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स्मार्ट पेरेंटिंग से जिद्दी बच्चे को कैसे हैंडल करें?

कई बच्चों में जिद की प्रवृत्ति होती है, जिसकी वजह से वे अपने अभिभावकों की  ना तो बात मानते हैं, ना ही उनके निर्देशों का पालन करते हैं। ऐसे अड़ियल स्वभाव के बच्चे मौका मिलते ही बात-बात पर अपनी मांग   मनवाने के लिए बिना किसी कारण के अड़ जाते हैं और इस स्थिति में उन पर आपकी बात मनवाने की कोई दलील या युक्ति काम नहीं करती।

ऐसे बच्चे अमूमन जोशीले, निर्णय लेने वाले और दृढ़ संकल्प शक्ति जैसी विशेषताओं से युक्त होते हैं। बात-बात पर उनकी दादागिरी की  आदत कई बार आपको परेशान कर सकती है, लेकिन थोड़े धैर्य एवं सूझबूझ भरी स्मार्ट पेरेंटिंग से आप अपने जिद्दी बच्चे के व्यक्तित्व को एक लचीली और स्वतंत्र, मजबूत इरादों वाली शख्सियत में ढ़ाल सकती हैं।

 तो आइए, आज हम आपको ऐसे बच्चों के लिए स्मार्ट पेरेंटिंग के कुछ टिप्स देते हैं।

बच्चे को पर्याप्त विकल्प दें:

ज़िद्दी प्रवृत्ति के बच्चे किसी के नियंत्रण में नहीं रहना चाहते। अतः उनकी इस मानसिकता के चलते आपको उन्हें बहुत हद तक अपनी जिंदगी से संबंधित विभिन्न निर्णय स्वयं लेने की स्वतंत्रता देनी होगी। यदि आप हर बात में उन पर अपनी मर्जी थोपने का प्रयास करेंगी, तो यह उनमें आक्रोश और क्रोध पैदा करेगा। अतः जहां तक हो सके, उन्हें अपने निर्णय स्वयं लेने की स्वतंत्रता दें। बाहर जाते वक़्त उन्हें किस रंग के कपड़े या जूते पहनने हैं, आपके द्वारा अनुमोदित वीडियो  में से कौन सी वीडियो पहले देखनी है या फिर पार्क में कौन से झूलों पर झूलना है, उन्हें ऐसे  विकल्पों में से अपना मनपसंद विकल्प चुनने की पूरी पूरी छूट दें। यह उन्हें अपने अधिकारों का एहसास दिलाएगा। परिणाम स्वरूप उसका नैसर्गिक सत्तावादी स्वाभाव तुष्ट  होगा।

नियमों का दायरा बांधे:

जहां आप को बच्चों को निर्णय लेने के पर्याप्त मौके देने चाहिए, वहीं उन्हें आपको कुछ आवश्यक नियमों के दायरे में बंधकर रहना भी सिखाना होगा। जैसे स्कूल या बाहर से लौट कर आने पर अपने पहने हुए कपड़े या जूते उनके नियत स्थान पर रखना, नहाने के बाद गंदे कपड़े और तौलिया को निर्धारित जगह पर रखना, रोजाना नियत वक्त पर सोना जैसे नियमों का पालन उन्हें अनुशासित तो करेगा ही, साथ ही उन्हें बात-बात पर मनमानी और जिद  करने से भी रोकेगा। 

नियम तोड़ने पर उनके कुछ सख्त  परिणाम भुगतने का भी प्रावधान बनाएं। नियम भंग करने की एवज में सजा निर्धारित करते वक्त अपने बढ़ते बच्चों को भी शामिल करें। यह उन्हें अधिकार भाव का एहसास कराएगा और उन्हें संतुष्टि प्रदान करेगा

पॉजिटिव शब्दों का अधिक इस्तेमाल करें:

जिद्दी बच्चों के ऊपर रौब न  जमाएं वरन दृढ़ रवैया रखें।  ऐसे बच्चों पर रौब जमाने या धमकाने की अपेक्षा उन्हें पॉजिटिव शब्दों से अपना मनचाहा करवाने के लिए प्रेरित करें।

उदाहरण के लिए यदि शाम को आपका ज़िद्दी बच्चा बिना होमवर्क पूरा किए कार्टून वीडियो देखने की जिद कर रहा हो, तो उसे सपाट शब्दों में यह न कहें, “बिना होमवर्क पूरा किए तुम  वीडियो नहीं देखोगे।” वरन उससे नर्माई से कहें कि, “तुम्हारा होमवर्क खत्म होते ही तुम अपना मनचाहा वीडियो देख सकते हो।”

उससे कनेक्शन जोड़ें:

कई बार जिद्दी बच्चों से अपनी मांग मनवाने का प्रयास करते-करते बातचीत बहस में बदल जाती है। ध्यान रखें, जिद्दी बच्चे के साथ बहस करना कतई समझदारी नहीं। इसके परिणाम नेगेटिव हो सकते हैं, और यह उसे विद्रोही बना सकता है। जिद्दी बच्चे अपनी जिद्दी प्रकृति के चलते आपके द्वारा दिए निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुए   ठीक उससे उल्टा करने पर उतारू हो  सकते हैं। अतः जब भी आपका बच्चा किसी मसले पर अड़ जाए, तो उससे बहस करने के स्थान पर नर्म  रवैया अपनाएं।

यदि आप चाहती हैं कि पहले वह होमवर्क खत्म कर ले, और फिर आप उसे उसकी पसंदीदा मैगी बना कर देंगी और वह चाहता है कि आप उसे बिना होमवर्क पूरा किए फौरन मैगी बना कर दें, तो  उसकी झप्पी लेते हुए उससे प्यार से कहें, “तुम पहले अपना होमवर्क खत्म करो और तब तक मैं तुम्हारे साथ बैठकर ऑफिस का काम निपटा लेती हूं। मेरा काम और तुम्हारा होमवर्क खत्म होने पर मम्मा बेटा मिलकर साथ साथ मैगी खाएंगे।”

आपका यह नर्म  लहजा उसे तुष्ट  करेगा और आप दोनों के बीच टकराव की स्थिति टल जाएगी।

उसकी समस्याओं को सुनें:

यदि आप चाहती हैं कि आपका ज़िद्दी बच्चा आपकी बात सुने और समझे तो इसके लिए पहले आपको उसे सुनना और उसकी समस्या की तह में जाना होगा।

जब भी वह आपकी किसी बात से खफा लगे, उसकी एक झप्पी लेते हुए उससे पूछें, “तुम्हें क्या चीज परेशान कर रही है? मुझे बताओ तो हम दोनों मिलकर उसका समाधान ढूंढ लेंगे।” 

आपका  यह स्नेहसिक्त  समझौता वादी रवैया उसे संदेश देगा कि आप उसकी भावनाओं की कद्र करती हैं और वह आपसे खुलकर बात करने के लिए प्रेरित होगा।  उसका आपसे बात करने से उसके भीतर के गुस्से और आक्रोश को राह मिलेगी और वह शांत  हो जाएगा।

उससे नेगोशिएट करें:

जिद्दी बच्चे अपने किसी मांग के जवाब में ना नहीं पचा पाते । अतः उन्हें सीधे ना कहने से बचें।

आपका बच्चा कोई बहुत महंगी साइकिल खरीदने की जिद कर रहा है, तो उसे सीधे ना कहने की बजाय उसे समझाएं कि उस महीने आपको और क्या-क्या खर्च झेलने  हैं जिसकी वजह से आप वह महंगी साइकिल खरीदने में असमर्थ हैं। 

इस स्थिति में उसे  अपनी पसंद की उससे कम महंगी कुछ साइकलों में से एक चुनने का विकल्प दें। 

Renu Gupta

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