सभ्यता के विकास के साथ ही महिलाओं के वस्त्रों में बाहरी और आंतरिक रूप से समय-समय पर परिवर्तन आता रहा है। लेकिन एक बात जो नहीं बदली है, वह है अधिकतम कपड़ों के नाम और उनके पहनने का ढंग।
नारी वस्त्रों में जितना महत्व ऊपरी कपड़ों का माना जाता है, उतना ही अन्तः वस्त्रों का भी होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंदर पहने जाने वाले इन कपड़ों का विकास कब, कैसे और कहाँ हुआ था। ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब हम ढूंढ कर लाये हैं, जो हर उम्र और सामाजिक स्तर की महिला द्वारा पहने जाने वाले अन्तःवस्त्रों से समबन्धित है।
स्त्रियॉं द्वारा अन्तः वस्त्रों के रूप में पहने जाने वाला मुख्य वस्त्र ब्रा या ब्रेसरी होता है। आज हम आपको इसकी शुरुआत कैसे, कहाँ, कब और क्यों हुई, जैसे सवालों के जवाब देने का प्रयास करते हैं।
फ्रांस को फैशन की दुनिया का मक्का-मदीना कहा जाता है। इसका कारण है कि दुनिया में हर पल बदलने वाले फैशन की गंगोत्री फ्रांस और पेरिस से ही निकलती है। इसका जीता-जागता सबूत ब्रेसरी का आविष्कार फ्रांस में ही हुआ माना जाता है।
वर्ष 1869 में फ्रांस की एक निवासी हर्मिनि कैडोल ने अपनी एक ड्रेस को दो भागों में काटकर पहनना शुरू कर दिया। इसका ऊपरी भाग स्तनों को ढकने के लिए और नीचे वाले भाग को अंडरवियर की तरह पहनने लगी। यहीं से इस वस्त्र को ब्रेसरी नाम भी मिला जो वास्तव में फ्रेंच शब्द ‘brassiere’ का ही रूपांतर है जिसका अर्थ होता है ‘शरीर का ऊपरी हिस्सा’ ।
इससे पहले विश्व भर में महिलाएं पहले तो कपड़ा बांधती थीं और बाद में वो उसे कस कर जैकेट के रूप में सिल कर पहनने लगीं। यह जैकेट डोरियों से इतना कस कर बांधी जाती थी कि उससे महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ जैसे जी घबराना, उल्टी होना, सांस फूलने आदि कि परेशानी होने लगी थी। इसलिए इस परेशानी से निजात पाने के लिए हर्मिनि कैडोल ने अपने तरीके से ब्रा की खोज कर ली थी।
पौराणिक ग्रन्थों के अध्ययन से पता लगता है कि सबसे पहले ईसा पश्चात पहली शताब्दी में विजयनगर शासक हर्षवर्धन के शासन काल में स्त्री परिधानों में कंचुकी शब्द का इस्तेमाल होता था। इसके अतिरिक्त 1237 में बसावपुरान में भी सिली हुई कंचुकी वस्त्र के प्रमाण मिले हैं। इसलिए यह माना जा सकता है कि आज कि ब्रा, कंचुकी के रूप में भारत की ही देन मानी जा सकती है।
प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक ब्रा शब्द और वस्त्र ने विभिन्न नामों और रूपों का सफर तय किया है। इजिप्ट और ग्रीस में यह गोल घेरे वाली स्कर्ट के ऊपर पहने जाने वाली वस्त्र के रूप में प्रचलित थी। ग्रीस में स्कर्ट को एक बेल्ट से कस कर बांधा जाता था और कुछ इसी प्रकार का प्रचलन रोम में भी था। रोमन युवतियाँ अपने बड़े आकार के स्तनों से परेशान होकर उनके आकार को रोकने के लिए स्तनों को कपड़ों से बांधा करतीं थीं।
हर्मिनी द्वारा डिजाइन करी गई ब्रा को सभी महिलाओं ने पसंद किया और इसके बाद दुनिया भर में इसे हर नारी ने खुशी से अपने वार्डरोब का अभिन्न अंग बना लिया।
हालांकि 1960 के दशक में विश्व के कुछ हिस्सों में महिलाओं से इसे एक सेक्स ऑब्जेक्ट के रूप में प्रसिद्ध होते हुए देखकर इसका विरोध करना चाहा था। लेकिन पूरी तरह समर्थन न मिलने के कारण यह विरोध आगे नहीं बढ़ पाया।
इसलिए अब जब आप बाज़ार जाकर अपने लिए एक मनपसंद ब्रा खरीदें तब इसके आधुनिक रूप की जन्मदात्री हर्मिनि कैडोल को एक श्रद्धांजलि अवश्य दीजिएगा।
➡ अपनी ब्रा की साइज किस प्रकार नापें?
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