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गोपाष्टमी पूजा विधि: जानिये इस शुभ दिन गौ माता व बछड़े की पूजा करने की सम्पूर्ण विधि

हिन्दू धर्म में गाय को माता का स्थान दिया गया है। सिर्फ इतना ही नही, लोगों के मध्य ऐसी भी मान्यता है कि गाय के अंग प्रत्यंग में देवी-देवताओं का निवास होता हैगोपाष्टमी के दिन गायों की पूजा की जाती है।

इस वर्ष गोपाष्टमी कब है?

गोपाष्टमी कार्तिक शुक्ल पक्ष के आठवे दिन मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष की तारीख है: शनिवार, २८ अक्टूबर 2017

ध्यान रखें कि इस वर्ष अष्टमी की तिथि अंग्रेजी दिनांक २८ अक्टूबर को सांय ४:५१ पर समाप्त हो जाएगी, तो गोपाष्टमी पूजन का कोई भी कार्य उसके पहले संपन्न कर लें।


पौराणिक कथाओं के अनुसार देवराज इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों की रक्षा करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपने हाथ की कनिष्ठ उंगली से ही विशाल गोवर्द्धन पर्वत को उठा दिया था जिससे समस्त ब्रजवासियों और गायों को सुरक्षा मिल सके। इसी वजह से इस पर्व का नाम गोपाष्टमी पड़ा है। इस दिन गायों को पूजा जाता है। आईये, आज इस लेख के ज़रिए गोपाष्टमी की सम्पूर्ण पूजा विधि जान लेते हैं।

इस दिन गायों की विशेष रूप में पूजा करने का विधान है। इस दिन प्रातः काल उठ कर एवं उसके पश्चात स्नान आदि से निवृत्त होकर गौ पूजन की विधि आरंभ की जाती है। अतः इस दिन प्रातः काल गायों को स्नान आदि करवा कर सुसज्जित किया जाता है। इसके पश्चात गायों की फूल एवं गंध आदि से पूजा की जाती है। इन विधियों के पश्चात अपनी गायों के साथ कुछ दूर तक चला भी जाता है।

गोपाष्टमी पूजा विधि

१. सुबह-सवेरे गौ माता को अच्छे से नहलाएं, धुलायें।
२. गाय और बछड़े दोनों के सामने नमन कर उन्हें तिलक लगाएं।
३. गौ माता के गले में फूलों की माला लगाएं। आप अन्य तरह से भी उन्हें पुष्प चढ़ा सकते हैं।
४. गौ माता को थोड़ा सा गुड़ और चावल (भात) का प्रसाद खिलाएं।
५. खिलाने के बाद उन्हें पानी पिलाएं
६. गौ माता की आरती कर उन्हें नरम घास खाने को दें
७. अब गौ माता की परिक्रमा करें
८. अब गौधूल (गाय के पैरों के निचे कि धुल या मिटटी) अपने माथे पर लगाएं। ऐसा करने से आजीवन समृद्धि और खुशाली का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

ऐसा करने का कारण यह है कि लोगों में ऐसी मान्यता है कि गायों के साथ चलने से चलने वाले की प्रगति के मार्ग प्रशस्त होते हैं। गोपाष्टमी पूजा के पश्चात गायों को उनका मनपसंद भोजन पेटभर कर पूरी संतुष्टि के साथ कराना चाहिए। इससे गायें बहुत प्रसन्न होती हैं। इन विधियों के पश्चात गौमाता के चरणों को स्पर्श कर उसका आशीर्वाद लेना चाहिए। लोगों में ऐसा विश्वास है कि गौ माता के आशीर्वाद से हमारे सौभाग्य की वृद्धि होती है।

यदि आपके घर में गाय नही हैं तो इस दिन आप चाहें तो अपने नजदीक किसी भी गौशाला में जाकर गायों की सेवा भी कर सकते हैं। रोज रोज यदि आपको  गायों की सेवा करने का अवसर नहीं मिल पाता है तो आप इस दिन किसी भी गौशाला में जाकर गायों की सेवा करने का प्रयास अवश्य ही करें।

गौ पूजन के लिए आप दीपक, गुड़, केला, लडडू, फूल माला, गंगाजल इत्यादि वस्तुओं का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। गायों को आप चाहें तो फूल इत्यादि से भी सुसज्जित कर सकती हैं। इसके पश्चात महिलाओं गायों को तिलक लगाती हैं। इन सबके अलावा आप शाम के समय अपने घर में भजन कीर्तन भी करा सकते हैं। गोपाष्टमी के शुभ अवसर पर बहुत सारी जगहों पर अन्नकूट के भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। इस दिन भक्त इस अन्नकूट के भंडारे का प्रसाद भी ग्रहण करते हैं। बहुत से मंदिरों में प्रवचन और भजन कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर भजन कीर्तन में सम्मिलित होने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है।

शिवांगी महाराणा

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