सामान्यतया ईगो या अहं को स्वयं को लेकर एहसास किए गए अभिमान के तौर पर परिभाषित किया जा सकता है। अभिमान, घमंड, अहंकार जैसे शब्द ईगो से वास्ता रखते हैं।
जानें क्या आपका वैवाहिक जीवन ईगो प्रॉब्लम से ग्रस्त है?
अब जानें कि ईगो आप में है या आपके पति में या आप दोनों में। यदि दोनों में से एक पार्टनर या दोनों में निम्नलिखित आदतें हैं तो इसका अर्थ है कि आप, आपके पार्टनर या आप दोनों ईगो नामक व्याधि के शिकार हैं।
- आप या आपका पार्टनर या आप दोनों दूसरों की सलाह तो सुनते हैं लेकिन उन्हें मानते नहीं।
- आप या आपका पार्टनर या आप दोनों कभी नहीं मानते कि आप में कमियां हैं।
- आप या आपका पार्टनर या आप दोनों हर कार्य अपने आप करने का प्रयास करते हैं।
- आप या आपका पार्टनर या आप दोनों अपने पार्टनर को अपने आप से कमतर मानते हैं।
- आप या आपका पार्टनर या आप दोनों यदि गलत भी होते हैं तो आप अपना मार्ग नहीं बदलते।
तो अब तक आपको पता चल ही गया होगा कि आप या आपके पति अथवा आप दोनों ही ईगो नामक प्रॉब्लम के शिकार हैं या नहीं। याद रखिए, यदि यह समस्या आपके रिश्ते में बहुत दिनों तक निरंतर कायम रहती है तो आपका रिश्ता बहुत जल्दी टूटने के कगार पर आ जाएगा। जैसे लोहे में लगी जंग धीरे-धीरे उसका क्षय कर देती है उसी प्रकार रिश्तो में ईगो की जंग उनकी जड़ें खोखली कर देती है।
आइए अब जानते हैं हम रिश्तों में लगी ईगो की दीमक का खात्मा कैसे करें?
अपने पार्टनर को सुनें:
जब भी आपके पार्टनर आपसे कुछ कहना चाहें, उनकी बात ध्यान से अवश्य सुनें । समझने का प्रयास करें कि वह आपको क्या बताना चाह रहे हैं। यदि आप उनकी बातों से सहमत नहीं है तब भी आपको अपने पार्टनर की बातों पर गौर करना चाहिए। उनकी उपेक्षा कतई नहीं करनी चाहिए।
अपने पार्टनर से बातचीत करें:
आपके रिश्ते में यदि कोई बात आपको परेशान कर रही है तो उसे खुलकर अपने पार्टनर से कहें। यदि आप ऐसा नहीं करतीं तो आप दोनों के मध्य सदैव मतभेद बने रहेंगे जो समय के साथ बढ़ते ही जाएंगे। अपनी ईगो को अपने मन की बात अपने पार्टनर से शेयर करने के आड़े ना आने दें और उन्हें अपनी बात बताने की पहल करें। यदि आपको लगता है कि आप की ओर से कोई गलती हुई है तो उनसे माफी मांगने में संकोच न करें। उनके प्रति अपना प्रेम जाहिर करें। यकीन मानें, आपके इस प्रयास से आपके पार्टनर भी आप की देखा देखी यही व्यवहार दोहराएंगे जो आपके रिश्तो की उलझी हुई गांठ को सुलझाने में बहुत मददगार साबित होगा।
अपने पार्टनर के बारे में कोई राय न बनाएं:
याद रखें इस दुनिया में कोई भी ऐसा इंसान नहीं है जिसमें कोई कमी नहीं हो। सब में कोई ना कोई कमी होती ही है। अपने पार्टनर की कमियों को स्वीकारें और फिर निर्णय लें कि आपको उनसे कैसे निपटना है। यदि आपके पार्टनर घमंडी और अक्खड़ हैं, उनकी इस कमी को स्वीकारें, उसके बारे में बात करें और सोचें कि आपको उसे कैसे हैंडल करना है। मात्र उनके बारे में राय बना कर न बैठ जाएं कि वह घमंडी और अक्खड़, हैं इसलिए आपके उनसे संबंध नहीं सुधर सकते। इस कमी से बेहतरीन ढंग से निबटने के विषय में गहराई से सोचें।
अपने पार्टनर को बदलने का प्रयास कतई ना करें:
यह साबित करना कि आप अपने पार्टनर से श्रेष्ठ हैं, निरर्थक है। यह याद रखें, लोग समय के साथ बेहतर भी हो जाते हैं। लेकिन यह एक सहज और स्वाभाविक प्रक्रिया होती है। यदि आप सोचती हैं कि आप किसी का स्वाभाव अपने प्रयत्नों से बदल सकती हैं तो यह आपकी गलतफहमी होगी। इसमें विश्वास करके अपनी झूठी ईगो को संतुष्ट करने का प्रयास न करें। यह समझ लें कि किसी भी इंसान की फितरत नहीं बदली जा सकती।
यह सोच आप की अनेक समस्याओं का समाधान कर देगी।
नम्र और विनय शील बनें:
नम्रता और विनय शीलता से आप कोई भी लड़ाई आधी जीत सकती हैं। नम्र बनें। स्थिति को जैसी है वैसी ही स्वीकारें एवं क्षमाशील बने। यदि आपके पार्टनर कभी स्वाभाववश कोई ज्यादती भी करते हैं तो उसे नजरअंदाज कर दें। उन्हें यह अहसास कराएं कि यह आप उनके प्रति अपने प्रेमवश कर रही हैं। आपके पार्टनर आपकी इस सहृदयता को निश्चित ही सराहे बिना नहीं रहेंगे और उनके मन में आपके लिए गुंजाइश बनेगी।
अपने पार्टनर की हर बात को गंभीरता से दिल पर ना लें:
आप बहुधा अपने पार्टनर की हर बात को बेहद गंभीरता से लेती हैं। यदि आपके पार्टनर कोई मजाक भी करते हैं तो कितनी बार यह आपको आहत कर देता है। इसका मूल कारण है कि आप उनकी हर बात व्यक्तिगत तौर पर ले लेती हैं। इस कारण आपको लगता है कि वह आप का मजाक उड़ा रहे हैं। आपको लगता है कि वह आपका सम्मान नहीं करते जबकि वास्तविकता यह नहीं होती। अतः अपने पार्टनर की हर बात को गंभीरता पूर्वक ना लें। कभी-कभार उन्हें संदेह का लाभ भी दें कि शायद उन्होंने आपको आहत करने के उद्देश्य से वह बात नहीं कही है।
अपनी भूल स्वीकारें:
यदि कभी आप कोई गलती कर बैठती हैं तो उससे इनकार न करें। उसे स्वीकारें। इससे आपको अपने आप को सुधारने का मौका मिलेगा और आप दोनों के रिश्ते को मजबूती मिलेगी।
अपनी उपलब्धियों की डींगे ना हांके:
यदि आप जीवन में अपने पार्टनर से अधिक सफल हैं तो अनावश्यक रूप से अपनी उपलब्धियों का बखान हर समय उनके सामने न करें। ऐसा करने से आपके पार्टनर आपके सामने अपने आप को हीन एवं कमतर महसूस करेंगे। आपको अपने व्यवहार से अपने पार्टनर को बराबरी का एहसास कराना चाहिए ना कि कमतरी का।
अपने पार्टनर के दृष्टिकोण से सोचें:
जब आप अपने पार्टनर से किसी बात पर लड़ती हैं तो इसके मूल में आपकी यह सोच होती है कि आप सही हैं और वह गलत। याद रखें, आप ही हमेशा सही नहीं हो सकती। जब भी किसी मुद्दे पर आपका अपने पार्टनर से मतभेद हो, स्वयं को उनकी स्थिति में रखकर सोचें। तभी आपको उनका दृष्टिकोण समझ में आएगा। इससे आप दोनों के मध्य मतभेद कम होंगे। आपके रिश्ते बेहतर बनेंगे।
अपने पार्टनर की प्रशंसा करें:
आपके पार्टनर आपके लिए कुछ भी ऐसा करते हैं जिसकी प्रशंसा की जा सकती है तो उसे अवश्य सराहें। याद रखें ऐसा करने से आपके पार्टनर को खुशी मिलेगी और वह आपकी सहृदयता के कायल होंगे।
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