जी हाँ ये सच्च है । कोलकाता की जान समझे जाने वाले हावड़ा ब्रिज के ढ़हने का समय आ गया है । पैदल यात्रियों द्वारा रोज़ाना फेंके जाने वाले पान गुटखे की पीक ने ब्रिज की हालत नाज़ुक कर दी है।
इंजीनियरों की टीम ने जब ब्रिज का मुआयना किया तो, ये बात सामने आई की ब्रिज के कई कल पुर्ज़े जंग से खराब हो चुके हैं, कुछ तो टूटने की कग़ार पर है । ये जंग हमारे कोलकाता वासियों द्वारा ही लगाई गई है।
गौरतलब है, कि हावड़ा ब्रिज से हज़ारों लोगों , सामान की आवा जाही होती है.अगर ऐसे में ब्रिज ही नहीं रहा तो कोलकाता की लाइफ लाइन तो रुक ही जाएगी।
इस बात का पता 2010 में हुआ जब इंजीनियरों की एक टीम ने ब्रिज का रूटीन जायज़ा लिया । उस समय ये पता चला की ब्रिज के बियरिंग्स में जंग लग गयी है । ये बात मीडिया में भी काफी उछली।
शहर के नामी हस्तियों ने अभियान में शामिल होकर लोगों से अपील की वे गुटखे का प्रयोग कम करें तथा ब्रिज के ऊपर किसी भी प्रकार की गन्दगी न फैलाए। कुछ दिनों तक ये अभियान ने ज़ोर पकड़ा फिर धीरे – धीरे ये अभियान ठन्डे बस्ते में चला गया। लोग फिर से अपनी सामान्य अवस्था में गंदगी फैलाने लगे।प्रसाशन ने भी आँखे मूँद ली है।
अब तो जैसे जैसे समय बीत रहा , स्थिति और भी ज़्यादा भयावह होती जा रही है। हमारे प्रधानमंत्री जी ने स्वस्छ भारत अभियान की शुरूआत तो काफी दिनों पहले की थी, लेकिन ये अभियान समाज में कितनी अपनी जगह बना पाया इस ब्रिज की हालात से साफ़ पता चल रहा है।
भारतवासियों की मानसिक स्थिति इतनी अजीब है, जिसे सुधार करना किसी के बस की बात नहीं। चाँद तक पहुँच चुके हैं हमलोग, लेकिन आज भी अपने रास्तों शहरों को गन्दा करते हैं। कूड़ा कचड़ा गलत जगह फेकते हैं।
खुले में शौच करते हैं। क्या किसी ने कभी ये सोचा, कि हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी के कुछ काम हमारे लिए कितने ख़राब है, लेकिन कोई इसके बारे में अगर कुछ समझने जाए तो रुढ़िवादि परांपरा बीच में आ जाती है।
हमारे देश के 40% युवा आज गुटखे की लत से परेशान हैं । जो इसके आदि हैं, उन्हें पता है ये कितनी ख़राब लत्त है। कई जाने भी गयी है इसके कारण लेकिन लोग सुनते कहा हैं।
युवा खासकर इस लत को अपनाते हैं, क्योंकि वे इसे कूल बनने की परिभाषा समझते हैं। लेकिन क्या ये सही है? हमे खुद ये समझना होगा, कि हम अपने समाज को अपने आप को कहा लेकर जा रहे है। अगर हम अपनी मानसिकता को ऊपर करेंगे तभी हमारे समाज का विकास होगा और बिना समस्त विकास के जीवन असंभव है।
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