क्या आप शायनेस एवं सोशल ऐंग्ज़ाइटी से ग्रस्त हैं और इनकी वजह से अपनी सहेलियों की अपेक्षाकृत जिंदगी की रेस में पिछड़ रही हैं? तो आपको भारतीय सिनेमा के ग्रीक गॉड के नाम से मशहूर नामचीन अभिनेता ऋतिक रोशन के विषय में अवश्य जानना चाहिए।
अपनी हर फिल्म में अपने जादुई अभिनय कौशल और धाराप्रवाह संवाद अदायगी की धाक जमाने वाले ऋतिक रोशन बचपन से अच्छी खासी बड़ी उम्र तक शायनेस एवं सोशल ऐंग्ज़ायटी से ग्रस्त थे, यहां तक कि हकलाते तक थे। लेकिन अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति एवं संकल्प शक्ति के दम पर उन्होंने अपनी इन कमजोरियों पर विजय प्राप्त की और आज वह अपनी अभूतपूर्व अभिनय क्षमता के चलते करोड़ों लोगों के दिलों पर राज कर रहे हैं।
अनुष्का शर्मा, श्रद्धा कपूर, समीरा रेड्डी, दीपिका पादुकोण, ओपराह विनफ्रे, ये सभी पब्लिक फिगर्स जीवन के किसी न किसी मोड़ पर ऐंग्ज़ायटी से ग्रस्त रही हैं लेकिन इन सबने अपनी इस कमजोरी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और आज यह सभी महिलाएं अपने कार्य क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं। तो सोचिए क्या आप इससे नहीं उबर सकती?
अब हम आपको शायनेस और सोशल ऐंग्ज़ाइटी से मुक्त होने के कुछ कारगर उपाय बताएंगे जिन्हें अपनाकर आप निश्चित ही एक सार्थक एवं संपूर्ण जीवन जी सकेंगी।
आप किसी महिला क्लब की सदस्या हैं और आपको किसी कार्यक्रम के संचालन करने की जिम्मेदारी दी गई है। ऐसी स्थिति में यदि आप शायनेस एवं सोशल ऐंग्ज़ाइटी से पीड़ित हैं तो आपके मन में अनेक ऐसे नेगेटिव विचार आ सकते हैं यथा
सर्वोपरि अपने नेगेटिव विचारों को पहचानने का प्रयत्न करिए। क्या मैं निश्चित तौर पर कह सकती हूं कि मेरा संचालन फ्लॉप रहेगा अथवा यदि में संचालन करते वक्त नर्वस हो गई तो क्या अन्य महिलाएं निश्चित रूप से मुझे अक्षम समझेंगी?
अपने इन नकारात्मक विचारों का लॉजिकल मूल्यांकन करते हुए अब आप इनकी जगह पर अधिक यथार्थपरक और सकारात्मक ख्याल मन में लाएं यथा- “मैं यह संचालन कुशलता से कर पाऊंगी”। वहां कोई भी इंसान मेरी कमियां निकालने के उद्देश्य से नहीं आएगा।
यह प्रक्रिया निस्संदेह आपको अपनी सोशल ऐंग्ज़ाइटी से उबरने में बेहद मददगार सिद्ध होगा।
पॉजिटिव एटीट्यूड आत्मविश्वास पैदा करता है। अतः सदैव पॉजिटिव रहें और पॉजिटिव सोचें।
याद रखें लर्निंग, प्रैक्टिस एवं निपुणता आत्मविश्वास को जन्म देते हैं।
उदाहरण के लिए – यदि आपको किसी नौकरी के इंटरव्यू के लिए किसी ग्रुप डिस्कशन में भाग लेना है तो जी-जान से मेहनत करते हुए उसके लिए बोलने की प्रैक्टिस करें। अपनी प्रैक्टिस में कोई भी किसी भी तरह की कमी ना रखें। इस बात पर फोकस करें कि आप उसमें कैसे बेहतरीन परफॉर्मेंस देंगी और उसके पूरे होने पर आपको नौकरी मिलने के चांसेज़ बढ़ जाएंगे। यह बात गांठ बांध लें – आप जिस चीज पर फोकस करेंगे, वही वास्तविकता बन जाती है।
शायनेस और सोशल ऐंग्ज़ाइटी से ग्रस्त लोग सामान्यतया यह सोचकर डरते हैं कि दूसरे लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे? डिस्कशन में बोलते वक्त अन्य पार्टिसिपेंट्स आपके बारे में क्या सोचेंगे या राय बनाएंगे। इस ख्याल से कतई न डरें और इसे मन से बिल्कुल निकाल दें । यह दुश्चिंता आपको सताए तो भी अपने इस विचार को मूर्खता भरा या निर्मूल समझकर इस भय से मुक्त होने का भरसक प्रयास करें। इस प्रक्रिया में आपको एहसास होगा कि अन्य लोगों की अपेक्षाकृत आप स्वयं ग्रुप डिस्कशन में अपनी परफॉर्मेंस को लेकर अधिक आशंकित हैं। यह सोच आपको निश्चित ही अपने इस डर से स्वतंत्र होने में आपकी मदद करेगी।
अन्य लोगों के सामने शर्मिंदगी का अहसास बेहद पीड़ादाई होता है। लेकिन यह मानकर चलें यदि आप शायनेस एवं सोशल ऐंग्ज़ाइटी से ग्रस्त है तो कभी न कभी आपको इस स्थिति से गुजरना ही पड़ेगा।
उदाहरण के लिए यदि आपकी अंग्रेजी बहुत अच्छी नहीं है और आप अपने परिचयक्षेत्र में अंग्रेजी में वार्तालाप करने की शुरुआत कर रही हैं तो अपनी सोशल ऐंग्ज़ाइटी की वजह से कई बार आप गलत अंग्रेजी बोल कर शर्मिंदगी महसूस कर सकती है। लेकिन इससे आपको घबराकर अंग्रेजी बोलना छोड़ना नहीं है। जितना आप इस स्थिति को स्वीकारेंगी उतनी ही हिम्मत और लचीलापन आप अपने आप में महसूस करेंगी।
सोचें आप किसी ऐसी हाइफाई पार्टी में हैं जहां आप के अलावा अन्य सभी महिलाएं धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलने में सक्षम हैं और आप अपनी इस कमी को लेकर सोशल ऐंग्ज़ाइटी से ग्रस्त हैं। यदि आप अंग्रेजी बोलते वक्त कुछ गलत बोल बैठी तो अन्य महिलाएं आप के विषय में क्या सोचेंगी। इसलिए स्वयं के विषय में यह न सोचें कि अन्य महिलाएं आपकी अंग्रेजी के विषय में क्या सोच रही हैं वरन आप पार्टी में उपस्थित अन्य महिलाओं के विषय में सोचना शुरू कर दें। यह प्रक्रिया आपको अपनी ऐंग्ज़ाइटी से अवश्य निजात दिलाएगी। पार्टी में चुप न बैठें वरन अन्य महिलाओं से बातचीत करें।
जब भी आप सोशल ऐंग्ज़ाइटी का एहसास करती हैं, आपकी सांसें तेज हो जाती हैं और आपके शरीर में ऑक्सीजन और कार्बन डाई ऑक्साइड का संतुलन गड़बड़ा जाता है। परिणाम स्वरूप ऐंग्ज़ाइटी के अन्य शारीरिक लक्षण जैसे चक्कर आना, दम घुटना, हृदय की धड़कन का बढ़ना, मांसपेशियों में तनाव प्रकट हो जाते हैं। यदि आपके साथ ऐसा होता है तो अपनी सांसों को नियंत्रित करते हुए उन्हें धीमा करें।
सोशल ऐंग्ज़ाइटी से ग्रस्त होने पर भी सोशल इवेंट में शामिल होने से कतराए नहीं वरन उन में सक्रिय रूप से भागीदारी करें। इससे आप अपने भीतर के डर को चुनौती दे सकती हैं और सोशल ऐंग्ज़ाइटी से मुक्ति पाने की राह पर निरंतर आगे बढ़ सकती है।
यदि आप शायनेस एवं सोशल ऐंग्ज़ाइटी से पीड़ित हैं तो सोशल अवसरों पर बोलने का कोई मौका न छोड़ें। ऑफिस में सहेलियों के मध्य, क्लब में, रिश्तेदारों के मध्य, अपने बच्चों के स्कूल में, परिचितों के मध्य, तात्पर्य है हर संभावित परिस्थिति में बोलें एवं अपनी भावनाओं को व्यक्त करें।
याद रखें आत्मविश्वास से भरपूर इंसान यह संदेह कभी नहीं पालते कि क्या प्रत्येक व्यक्ति उनकी बातों को पसंद करेगा। वरन वे अपनी बातों को शेयर करने और दूसरों से जुड़ने के उद्देश्य से बोलते हैं।
मल्टीटास्किंग कभी भी कतई ना करें। यह आपकी ऐंग्ज़ाइटी को बढ़ा सकता है।
यदि संभव हो तो प्रतिदिन कम से कम आधे घंटे के लिए कोई भी शारीरिक गतिविधि करें। इसके लिए आप रोजाना एक्सरसाइज, वॉकिंग, स्विमिंग या नृत्य कर सकती हैं।
इन सेल्फ हेल्प टेक्नीक्स को कुछ समय के लिए नियमित रूप से अपनाएं। लेकिन यदि फिर भी आपकी शायनेस एवं सोशल ऐंग्ज़ाइटी में कोई सुधार नहीं आता है तो आपको प्रोफेशनल सहायता की भी आवश्यकता पड़ सकती है।
उपलब्ध प्रोफेशनल उपचारों में कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी, (सीबीटी) सोशल ऐंग्ज़ाइटी को ठीक करने का सबसे बेहतरीन उपचार है। कभी-कभी अत्यंत जटिल सोशल ऐंग्ज़ाइटी के लक्षणों के निदान के लिए मेडिकेशन का परामर्श भी दिया जाता है। लेकिन मेडिकेशन अंतिम विकल्प के रूप में अपनाया जाना चाहिए क्योंकि सोशल ऐंग्ज़ाइटी की दवाइयों के अनेक नुकसान एवं साइड इफेक्ट होते हैं और यह ऐडिक्टिव होती है।
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