जुड़वा बच्चे हमेशा से सबके लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं। एक ही बार में ‘हम दो, हमारे दो’ का विचार पूरा कर देते हैं। हां, उनको पालने में थोड़ी मुश्किल जरूर आती है। वैसे अगर मायके या ससुराल में जुड़वां बच्चे होते रहे हैं तो आपके भी बच्चे जुड़वां होने की संभावना बढ़ जाती है लेकिन ऐसा नहीं है और फिर भी आप जुड़वां बच्चों की मां बनना चाहती हैं तो देखते हैं कि किन-किन चीजों से आपके जुड़वां बच्चे होने अवसर बढ़ सकते हैं…
आईवीएफ (इन विट्रो फर्टीलाइजेशन) यानी कृत्रिम गर्भाधान के दौरान मां के अंडों को उसके पति या अन्य साथी के शुक्राणुओं के साथ प्रयोगशाला में निषेचित (फर्टीलाइज) किया जाता है। जैसे भी भ्रूण बन जाते हैं, एक या अधिक भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। एक से अधिक भ्रूण प्रत्यारोपित करने का उद्देश्य उसके मां बनने की संभावना को बढ़ाना होता है। लेकिन इसी वजह से महिला एक से ज्यादा, अक्सर जुड़वां बच्चों की मां बन जाती है। अगर आप जुड़वां बच्चे चाहती हैं तो इस तकनीक का सहारा ले सकती हैं।
गर्भधारण की गोलियों से महिला के अंडाशय से निकलने वाले अंडों की संख्या बढ़ जाती है, ताकि उसके गर्भधारण के अवसर बढ़ जाएं लेकिन ऐसा होने से कई बार एक से ज्यादा अंडे निषेचित हो जाते हैं, जिससे जुड़वां बच्चे गर्भ में आ जाते हैं। अगर आप जुड़वां बच्चे चाहती हैं तो किसी डॉक्टर की सलाह से ही इस विधि का सहारा लें क्योंकि इस तरह की गोलियों की संख्या निश्चित होती है, जो आपकी चिकित्सकीय और शारीरिक स्वास्थ्य को देखकर ही दी जाती है।
20 से 25 साल की उम्र की बजाय 35 से 40 उम्र की मां बनने से जुड़वा बच्चे पैदा होने के अवसर तीन गुना बढ़ जाते हैं। शोध बताते हैं कि जैसे-जैसे महिलाएं मीनोपोज के निकट आती है, उनके शरीर से एक विशेष हार्मोन एफएसएच(फॉलिकल स्टीमुलेटिंग हार्मोन) ज्यादा निकलने लगता है। इस हार्मोन की वजह से अंडाशय से ज्यादा अंडे निकलने लगते हैं और महिला के जुड़वां बच्चे होने के अवसर भी बढ़ जाते हैं। हालांकि यह बात भी साबित हो चुकी है कि एक ओर जहां यह हार्मोन जुड़वां बच्चे होने के अवसर बढ़ाता है, वहीं यह सामान्यतया फर्टीलिटी भी कम करता है। क्योंकि उम्र बढऩे के साथ-साथ अंडों की जीवनशक्ति भी कम होती जाती है।
ऐसी महिलाएं जिनका बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) 30 या उससे ज्यादा होता है, उन्हें गर्भाधान में मुश्किल आती है, लेकिन जब वे गर्भधारण करती हैं तो उनके जुड़वां बच्चे होने के अवसर भी काफी बढ़ जाते हैं। ऐसा अमेरिका के उदाहरण से समझा जा सकता है। जैसे-जैसे वहां की महिलाओं में मोटापे की समस्या बढ़ती गई, उनमें जुड़वां बच्चे होने की प्रवृत्ति भी बढ़ती गई। वहीं शोध में यह भी पता लगा है कि जिन महिलाओं का वजन 53 किलो से कम होता है, उनमें भी जुड़वां बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है।
‘वॉम्ब मेट’ के सह लेखक और जुड़वा बच्चों के शोधकर्ता गैरी स्टेमैन ने अपने शोध में पाया कि जो महिलाएं अपने बच्चों को लंबे समय तक स्तनपान कराती हैं, उनकी दूसरी संतान के रूप में जुड़वां बच्चों को जन्म देने की संभावना काफी बढ़ जाती है। ऐसा होना और बढ़ जाता है अगर वह महिला पहले बच्चे को स्तनपान कराती रहे और साल भर के भीतर फिर से गर्भधारण कर ले। हालांकि गैरी इस बात का पता लगाने में नाकामयाब रहे थे कि आखिर ऐसा होता क्यों है।
वॉशिंगटन स्टेट ट्विन रजिस्ट्री के अनुसार ज्यादातर जुड़वा बच्चे जुलाई के महीने में पेट आए थे और सबसे कम जनवरी के महीने में। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे फ्रेडरिक नेफटोलिन बताते हैं कि ऐसा गर्मियों के मौसम में लिए जाने वाले खान-पान की वजह से भी हो सका है। इस मौसम में आने वाली सब्जियों में फाइटोएस्ट्रोजन ज्यादा होते हैं, जो एस्ट्रोजन के स्तर के कम या ज्यादा होने को प्रभावित करते हैं। एस्ट्रोजन ही अंडाशय से अंडा निकलने की प्रक्रिया को तेज करता है।
किसी चीज को खाने से जुड़वा बच्चे होने की बात पर भले ही आपको यकीन न हो लेकिन एक चीज ऐसी है, जिसे खाने से जुड़वां बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है और वह है जमीकंद। जमीकंद की भी एक प्रजाति है, जो सफेद रंग की होती है और नाइजेरिया में मिलती है। गौरतलब है कि दुनिया भर में सबसे ज्यादा जुड़वां बच्चे नाइजेरिया में ही पैदा होते हैं। माना जाता है कि जमीकंद में एक खास फाइटोएस्ट्रोजन होता है, जो ज्यादा अंडे निकालने में मदद करता है। चूंकि वहां के खान-पान में यह कंद प्रमुख रूप से शामिल है, इसलिए वहां जुड़वां बच्चे भी ज्यादा होते हैं।
अगर आप जुड़वा बच्चे चाहती हैं तो आज से ही खूब सारा गाय का दूध पीना शुरू कर दें। दरअसल गायों को दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए एक ग्रोथ हार्मोन दिया जाता है। इसकी प्रतिक्रिया के रूप में उनके लिवर में एक प्रोटीन बनता है, जिसमें इंसुलिन लाइक ग्रोथ फैक्टर कहा जाता है, जो कि दूध के जरिए हमारे शरीर में पहुंच जाता है। ऐसे में गाय का दूध ज्यादा मात्रा में पीने से महिलाओं के शरीर में इस प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे उनके अंडाशय से अंडे ज्यादा संख्या में उत्सर्जित होने लगते हैं और जुड़वां बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है।
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Agr kisi female ki 36 years tk marriage na hui ho but usne sex kiya ho marraige se pehle toh kya voh iss age main maa bann skti h ? Or bhi bhi twins ki?