कल ही मेरी दस वर्षीय बेटी आद्या स्कूल से आकर रोने लगी, और मुझसे बोली, “मम्मा क्या मैं स्टूपिड हूं? आज मेरी बेस्ट फ्रेंड ने मुझसे कट्टी कर ली, और दूसरी लड़की को अपना बेस्ट फ्रेंड बना लिया।”
जब मैंने उसे कुरेदा तो वह रोते-रोते बोली कि “उसे स्कूल में अकेलापन लगता है। उसे लगता है कि उसके बदसूरत और स्टुपिड होने की वजह से क्लास में कोई भी उससे दोस्ती नहीं रखना चाहता।”
उस वक्त तो मैंने उसे किसी तरह समझा-बुझाकर चुप करा दिया।
शाम को उसका जी बहलाने के उद्देश्य से मैं उसे उसके पसंदीदा गिटार की क्लास जौयेन करवाना चाह रही थी, लेकिन उसने कहा कि वह गिटार नहीं सीख सकती। उसके इस मायूस लहज़े और सुबह के रोने धोने ने मेरे मन में हलचल मचा दी, और मैंने इस सिलसिले में देहली की यंग इंडिया साइकोलॉजीकल सॉल्यूशन्स की काउंसेलिंग कम क्लीनीकल साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर सीमा शर्मा से बात की।
उन्होंने मुझे बताया कि आद्या का यह असामान्य व्यवहार उसके आत्मविश्वास में कमी के चलते है। उसने मुझे उसमें वृद्धि के लिए कुछ प्रभावी उपाय बताए, जिन्हें मैं आप सबके साथ शेयर करने जा रही हूं।
अपनी दिनभर की व्यस्त दिनचर्या के बीच से कुछ घंटे बच्चे को अपना पूरा अटेंशन दें। ऐसा करना आपके बच्चे को यह संदेश देगा कि आपकी नजरों में उसकी अहमियत है। बच्चे को अपना अटेंशन देते वक्त निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखें:
उसकी नज़रों से नज़रें मिलाते हुए बात करें, जिससे उसे एहसास हो कि आप उसकी बातों को गंभीरता से सुन रही हैं।
यदि आपकी व्यस्तता के मध्य बच्चा आपसे कुछ बात करना चाहता है तो अपना काम बंद कर उसकी बातें सुने।
उसे उसकी आयु के अनुरूप छोटे-छोटे काम करने के लिए दें, जिससे उसे एहसास हो कि आपकी नजरों में घर के कामों में उसका योगदान अहम है।
इन कामों को करने से बच्चे को इन्हें सक्षमता से करने की उपलब्धि का भान होगा, और उसका आत्मविश्वास बढ़ेगा।
बच्चे की उपलब्धि पर प्रोत्साहित करने से बच्चे के आत्मविश्वास में बेतहाशा बढ़ोतरी होती है। ध्यान रखें कि आपके बच्चे को किसी कार्य करने पर प्रशंसा नहीं करनी है, वरन उस के प्रयास को बढ़ावा देना है।
यदि आपके बच्चे ने अपनी बिखरी हुई टेबल को अच्छी तरह से समेट कर साफ कर दी है तो उसे यह न कहें कि “देखो, साफ-सुथरी टेबल कितनी अच्छी लग रही है।” इसके बदले टेबल अच्छी तरह से साफ करने में लगी उसकी मेहनत को स्वीकृति देते हुए उससे कहें कि, “तुमने इस टेबल को साफ करने में कितनी मेहनत की। बहुत बढ़िया!”
ऐसी हौसला अफ़जाई आपके बच्चे को यह संदेश देती है कि उस काम को करने में लगा उसका प्रयास और काम को अंत तक धैर्य से करना वास्तविक रूप से काबिले तारीफ और महत्वपूर्ण है।
अपने बच्चे के साथ खेलने का कुछ समय निकालना आपके बच्चे को यह संदेश देता है कि आपके लिए वह बहुत मायने रखता है। खेलते वक्त अपने बच्चे पर अपना ध्यान केंद्रित करें और उसके साथ खेल को पूरी संजीदगी और गंभीरता से खेलें। आधे अधूरे मन से ना खेलें क्योंकि बच्चा खेल के प्रति आपकी उदासीनता बहुत जल्दी भांप लेगा। यह आप दोनों के बीच अमिट बॉन्डिंग की नींव रखेगा।
जब आपका बच्चा आपको अपना रोजाना का काम पूरी लगन, प्रतिबद्धता और उत्साह से करते हुए देखता है, वह भी अपना काम उसी धैर्य और कमिटमेंट से करता है।
कार्य करते वक्त आपका झींकना, झल्लाना या शिकायत करना अप्रत्यक्ष रूप से आपके बच्चे को आप का अनुकरण करने का संदेश देता है। कोई भी जिम्मेदारी पूरी करते वक्त अपना लहज़ा पॉजिटिव रखें। याद रखें बच्चे अपने अभिभावकों का अनुकरण करते है ।
जब भी आपका बच्चा गलत व्यवहार करे अथवा कुछ ऐसा करे जिससे आप फ्रस्ट्रेट होती हैं, उस स्थिति में उसे ना तो अपमानित करें, ना ही लज्जित करें। उसे डांटने और उस पर चिल्लाने से बचें। आपके अनुशासनात्मक रवैये में गुस्सा या फ्रस्ट्रेशन की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में उसकी बातें धैर्य से सुनें, एवं उससे खुशनुमा दोस्ताने लहज़े में बात करें।
बचपन से ही हर वक्त उनके इर्द-गिर्द रहकर उनकी स्वतंत्रता को बाधित ना करें। उन्हें अपने टीचर अथवा प्रिंसिपल से अपनी किसी समस्या के चलते कैसे बात करनी है, आपकी अनुमति से किन टीवी प्रोग्राम को देखना है, कौन सी कहानियों की किताबें पढ़नी हैं, इन बातों का निर्णय उसे स्वयं लेने दें। हर समय उसकी टोकाटाकी अथवा आलोचना करने से बचें, क्योंकि यह उसके आत्मविश्वास में कमी लाएगा।
अपनी रुचि के नए कौशल सीखने के लिए सदैव उसका उत्साहवर्धन करें। उसे उम्र के अनुरूप नए-नए कार्य जैसे अपनी पसंद का म्यूज़िकल इन्स्ट्रुमेंट सीखना, साइकिल चलाना, नई भाषा सीखना, नया गेम सीखना आदि के लिए प्रोत्साहित करें। इससे उसके आत्मविश्वास में बेतहाशा वृद्धि होगी।
अपने बच्चे को यह जताएं कि वह कोई गलती करे या गलत निर्णय ले, तो भी उसके लिए आपका प्यार बेशर्त है। वह परीक्षा में अच्छी ग्रेड लाए या ना लाए, उसके लिए आपके प्यार में कभी रत्ती भर भी कमी नहीं आने वाली। उसे आश्वस्त करें कि कभी उससे किसी वजह से खफा होने की स्थिति में भी आपका प्यार उसके लिए कम नहीं होगा।
आपका यह नजरिया उसकी सेल्फ़वर्थ यानी आत्म मूल्य में आशातीत वृद्धि करते हुए उसे सुरक्षा भाव प्रदान करेगा।
जब भी मौका मिले अपने बच्चे को अपने से चिपटाएँ। उसे अपनी गोद में बैठा कर या उससे चिपक कर बैठ कर उसके साथ खेलें, अथवा कोई किताब पढ़ें या उसे कोई कहानी सुनाएं या उससे हल्की-फुल्की बातें करें।
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