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प्रीत का रंग

“पांखुरी, यूं अकेले-अकेले होठों ही होठों में क्यों मुस्कुरा रही हो”, आरोह ने अपनी पत्नी से पूछा।

“वो तरु का फोन था, तो बस उसकी एक पुरानी बात याद आ गई”।

“कौन सी बात?”

“अपनी शादी के दो तीन साल बाद तरु ने मुझ से पूछा था, “दीदी, दिन रात सालों साल सुबह शाम एक ही इंसान के साथ रहते रहते आप बोर नहीं हो जाती हो? बस उसी बात पर हंसी आ गई”।

“अच्छा, तो तुमने क्या जवाब दिया”?

“नहीं नहीं, यह आपसे शेयर करने की बात नहीं है”।

“नहीं, नहीं बताओ तो प्लीज़”।

“छोड़ो भी, क्या करोगे जानकर?”

“नहीं, नहीं अब तो यह बात सुननी ही है हर हाल में, सच सच बताना, अपनी शादी को पाँच साल होने आए, तुम क्या तनिक भी ऊबी नहीं मुझसे”?

“नहीं, सवाल ही नहीं, अलबत्ता मुझे जरूर लगता है, जनाब मुझे चौबीसों घंटे अपनी आँखों के सामने देख जरूर मुझसे उकता गए हैं। तभी तो आफिस से रोजाना ही देर से आते हो”।

“ये बात पलटो मत तुम। तुम्हारा जवाब क्या था”?

“उफ, कोई जबर्दस्ती है, जाओ मैं तुम्हें नहीं बताती,” इस बार पांखुरी ने तनिक इठलाते हुए  आरोह से कहा”।

“जवाब नहीं दोगी, अच्छा कैसे नहीं दोगी, छूट कर दिखाओ अब,” आरोह ने पांखुरी के दोनों हाथों को ज़ोर से अपनी मजबूत जकड़ में लेते हुए कहा।

“उफ, ये तो जबर्दस्ती कर रहे हो तुम”।

“बिलकुल, जब तक मुझे अपना जवाब नहीं बताओगी, तुम्हें मुझसे आज़ादी नहीं मिलने वाली”।

इस बार पैंतरा बदलते हुए अपनी आँखों में भरपूर  शैतानी की चमक लाते हुए पांखुरी ने आरोह से कहा, “तो यहाँ मुक्ति चाहता ही कौन है”? चाहो तो जिंदगी भर यूं ही थामे रहो”।

“अच्छाजी यह बात है? ठीक है फिर, आज आफिस की छुट्टी। वैसे भी इस महीने मेरी सारी सी. एल. लैप्स होने वाली हैं, आज का सारा दिन हम मलिकाए पांखुरी की खिदमत में रहेंगे। लेकिन तुम्हारा जवाब”?

“उफ, तुम  नहीं मानोगे। मैंने तरु से कहा, शादी का बंधन जितना पुराना होता जाता है, उसमें प्यार का रंग उतना ही गहराता जाता है, उसमें ऊब और उकताहट की तो कोई गुंजाइश ही नहीं होती”।

“और”?

“और जहां तुम्हारे जैसा खुले ख्यालों वाला मेरी हर इच्छा पूरी करने वाला पति हो तब तो शादी एक हसीं ख्वाब बन कर रह जाती है। सच आरोह, तुम बहुत ही अच्छे हो। तुमने मुझे अपने पंख फैला कर उड़ने के लिए पूरा आसमान दिया है, बिना किसी रोकटोक के। मैं जैसी हूँ, तुमने मुझे वैसे ही अपनी ज़िंदगी में शामिल किया है”।

“अच्छा तो मैं इतना अच्छा हूँ, और वो जो कभी तुम मुझसे रूठ कर अपने मायके जाने के लिए सूटकेस पैक कर लेती हो, वह क्या है”? “वह तो मीठे मुंह को तनिक नमकीन करने के लिए श्रीमान”, और पांखुरी ज़ोरों से हंस दी। उसकी आँखों में झाँकते हुए आरोह भी विहंस पड़ा।

Renu Gupta

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  • कहानीकार रेणु जी ने बड़ी सूंदर कथा रूप में पति पत्नी की नोक झोंक दर्शाई है। बधाई

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