आज जब हम किसी ऐतिहासिक व्यक्तित्व की बात करते हैं तो अधिकतर उनके उपनाम जिसे अँग्रेजी में सरनेम कहते हैं से ही जानते हैं। गांधी जी, नेहरू जी, श्रीमति गांधी, पटेल आदि नाम इस बात को सत्य सिद्ध करते हैं। लेकिन कभी-कभी परिस्थितियों में बदलाव के कारण कुछ लोग अपने सरनेम को बदलना चाहते हैं।
ऐसे में उन्हें किस प्रकर की कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है, इससे वो अनजान रहते हैं। इस लेख में आपको बताते हैं कि भारत में कानूनी विधि से सरनेम बदलने का तरीका क्या है ?
जब भी आपको अपना सरनेम बदलने की जरूरत हो तब कानूनी रूप से इसे पूरा करने के लिए आपको कुछ डोक्यूमेंट्स की जरूरत हो सकती है। यह डोक्यूमेंट्स और इस संबंध में पूरी की जाने वाली कानूनी प्रक्रिया इस प्रकार है:
सबसे पहले आपको जिला कोर्ट के प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट/पब्लिक नोटरी/ ओथ कमिश्नर के हाथ का बनाया हुआ एक एफेडेविट बनवाना होगा। एफेडेबिट, जिसे हिन्दी में शपथपत्र भी कहा जाता है वह कानूनी कागज़ होता है जो उस व्यक्ति द्वारा बनवाया जाता है जो अपना सरनेम बदलना चाहता है।
वह इस एफेडेबिट में लिखित रूप में यह शपथ लेता है कि वह अपनी इच्छा से अपने सरनेम को सरनेम को (वर्तमान सरनेम) नए सरनेम (वांछित सरनेम) के साथ बदलना चाहता है। इस प्रकार यह दस्तावेज़ इस बात को घोषित करता है कि इसको तैयार करवाने वाला व्यक्ति अपने मर्जी से अपना सरनेम बदलना चाह रहा है। इस दस्तावेज़ में आपको अपना निम्न विवरण देना होगा:
वर्तमान व पूरा नाम
नये सरनेम के साथ बदला हुआ नाम
वर्तमान व स्थायी निवास पता
सरनेम बदलने का कारण (जैसे विवाह, ज्योतिषीय कारण, गणितीय ज्योतिष या फिर विवाह)
एक सादे स्टेम्प पेपर पर यह शपथ पत्र तैयार करवाने के बाद इसपर दो गवाहों के हस्ताक्षर करवाए जाते हैं। यह गवाह गजेटिड ऑफिसर से नीचे के रेंक के नहीं होने चाहिएँ। इस बात का ध्यान रखें की हस्ताक्षर के साथ उनकी स्टेम्प भी लगी होनी चाहिए।
यदि सरनेम बदलने वाला व्यक्ति सरकारी नौकरी में है तब उन्हें ग्रह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आदेश संख्या- 190016/1/87-Estt. Dated 12.03.1987 के अनुसार ही उन्हें प्रक्रिया का पालन करना होगा।
आमतौर पर विवाह के बाद अधिकतर महिलाएं अपना सरनेम बदलने का निर्णय लेती हैं। विवाह के बाद महिलाईं ससुराल पक्ष का सरनेम अपनाना पसंद करती हैं। इस स्थिति में उन्हें जो जानकारी देनी होगी वो इस प्रकार है:
विवाह पूर्व का नाम जिसमें पिता का नाम और घर का पता भी दिया जाता है;
विवाह पश्चात का नाम जिसमें पति का नाम व पति के घर का पता भी दिया जाता है;
विवाह की तिथि
इस शपथ पत्र में विवाह के पूर्व और पश्चात का नाम दोनों ही दिये जाते हैं। इसकी सहायता से पूरा नाम, सरनेम या नाम का केवल कुछ हिस्सा बदलने के काम भी लिया जा सकता है।
इस प्रकार एक सही और उपयुक्त एफेडेबिट तैयार हो जाता है।
सरनेम बदलने के संबंध में जब एक बार नोटरी से शपथपत्र तैयार होने के बाद व्यक्ति को इस संबंध में किसी प्रतिष्ठित समाचार पत्र में विज्ञापन देना होता है। इस काम के लिए कोई भी दो प्रतिष्ठित समाचार पत्र चुने जाते हैं। इसमें एक समाचार पत्र संबंधीत राज्य की स्थानीय भाषा और दूसरा अँग्रेजी भाषा में होना चाहिए।
सरनेम बदलने की अंतिम प्रक्रिया में गज़ट नोटिफिकेशन आती है। एक बार सरकारी गज़ट में जब सरनेम बदलने की सूचना छप जाती है तब कानूनी रूप से सरनेम को बदला हुआ माना जाता है। हालांकि यह अनिवार्यता सरकारी कर्मचारियों के लिए तो है लेकिन अन्य व्यक्तियों के संबंध में यह जरूरी नहीं है। गज़ट में सरनेम बदलने की सूचना की कुछ प्रतियाँ व्यक्ति को अपने पास रखनी अनिवार्य होती हैं। भविष्य में किसी भी दस्तावेज़ में नाम बदलने की सूचना देने के समय यह प्रतियाँ काम आ सकती हैं।
इस प्रकार इन तीन सरल कार्यों के माध्यम से कोई भी व्यक्ति भारत में कानूनी रूप से अपना सरनेम बदल सकता है।
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