इस लेख का शीर्षक बहुत से लोगों के मन भावनाओं में भूचाल ले आ सकता है। गोरखपुर में ५० से भी अधिक शिशुओं की असामयिक मृत्यु अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है एवं एक चिंता का विषय भी है। इस देश का एक एक नागरिक इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की निंदा कर रहा है।
ऐसी परिस्थिति में लोगों से मिलने वाली यह प्रतिक्रिया समय के अनुसार सहज एवं उचित भी है। जिस देश में बच्चों को भगवान का रूप करार दिया जाता है, उस देश में ऐसी घटना की उम्मीद तो कोई अपने सपने में भी नहीं कर सकता है।

कहा जाता है, कि कभी भी ताली एक हाथ से नहीं बजती है। ठीक वैसे ही किसी घटना का घटना सदैव एक दैवी संयोग मात्र ही नहीं कहला सकता है। चंद लोगों की गैरजिम्मेदारी कई सौ लोगों के घरों में मौत का कारण भी बन सकता है। हम उन लोगों के दुःख का अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते हैं, जिन्होंने इस गैरजिम्मेदारी के चलते अपने घर के चिराग खो दिये।
इस दुनिया में लगभग सभी चीजों का भुगतान हो सकता है, पर किसी रिश्ते का भुगतान कोई कैसे कर सकता है। यह निर्दोष लोगों को का नुकसान है, जिसका मुआवजा खुद भगवान भी नहीं कर सकता है।
वहीं दूसरी और छत्तीसगढ़ में लगभग २०० से अधिक गायों की मृत्यु होना भी एक बहुत ही शर्मनाक घटना है।

जिस देश में गायों को माँ का दर्जा किया जाता है, जिस मिट्टी पर उसे देव तुल्य मानकर पुजा जाता है, उसी देश में कौन सोच सकता है, कि कुछ लोगों की गैरजिम्मेदारी का शिकार उन बेजुबान और मासूम गायों को बनना पड़ेगा। ऐसे में देखा जाये तो सोशल मीडिया में कितने ही लोग निकल आएंगे जो पशु पक्षियों के प्रति संवेदनाशील हैं, परंतु इन्सानों के असली किरदार की झलक उनकी असल जिंदगी में ही दिखाई देती है।
भूख के मारे कितनी सारी गायें मौत को समर्पित हो गईं और कई सारी गायें मूर्छित हो गयी हैं, हालांकि ऐसी संभावना है, कि इसकी संख्या में बढ़ोत्तरी देखी जा सकती है। इसके ही साथ साथ एक ढहती दीवार के चलते कई सारी गायें मृत्यु को प्राप्त हो गईं।

काश लोगों ने गायों से पहले अपना सोच लिया होता, कम से कम उसे इस बात का तो अंदाज़ा हो ही जाता कि भूख कितनी बुरी चीज़ है। खैर, गायों का क्या है, उनके तो घर परिवार नहीं होते और न ही उनके जाने के बाद उनके लिए कोई रोने वाला है। पर उन बच्चों के तो घर परिवार थे, उनके जाने के बाद तो उनके माता-पिता और पूरे परिवार का तो पूरा संसार ही उजड़ गया।
कितना शर्मनाक हादसा है पूरे देश के लिए, क्योंकि जिस देश में बच्चे भगवान का रूप होते है और गाय माता तुल्य है, उसी देश में ५० से भी अधिक बच्चे और २०० से भी अधिक गायें अपना दम तोड़ती हैं।

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