महिलाएं और श्रृंगार हमेशा साथ-साथ चलते हैं | विवाहित स्त्रियों के लिए श्रृंगार और भी खास होता है क्योंकि ये उनके शादी-शुदा खुशहाल जीवन को दर्शाता है | मंगलसूत्र विवाहित हिन्दू स्त्री का एक बेहद महत्वपूर्ण गहना माना जाता है | इसे उनके सफल वैवाहिक जीवन से जोड़ा गया है और उनके विवाहित होने का प्रतीक चिन्ह समझा गया है | इसीलिए भारतीय संस्कृति में इसे धारण करना जरूरी समझा जाता है |
लेकिन आज की आधुनिक महिला किसी भी काम को करने से पहले उसे तर्क की कसौटी पर जांचकर ही करती है | आधुनिक महिलायें अब मंगलसूत्र को तर्कसंगत होने और अपनी इच्छा होने पर ही पहनना पसंद करती हैं | अगर पति या परिवार की तरफ से कोई दबाव ना हो, तो शायद कोई भी महिला मंगलसूत्र को पहनने के लिए बाध्य नहीं है | अब जब स्त्री और पुरुष के समान रूप से शिक्षित और सक्षम होने के विचारों पर बल दिया जाता है, तो विवाह के प्रतीक चिन्हों को धारण करना या ना करना व्यक्तिगत पसंद पर ही निर्भर है |
मंगलसूत्र और अन्य सुहाग चिन्हों के समर्थन में वैज्ञानिक तथ्य
आज के समय में हम सभी को आधुनिक विचारधारा को अपनाना चाहिए और रूढ़ीवादी सोच को पीछे छोड़कर जीवन में आगे की तरफ बढ़ना चाहिए |
सुहाग चिन्हों के समर्थन में कई वैज्ञानिक तथ्य पेश किये जाते हैं और इन्हें स्त्री के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक बताया जाता है | ऐसा कहा जाता है कि सभी सुहाग चिन्हों का संबंध स्त्री के स्वास्थ्य और जीवन से है |
स्त्रियों का अपने पति और परिवार के लिए विशेष रूप से चिंता करने के स्वभाव के कारण ही इन सुहाग चिन्हों को पति और परिवार की भलाई करनेवाले कवच का नाम दिया गया और धीरे-धीरे विवाहित स्त्रियों द्वारा इन्हें धारण करने की परंपरा बन गई | इस परंपरा का ये लाभ हुआ कि पति और परिवार की भलाई का सोचकर स्त्रियाँ सुहाग चिन्हों को हर समय धारण कर लेती हैं और इससे उनके स्वास्थ्य पर काफी अच्छा असर पड़ता है | तो आइये जानें क्या हैं हिन्दू महिलाओं के श्रृंगार साधन और उनके पीछे के वैज्ञानिक तथ्य |
पारंपरिक रूप से विवाहित हिन्दू महिलायें वैसे तो सोलह श्रृंगार करती हैं, लेकिन हम यहां कुछ खास सुहाग चिन्हों की बात करेंगे जिन्हें अधिकांश विवाहित महिलायें सबसे महत्वपूर्ण समझकर हर दिन धारण करना जरूरी समझती हैं |
सिन्दूर
सिन्दूर लगाने की रस्म विवाह की सभी रस्मों में से एक खास रस्म होती है जिसमें वर वधू की मांग में सिन्दूर भरता है | ऐसी मान्यता है कि सिन्दूर लगाने से पति की आयु लम्बी होती है और यह विवाहित स्त्री को दर्शाने का प्रतीक भी होता है |
वैसे सिन्दूर लगाने के पीछे वैज्ञानिक कारण यह दिया जाता है कि चूँकि इसे सर के बिलकुल मध्य में लगाया जाता है, इसलिए इससे दिमाग तेज और सक्रीय बनता है | सिन्दूर में पारा भी होता है, इसलिए इससे मस्तिष्क को शीतलता मिलती है और तनाव से राहत मिलती है |
विवाह से पहले लड़कियों पर विशेष जिम्मेदारियों का भार नहीं होता लेकिन विवाह के बाद उनपर जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ता है | ऐसे में सिन्दूर उन्हें तनाव से मुक्त रखने में सहायक सिद्ध होता है |
मंगलसूत्र :
मंगलसूत्र विवाह के धागे के रूप में जाना जाता है | आजकल के जमाने में मंगलसूत्र में सोने की माला में काले मोती पिरोये हुए होते हैं |
मंगलसूत्र में लगे धातु जैसे सोना, मोती आदि कई तरह के स्वास्थ्य लाभ कराते हैं | मोती और चांदी मस्तिष्क को शीतलता देते हैं | सोने से शरीर में उर्जा का प्रवाह होता है | मंगलसूत्र से ब्लड सर्कुलेशन सुचारू रूप से होता है और ब्लड प्रेशर भी ठीक रहता है |
चूड़ियाँ
चूड़ियाँ वैवाहिक जीवन को दर्शाने का एक अटूट माध्यम है | हर विवाहित स्त्री इन्हें श्रृंगार के तौर पर पहनती है |
इनके खनकने से घर में लोगों को एक नए सदस्य के शामिल होने का एहसास होता रहता है | चूड़ियों से होने वाली मीठी ध्वनि से नेगेटिव एनर्जी घर से दूर होती है | ऐसा माना जाता है कि चूड़ियाँ वैवाहिक रिश्ते में प्रेम बनाए रखती हैं और शादी-शुदा महिलाओं को चूड़ियों से होने वाली ध्वनि के प्रभाव से कई तरह की बीमारियाँ भी नहीं होती हैं |
बिंदी
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विवाहित महिलाएं कुमकुम से अपने मस्तक पर बिंदी लगाती हैं या आर्टिफीसियल बिंदी चिपकाती हैं | बिंदी को मस्तक पर दोनों भवों के बीचोंबीच लगाया जाता है |
योग साधना में भवों के बीचोंबीच के स्थान पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है | यह स्थान अज्ना चक्र के नाम से जाना जाता है | यहां ध्यान केन्द्रित करने से बुद्धि और एकाग्रता बढती है और मानसिक संतुलन ठीक बना रहता है | बिंदी लगाने से यही लाभ प्राप्त होते हैं |
मेहंदी
मेहंदी लगाने से एक महिला के हाथ ज्यादा सुंदर तो लगने ही लगते हैं, लेकिन इससे हार्मोन पर भी प्रभाव पड़ता है | इससे शरीर को ठंडक मिलती है और दिमाग भी शांत होता है |
नाक की लौंग या नथ
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नाक की लौंग यानि नोज पिन या नथ पहनने से श्वसन तंत्र सुचारू रूप से काम करता है |
कान के झुमके, टॉप्स, या बालियाँ
इनसे एक्यूप्रेशर होता है | कान की नसें स्त्री की नाभि से लेकर पैर के तलवों के बीच के सभी अंगों को प्रभावित करती हैं | इसलिए कान में छेद कराके उसमें धातु (विशेषकर सोना) धारण करने से स्त्रियों को पीरियड्स से संबंधित समस्याएं नहीं होती हैं | सोने के इयर रिंग्स से शारीरिक उर्जा और बल का विकास होता है |
बिछिया
बिछिया को विवाहित स्त्रियाँ दोनों पैरों की उँगलियों में पहनती हैं | बिछिया से भी एक्यूप्रेशर होता है और स्त्री का शरीर स्वस्थ रहता है | इससे गर्भाशय और हृदय से संबंधित परेशानियां नहीं होती हैं | मासिक धर्म से संबंधित समस्याओं से भी निजात मिलती है | गर्भधारण में परेशानी नहीं होती है |
पायल
पैरों में पायल पहनने से पैर सुंदर तो लगते ही हैं, लेकिन इसके साथ-साथ पीठ, और कमर से नीचे के अंगों से संबधित रोगों से निजात मिलता है | पायल पहनने से हड्डियाँ भी मजबूत होती हैं | स्वास्थ्य लाभ के लिए ये जरूरी है कि आपकी पायल चांदी की ही हो |
गजरा
बालों में गजरा लगाने से घर सुगन्धित रहता है | फूलों की खुशबू से स्त्री का मन भी प्रफ्फुलित रहता है और पति भी सुगंध के कारण पत्नी की तरफ आकर्षित होता है |
क्या आप इन बातों से सहमति रखती हैं? क्या आप को और किसी हिन्दू रस्म के पीछे के वैज्ञानिक कारणों के विषय में जानकारी है? अपनी राय और जानकारी हमारे साथ जरूर बाटें.
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