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हिन्दू धर्म के विभिन्न कैलेंडर: शक सम्वत और विक्रम सम्वत में क्या अंतर हैं?

सम्वत को समय की गणना का भारतीय मापदंड माना जाता है. भारत में दो सम्वत प्रचलित हैं, शक और विक्रम सम्वत. इनके बारे में विस्तार से जानिये इस लेख में.

भारत में समय गणना के लिए जिस समय माप का सहारा लिया गया है उसे सम्वत कहते हैं. वैसे तो भारत में समय गणना के लिए अनेक संवत प्रचलन में रहे हैं लेकिन मुख्य रूप से जो सबसे अधिक प्रयोग किए गए वो हैं, विक्रम संवत और शक संवत.

संवत का इतिहास:

इतिहास में इस बात के तथ्य मौजूद हैं जिनसे पता चलता है कि भारत में संवत का प्रयोग लगभग 2000 वर्ष से ही होना शुरू हुआ है. इससे पहले शासन वर्ष का उपयोग समय की गणना के लिए किया जाता था. महान शासक अशोक, कौटिल्य, कुषाण और सातवाहन तक यह गणना चलती रही. इससे इतिहासकारों में भ्रम की स्थिति बनी रही. हिंदुओं का सबसे प्राचीन संवत ‘सप्तऋषि संवत’

 

 

 माना जाता है जिसका आरंभ विक्रम संवत से पूर्व 6676 ई.पू. हुआ था और इसकी शुरुआत 3076 ई. पू. हुई थी. इसके बाद कृष्ण कैलेंडर और फिर कलियुग संवत का प्रचलन हुआ था. इसके बाद 78 ई.पू. शक संवत और 57 ई. पू. विक्रम संवत का आरंभ हुआ था.

शक संवत

शक संवत भारत का राष्ट्रीय कैलंडर है. इस संवत का आरंभ 78 ई. पू. हुआ था. इस संवत का आरंभ कुषाण राजा ‘कनिष्क महान’ ने अपने राज्य आरोहण को उत्सव के रूप में मनाने और उस तिथि को यादगार बनाने के लिए किया था.

 

 

 इस संवत के पहली तिथि चैत्र के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा है और इसी तिथि पर कनिष्क ने राज्य सत्ता सम्हाली थी. यह संवत अन्य संवतों की तुलना में कहीं अधिक वैज्ञानिक और त्रुटिहीन है. यह संवत प्रत्येक वर्ष में मार्च की 22 तारीख को शुरू होता है और इस दिन सूर्य विषुवत रेखा के ऊपर होता है और इसी कारण दिन और रात बराबर के समय के होते हैं. शक संवत के दिन 365 होते हैं और इसका लीप ईयर भी अँग्रेजी ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ ही होता है. लीप ईयर होने पर शक संवत 23 मार्च को शुरू होता है और उसमें 366 दिन होते हैं. भारत में इस संवत का प्रयोग वराहमिरि द्वारा 500 ई. से किया जा रहा है.

विक्रम संवत:

विक्रम संवत की शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने 57 ई.पू. की थी. कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने अपनी सम्पूर्ण प्रजा का ऋण खुद चुकाकर इस संवत की शुरुआत करी थी. विक्रम संवत में समय की पूरी गणना सूर्य और चाँद के आधार पर की गयी है यानि दिन, सप्ताह, मास और वर्ष की गणना पूरी तरह से वैज्ञानिक है. पौराणिक कथा के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना आरंभ करी थी इसलिए हिन्दू इस तिथि को ‘नववर्ष का आरंभ’ मानते हैं. इसके अतिरिक्त इस तिथि से नवरात्रे भी शुरू होते हैं. 

 

 

विक्रम संवत और शक संवत में अंतर:

वैसे तो शक संवत और विक्रम संवत के महीनों के नाम एक ही हैं और दोनों संवतों में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष भी हैं. अंतर सिर्फ दोनों पक्षों के शुरू होने में है. विक्रम संवत में नया महीना पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष से होता है जबकि शक संवत में नया महीना अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष से शुरू होता है. इसी कारण इन संवतों के शुरू होने वाली तारीखों में भी अंतर आ जाता है. शक संवत में चैत्र के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा, उस महीने की पहली तारीख है जबकि विक्रम संवत में यह सोलहवीं तारीख है.

इस तरह भारत में समय की सटीक गणना करने में इन दोनों संवतों की ख़ास भूमिका है.

 

 

Charu Dev

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  • बेहतरीन ज्ञान !
    अफसोस आप जैसे लोगो का ज्ञान जनता तक नहीं पहुंच पाता और लोग गुमराह होते रहते हैं

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