भारत सरकार ने मध्यमवर्ग से जुड़े लोगों की बचत को सुरक्षित करने और वेतन भोगी कर्मचार्यों को उनकी आय पर कर-लाभ देने के लिए एक बचत योजना शुरू की थी। 1968 में नेशनल सेविंग ऑर्गनाइज़ेशन की ओर से एक स्कीम पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पी.पी.एफ.) के नाम से शुरू की थी, जिसका उद्देश्य छोटी बचत को सुरक्षित करना और निवेश को बढ़ावा देना था। हालांकि इस योजना को शुरू हुए पचास वर्ष से अधिक हो गए हैं, लेकिन फिर भी अनेक लोग पीपीएफ नाम से प्रसिद्ध इस योजना के बारे में जानकारी नहीं रखते हैं।
भारत सरकार पीपीएफ में वर्ष में तिमाही आधार पर तय की गई दर से ब्याज दिया जाता है। यह बचत राशि आयकर की धारा 80 सी के अंतर्गत कर मुक्त होती है। सरकार द्वारा वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही के लिए ब्याज दर 7.9% रखा गया है। ब्याज की यह राशि करमुक्त होती है।
कोई भी निवासी भारतीय नागरिक (Resident Indian) जिसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है, वह एक पीपीएफ अकाउंट खोल सकता है। अवयस्क बच्चों के नाम से उनके माता-पिता भी यह खाता खोल सकते हैं। एक व्यक्ति एक नाम से केवल एक ही खाता खोल सकता है। यदि कोई भारतीय खाता खोलने के बाद विदेश जाता है, तब उसके खाते पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
पीपीएफ खाता 15 वर्ष तक की अवधि के लिए खोला जाता है। यदि कोई व्यक्ति चाहे तो वह इसके बाद भी अपने खाते को जारी रख सकता है।
पहले यह खाता केवल डाकघर या कुछ सरकारी बैंको में ही खोला जा सकता था। लेकिन वर्तमान समय में यह खाता डाकघर के अलावा सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, एसबीआई, बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई), पंजाब नेशनल बैंक, आईडीबीआई, इलाहाबाद बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, देना बैंक, विजया बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीज बैंक जैसे सरकारी बैंकों के अलावा एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक और आईसीआईसीआई बैंक जैसे प्राइवेट सेक्टर के बैंक भी खोल सकते हैं।
अगस्त 2019 में सरकार द्वारा कुछ बैंको का विलय कर दिया गया है, तो कृपया अपने निर्धारित बैंक के नाम को संबन्धित बैंक से पहले सुनिश्चित कर लें।
एक बार यह खाता खोलने के बाद आप इसे डाकघर से बैंक या बैंक से डाकघर में ट्रांसफर भी करवा सकते हैं।
कोई भी व्यक्ति जो इस खाते को खोलने के योग्य है, निम्न दस्तावेजों (डोक्यूमेंट्स) के साथ अपना एप्लिकेशन फॉर्म ए इस काम के लिए निर्धारित बैंक के पास जमा करवा सकता है:
बैंक या डाकघर द्वारा सभी दस्तावेजों की जांच करके आवेदनकर्ता के नाम एक पीपीएफ खाता खोल दिया जाता है। इसके साथ ही खाताधारी को एक पासबुक दे दी जाती है जिसमें रकम के जमा करने या निकालने के साथ ही ब्याज का पूरा विवरण दिया जाता है।
अगर आप का इन बेंक के साथ ऑनलाइन अकाउंट पहले से ही है, तो हो सकता है कि आप को और कोई अलग से दस्तावेज़ वगैरह देने का झमेला न हो और पाँच मिनट में ही आपका पीपीएफ अकाउंट खुल जाये। अपने बेंक के कस्टमर केयर से पूछिए।
एक खाताधारी अपने पीपीएफ खाते से वर्ष में एक बार कम से कम 500 रु और अधिक से अधिक 1.5 लाख रुपए (एक मुश्त) जमा करवा सकता है। खाताधारी अपने खाते में वर्ष में अधिकतम 12 बार धन को जमा करवा सकता है।
यदि आप वर्ष में एक बार भी 500 रु जमा नहीं करवाते हैं, तब आपका खाता अस्थायी तौर पर बंद कर दिया जाएगा। उसके बाद इसे दोबारा खोलने के लिए आपको एक लिखित आवेदन करना होगा। इसके आतिरिक्त आपको आवेदन के साथ उतने वर्ष की संख्या के अनुसार 50 रु का जुर्माना भी देना होगा।
जिस वर्ष आप अपना खाता खुलवाते हैं उसके बाद अगले पाँच साल बाद अपने खाते में से रकम निकलवाना शुरू कर सकते हैं। यह राशि उस तिथि को खाते का बैलेंस या फिर जमा राशि का 50% में से जो भी कम हो निकाल सकते हैं। इसके बाद आप अपने खाते के मैच्योर होने तक अगले पाँच सालों तक खाते की राशि का 60% निकाल सकते हैं।
भारत सरकार हर वर्ष इसके लिए एक ब्याज दर का ऐलान करती है, जो आपके खाते में उपलब्ध न्यूनतम राशि पर दिया जाता है। इसके लिए आपके खाते में महीने के पाँच तारीख से महीने की आखिरी तारीख तक उपलब्ध राशि पर ब्याज दिया जाता है।
यह खाता 15 वर्ष के लिए खोला जाता है और इसके बाद आपका खाता मैच्योर हो जाता है। लेकिन यदि आप चाहें तो 15 वर्ष से पहले लेकिन शुरू के पाँच वर्षों के बाद इस खाते को स्थायी रूप से बंद भी कर सकते हैं। इस अवधि के बाद या तो आप खाते में जमा राशि को पूरा निकाल सकते हैं, या फिर इस राशि को अगले समय के लिए जमा रहने देते हैं। अगर आप दूसरे विकल्प को चुनते हैं तब आप अपनी मर्ज़ी से कभी भी पैसा निकलवा कर खाता बंद कर सकते हैं।
यह सही है कि आप अपने पीपीएफ खाते में से जमा राशि को कर्जे के रूप में ले सकते हैं। यह आप अपने खाते के खोलने के तीसरे वर्ष से छठे वर्ष तक कर सकते हैं। इसके बाद आप लोन नहीं ले सकते हैं। इस लोन पर आपको तय दर से खाता खोलने वाली संस्था को ब्याज देना होगा।
पीपीएफ खाते का नामांकन एक या एक से अधिक व्यक्ति के नाम किया जा सकता है। यदि एक से अधिक व्यक्ति नामांकित होते हैं तब उन्हें आनुपातिक आधार पर खाते की राशि का भुगतान किया जा सकता है। यह प्रायः खाताधारी की मृत्यु होने पर ही हो सकता है। एक व्यक्ति अपने माता-पिता, जीवनसाथी, बच्चे, मित्र, संबंधी आदि किसी को भी नामांकित कर सकता है। खाताधारी अपने जीवनकाल में कभी भी पहले का किया हुआ नामांकन बदल सकता है।
फॉर्म नंबर | किस काम के लिए प्रयोग होगा |
फॉर्म A | खाता खोलने के लिए |
फॉर्म B | खाते में पैसे जमा करने या लिए लोन का भुगतान करने के लिए |
फॉर्म C | खाते में से थोड़ा पैसा निकालने के लिए |
फॉर्म D | खाते में से क़र्ज़ा लेने के लिए |
फॉर्म E | खाते में नामांकन के लिए |
फॉर्म F | खाते में नामांकन के बदलाव करने के लिए |
फॉर्म G | नामांकित व्यक्ति द्वारा खाते से पैसा निकालने के लिए |
फॉर्म H | खाते को मैच्योर होने के बाद एक्सटैंड करने के लिए |
अपने सरल प्रारूप और आसानी से इस्तेमाल किए जाने के कारण पीपीएफ़ खाता योजना मध्यम वर्ग के प्रत्येक श्रेणी के व्यक्ति द्वारा पसंद की जाती है। कर छूट के कारण यह वेतन भोगी कर्मचारियों की पहली पसंद है।
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