस स्थिति में क्रोधित हो आवेश में आकर चिल्लाना शुरू न कर दें। वरन इस परिस्थिति में अपने बच्चे को क्रोध काबू में करने का व्यवहारिक पाठ पढ़ाएं। पूरी शांति और तसल्ली से बच्चे से कहें, “मुझे नौकरानी पर बहुत गुस्सा आ रहा है। इसलिए मैं गुस्सा शांत करने के लिए थोड़ी देर चहल कदमी करके आती हूं।”
यकीन मानिए आप की देखा देखी आपका बच्चा भी गुस्सा आने पर आप का उदाहरण अमल में लाएगा क्योंकि यह एक तथ्य है कि बच्चे हर कदम पर बड़ों का अनुकरण करते हैं।
बच्चे के गुस्सा करने पर, गुस्से में चीखने चिल्लाने पर अमूमन अभिभावक भी गुस्से में अपना आपा खोकर चिल्लाने लगते हैं। लेकिन ऐसा कतई न करें।
अपने घर में बच्चों के लिए एक नियम बना लें कि इस घर में हम हमेशा शांत और नियंत्रण में रहकर ही समस्याएं सुलझाएंगे और इस नियम का दृढ़ता से पालन करें।
जब भी आपका बच्चा गुस्सा करे, चीख पुकार करे और फ़ौरन आप से अपनी बात मनवाने की मांग करे, आप उससे कहें ‘मुझे थोड़ा समय चाहिए। मैं इस विषय में तभी बात करूंगी जब तुम शांत हो जाओगे।” फिर आप मौन हो जाएं या वहां से थोड़ी देर के लिए हट जाएं। उस पर बिल्कुल ध्यान ना दें।
आपके ऐसा करने से बच्चा यह अच्छी तरह से समझ जाएगा कि गुस्सा करने का कोई फायदा नहीं। मम्मी बात तभी करेंगी जब वह शांत हो जाएगा।
जब भी आपके बच्चे को गुस्सा आए उसे इन उपायों की याद दिलाएं। इनसे उसे क्रोध से मुक्त होने में मदद मिलेगी।
जब भी आपका बच्चा अपनी किसी बात को मनवाने के लिए गुस्सा करे, उसे उसकी मांग नहीं मानने का तर्कसम्मत कारण बताएं। उसके साथ प्यार से बातें करते हुए उसके साथ कोई गतिविधि करें। आप उसके साथ कोई किताब पढ़ सकती हैं, कोई खेल खेल सकती हैं या फिर चहल कदमी कर सकती हैं। क्रोध शांत करने के ऊपरोक्त उपाय उसके साथ मिलकर करें।
इस प्रकार आपका साथ उसे सुकून देगा और वह शांत महसूस करेगा।
उसे क्रोधित मन: स्थिति में कभी देर तक अकेला न छोड़ें। देर तक अकेला छोड़ने से वह असहाय और अकेला अनुभव करेगा।
जब भी आपके बच्चे का मिजाज गर्म हो, उससे कहें “शायद तुम यह कहानियों की किताब पढ़ कर बेहतर महसूस करोगे या फिर शायद तुम ड्राइंग करके भी अच्छा महसूस कर सकते हो।”
इस प्रकार आप उन्हें अपने आप को नियंत्रण में लाने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।
गुस्सा करते वक्त उसे कुछ देर अकेले बैठने के लिए कहने की बजाय उससे कहें, “जब तुम्हारा मूड ठीक हो जाए तुम मेरे पास आ सकते हो।”
आप उन्हें विकल्प भी दे सकती हैं “क्या तुम अपने आप को सामान्य करने के लिए अपने कमरे में जाना चाहते हो?”
अपने 7 वर्ष से ऊपर की आयु के बच्चे को अपनी क्रोधित मन स्थिति में अपने आप को ऐसे सकारात्मक सुझाव देकर अपने क्रोध को नियंत्रित करने के लिए प्रेरित करें।
अपने बच्चे को समझाएं कि वह गुस्से की स्थिति में आपके सामने अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकता है। पर उसे स्पष्ट कर दें कि आप क्रोध में उसका दूसरों पर हाथ उठाना, चीजें फेंकना, चीजें तोड़ना या बड़ों का अनादर हर्गिज़ नहीं बर्दाश्त करेंगी। इसके लिए उसकी सहमति से उसकी सजा निर्धारित करें। यह सजा उसके पसंदीदा कार्टून फिल्म नहीं देखना, पसंदीदा खाने की चीज नहीं खा पाना, खेलने के समय में कटौती आदि हो सकती है।
इस प्रकार उसकी सहमति से उसके गलत व्यवहार के लिए सजा तय करने से आपका बच्चा नियमों को महत्व देगा और उन्हें मानेगा।
क्रोध की स्थिति में बच्चा जो कुछ महसूस कर रहा है उसे महत्व दें। यदि आपका बच्चा किसी बात से आहत है या रो रहा है, उसे फ़ौरन रोना बंद करने के लिए ना कहें। उसकी भावनाओं की कद्र करते हुए उससे कहें, “यह बात तुम्हें आहत कर रही है। यह मुझे भी रुला देती।”
आपका यह रवैया आपको उसके मित्र के रूप में स्थापित करेगा और वह आपको अपने क्रोध का लक्ष्य नहीं बनाएगा। आप पर भरोसा करेगा।
बच्चा कई बार आपसे क्रोध में कह सकता है, “मैं आपको नापसंद करता हूं या आप से घृणा करता हूं। आप मुझे अकेला छोड़ दो।” इस स्थिति में उसे अपने हाल पर छोड़ने के स्थान पर उसे आश्वस्त करें कि आप उसके पास हैं और हर हाल में आप उसका साथ निभाएंगी।
बच्चे को समझाएं कि वह जब भी अपना आपा खोने लगे, उसे किसी गतिविधि में व्यस्त हो कर क्रोध शांत करने का प्रयत्न करना चाहिए। इस स्थिति में वह अपनी पसंदीदा पुस्तकें पढ़ सकता है, संगीत सुन सकता है, ड्रॉइंग, पेंटिंग या कोई भी अपनी पसंदीदा गतिविधि कर सकता है।
अपने बच्चे को अपने गुस्से को पूरी तरह से काबू करने से पहले उसे गुस्से के चिह्न पहचानना सिखाएं। यह उसे इससे सकारात्मक ढंग से मुकाबला करने में मदद करेगा ।
अपने बच्चे से बात करें कि गुस्सा आने पर वह कैसा अनुभव करता है। वह महसूस कर सकता है कि गुस्सा आने पर उसकी हृदय की गति बढ़ जाती है।
हमेशा अपने बच्चे के किसी भी क्षेत्र में किए गए प्रयासों की प्रशंसा करें।
यदि वह गुस्सा करने के बाद शीघ्र सामान्य हो जाए तो उसके सामान्य होने में लगे प्रयासों की बड़ाई करें।
जब भी वह शांति पूर्वक अपनी भावनाएं व्यक्त करें अथवा गुस्सा करने के कारण पर समझौतावादी रवैया अपनाएं उसकी प्रशंसा करें ।
जब भी आपका बच्चा कोई मांग करे जिसे आप पूरा नहीं करना चाहती और वह इस बात पर क्रोध करे तो उसकी परेशानी धैर्य से सुने। अपने बचपन का कोई ऐसा ही वाकया उसे बताएं। इससे बच्चे को अपनी मांग के अनौचित्य का अनुभव होगा और वह आपका उसकी मांग पूरी न करने का कारण बेहतर ढंग से समझ पाएगा।
यदि आपके बच्चे को बहुत गुस्सा आता है तो उसके लिए एक पंचिंग बैग या हाथ से मारने पर भी सीधा खड़ा रहने वाला हवा भरने वाला खिलौना खरीद कर ला दें। उससे कहें कि जब भी उसे तेज गुस्सा आए, वह इन पर ताबड़तोड़ प्रहार कर अपना गुस्सा व्यक्त कर सकता है।
बच्चे के चीखने चिल्लाने, पैर पटकने, लतियाने, जिद्दी व्यवहार को रोकने के लिए उसकी गुस्से में की गई मांग कभी पूरी ना करें।
जब भी आपका बच्चा किसी बात पर गुस्सा हो, उससे कोई बेवकूफी भरी बातें करें जिस पर उसे हंसी आ जाए।
तीन से पाँच साल के बच्चे के गुस्सा होने पर आप उससे कह सकती हैं, “चलो, आज तुम मम्मा बन जाओ और मैं तुम्हारा बेटा बन जाती हूँ।”
वह हंस देगा और उसका गुस्सा क्षण भर में ही काफ़ूर हो जाएगा।
7 से 12 साल के बच्चे से आप पूछ सकती हैं तुम्हारा सबसे अच्छा दोस्त कौन है?
तुम्हारी पसंदीदा शिक्षिका कौन है?
इस प्रकार ध्यान बंट जाने पर बच्चे का ध्यान गुस्से से हट जाएगा।
जब भी आपका बच्चा गुस्सा करे उसे अपने से चिपकाकर उसे एक प्यार की झप्पी दें। बच्चे सदैव ध्यान और प्यार के भूखे होते हैं ।
अतः जब भी आपका बच्चा गुस्सा करे आपकी प्यार की झप्पी उसे शांत करने में मदद करेगी।
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