धर्म और संस्कृति

गोवर्धन पूजा की विधि और महत्व

पारम्परिक और पौराणिक त्योहारों की हमारे देश में कोई कमी नहीं है। दिवाली एक दिवसीय त्यौहार न होकर पुरे ५ दिनों तक मनाया जाता है। हर दिन का अपना एक अलग महत्व है। आज हम बात करेंगे गोवर्धन पूजा की विधि और उसके महत्त्व की। क्यों आखिर मनाया जाता है गोवर्धन पर्व और क्यों इस दिन गोबर से प्रतीकात्मक चीजे बनाये जाती है ?

पूजा विधि और महत्त्व जानने से पहले यह जान ले की गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है? द्वापर युग में श्री कृष्णजी जब अपने मित्रो के साथ गोवर्धन पर्वत के पास खेलने गए, तो उन्होंने सारे ग्राम वासियो को वहाँ एकत्रीत पाया।

वह सब किसी पूजा की तैयारियों में लगे हुए थे। यह देख श्री कृष्णजी ने उनसे कहा कि यह सब क्या हो रहा है ? तो ग्राम वासियो ने उत्तर दिया कि यह इंद्र देव की पूजा की तैयारी हो रही है। प्रतिवर्ष वर्षा से पहले हम सब मिलकर भगवान इंद्र की पूजा जिससे वह प्रसन्न होकर गोकुल में अच्छी वर्षा होने का वरदान दे। यह सुनकर कृष्ण जी ने कहा कि वर्षा तो प्रकृति के कारन होती है , पूजा करना ही है तो गोवर्धन पर्वत की कीजिये ,पेड़ पौधों की कीजिये।

गोकुल वासियो ने फिर गोवर्धन पर्वत की पूजा की जिससे इंद्र देव ने रुष्ट होकर अपना प्रकोप गोकुल पर बरसा दिया। तेज बारिश से बचने के लिए ग्रामवासी तब श्री कृष्ण जी की शरण में गए तो उन्होंने कहा आप घबराइए मत सबको अब गोवर्धन ही बचाएंगे। सारे ग्राम वासी तब गोवर्धन पर्वत के पास गए तब श्री कृष्ण जी ने गोवर्धन को अपनी छोटी उंगली उठाकर सारे गाँव को बचा लिया। इससे भगवान इंद्र को अपनी गैलरी का एहसास हुआ और उन्होंने कृष्ण जी से माफ़ी मांग ली।

तब से गोवर्धन की पूजा की जाती है। यह पूजा करने से हम प्रकृति को धन्यवाद देते है। प्रकृति हमे सबकुछ निस्वार्थ भाव से देती है इसलिए हम उसके कृतज्ञ है। धरती पर जीवन के लिए वर्षा जरुरी है जो प्रक्रुति की वजह से हमे प्राप्त होती है , इस लिए यह दिन पूरा प्रकृति को सम्पर्पित होता है।

गोवर्धन पूजा विधि:

दिवाली के दूसरे दिन ही गोवर्धन पूजा की जाती है।

1) इस दिन प्रातः सवेरे स्नान कर पुरे घर को स्वच्छ किया जाता है और गोबर द्वारा घर के बाहर भगवन गोवर्धन की आकृति उकेरी जाती है।

2) इनके पास में ही श्री कृष्ण जी की मूर्त भी विराजमान की जाती है।

3) इसके पश्चात इनकी पुष्प हार से पूजा की जाती है और प्रसाद भी चढ़ाया जाता है।

4) प्रसाद में दही, चीनी से लेकर छप्पन भोग तक अपनी श्रद्धा अनुसार रखा जाता है।

5) गोवर्धन पूजा के दिन, इनके साथ-साथ इंद्र देव , अग्नि देव , वायु देव की भी पूजा करते है।

कई लोग इस दिन ब्राह्मण भोज भी करवाते है। यह करना या नहीं करना, आपकी अपनी मान्यता और श्रद्धा के अनुसार है।

Jasvinder Kaur Reen

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