गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के द्वारा किया जाने वाला आहार गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास व स्वास्थ्य पर सीधे तौर पर प्रभाव डालता है। इसी वजह से महिलाओं को इस अवस्था में खाने-पीने पर विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए।
➡ क्यों गर्भवती महिलाओं को पपीता नहीं खाना चाहिए?
गर्भवती महिलाओं द्वारा शाकाहारी भोजन का सेवन ही उत्तम होता है। इस प्रकार का आहार महिलाओं को सही वजन व पोषण प्रदान करता है। शाकाहारी आहार शिशु के सम्पूर्ण विकास के लिये भी सर्वोत्तम उपाय है। यह महिलाओं में मधुमेह की समस्या को बढ़ने से रोकता है, जो शिशु के लिए अत्यंत लाभकारी है। शाकाहारी आहार गर्भवती महिलाओं को और किन-किन तरीकों से लाभ पहॅुचाता है, इसके बारे में हम आपको यहॅा बता रहें हैं।
गर्भवती महिला द्वारा साबुत अनाज जैसे- भूरे चावल, पास्ता, ब्रेड एवं ओट्स आदि खाने से आवश्यक ऊर्जा व विटामिन्स की प्राप्ति होती है। इनमें उपस्थित विटामिन बी एवं आहार सम्बन्धी रेशे पेट में कब्ज एवं गैस की शिकायत नहीं होने देते । गर्भवती महिला में कब्ज की बीमारी बच्चे पर विपरीत प्रभाव डाल सकती है। गर्भवती महिलाओ को मुख्य रूप से हरी सब्जियाँ एवं फल अपने आहार के रूप में ग्रहण करने चाहिए। फल व सब्जियों में खनिज, विटामिन्स एवं फोलिक एसिड की भरपूर मात्रा पाई जाती है। जो भ्रूण को तंत्रिका नलिका में होने वाली बीमारियों से दूर रखती है। इन बिमारियों से बच्चे में मस्तिष्क एवं रीड की हड्डी में होने वाली विकलांगता हो सकती है। फोलिक एसिड बच्चे में दिमाग के विकास में सहायक होता है।
गर्भावस्था के दौरान संतरा व कीवी जैसे रसदार फलों का सेवन शरीर को आयरन प्रदान करता है एवं इनमें उपस्थित विटामिन सी शरीर को अन्य कई बीमारियों से बचाए रखता है।
गहरे रंग की सब्जियाँ जैसे कद्दू, टमाटर आदि में पाई जाने वाली केरोटीन की अधिक मात्रा शरीर में विटामिन ए की पूर्ति में सहायक होती है। इसीलिए इनका अत्यधिक सेवन बच्चे को भी स्वस्थ बनाए रखेगा।
सोयादूध, सारडाइन व टोफू आदि बिना दूध वाले खाद्य पदार्थों एवं इनके अतिरिक्त कम चिकनाई वाला दूध, दही, चीज या पनीर का सेवन करना गर्भवती महिला के लिए अत्यधिक लाभदायक सिद्ध होता है। इन सबसे शरीर में कैल्शियम की मात्रा की पूर्ति होती है जो की बच्चे की हड्डियों व दांतों को मजबूती प्रदान करता है।
शाकाहारी पदार्थों में पाया जाने वाला आयरन महिला में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बनाए रखता है। हीमोग्लोबिन से भ्रूण में रक्त का प्रवाह निरंतर बना रहता है, परन्तु ध्यान रहे कैल्शियम एवं आयरन युक्त पदार्थों का सेवन एक साथ ना करें, यह बच्चे के शरीर पर विपरीत प्रभाव भी डाल सकता है।
गर्भवती महिला को शाकाहारी पदार्थों में दालें, सोया एवं अंकुरित अनाज जैसे मटर, चने आदि का सेवन करना चाहिए। ऐसी अवस्था में महिला और बच्चे को लगभग 10 ग्राम प्रोटीन की मात्रा की आवश्यकता होती है, इन सब से उन्हें भरपूर प्रोटीन प्राप्त होता है।
अतः गर्भावस्था के दौरान शाकाहारी फल एवं सब्जियों का सेवन माँ एवं बच्चे दोनों को स्वस्थ बनाए रखता है। हरी सब्जियों एवं रसदार फलों के सेवन से शरीर को आइरन, फाइबर, कैल्शियम एवं प्रोटीन्स की प्राप्ति होती है। प्रत्येक दिन कम से कम एक गिलास दूध या दूध से निर्मित अन्य पदार्थों के सेवन से माँ व शिशु दोनों स्वस्थ रहते है। इसीलिए ऐसे समय में प्रत्येक गर्भवती महिला को अपने बच्चे एवं अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिए शाकाहारी पदार्थों का सेवन ही करना चाहिए।
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