भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को पड़ता है गणेश चतुर्थी का त्यौहार। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इसी दिन हुआ था विघ्नहर्ता, प्रथम-पूज्य भगवान गणेश का जन्म। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष यह अगस्त या सितम्बर के महीने में पड़ता है। ११ दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार का समापन होता है अनंत चतुर्दशी वाले दिन।
२०१८ में गणेश चतुर्थी मनाई जायेगी १३ सितम्बर को और २३ सितम्बर को होगी अनंत चतुर्दसी जिस दिन विनायकजी का गाजे-बाजे के साथ विसर्जन किया जाएगा और साथ ही उनसे अगले वर्ष ज़ल्दी लौट आने का आग्रह भी किया जाएगा।
कैसे होती है गणेश पूजा?
गणेश चतुर्थी को विनायकजी की सुन्दर प्रतिमाओं को घर में और पंडालों में बैठाया जाता है। दोपहर को, यानी कि दिन के मध्याह्न में पूजा आरम्भ होती है।
सर्वप्रथम कलश की स्थापना की जाती है और प्राण प्रथिष्ठा के द्वारा गणेशजी का आवाहन किया जाता है। मूर्ति के भीतर विनायकजी की शक्तियों का जागरण किया जाता है।
ततपश्चात, षोडशोपचार पूजा के द्वारा गणेशजी को पूजा जाता है। पुष्प, धुप, दीप, नारियल आदि गणेशजी को अर्पित की जाती है। भोग में विघ्नहर्ता को उनके प्रिय मोदक या बूंदी के लड्डू चढ़ाए जाते हैं। अंत में गणेशजी की आरती की जाती है। पूरे ११ दिनों तक इसी तरह रोज गणेशजी की पूजा की जाती है और रोज शाम को भी संध्या आरती के द्वारा विघ्नहर्ता को पूजा जाता है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेशजी प्रथम-पूज्य हैं, उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। बुद्धि, विवेक, ज्ञान के साथ-साथ वो रिद्धि-सिद्धि और सुख समृद्धि भी प्रदान करने वाले माने जाते हैं।
ऐसा माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन भक्ति-भाव और श्रद्धा से गणेशजी की पूजा करने से व्यक्ति सभी विघ्न-बाधाओं से मुक्त हो, सुख समृद्धि प्राप्त करता है। अपने सच्चे भक्तों को विनायकजी कभी खाली हाथ नहीं लौटते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
अनंत चतुर्दसी कैसे मनाई जाती है?
ग्यारहवे दिन, अनंत चतुर्दसी को गणेशजी का विसर्जन होता है। यह दिन भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चौदस को पड़ता है। २०१८ में अनंत चतुर्दसी का शुभ मुहूर्त (यानी कि २३ सितम्बर) सुबह ९:१२ बजे से लेकर दोपहर १:५४ तक पड़ रहा है और इसी दौरान श्रद्धालुओं को विसर्जन की क्रिया पूरी करनी है।
गणेश चतुर्थी से जुड़ी एक विचित्र मान्यता
ऐसी मान्यता है कि गणेश चतुर्थी वाले दिन चाँद के दर्शन नहीं करना चाहिए। यदि किसी ने इस दिन चाँद को देख लिया तो उसे मानहानि उठानी पड़ सकती है।
कहा जाता है एक बार भगवान् श्री कृष्ण ने इसी दिन, अर्थात भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को चन्द्र दर्शन कर लिए थें जिसके कारण उन पर चोरी का झूठा आरोप लग गया और उनके सम्मान को ठेस पहुंची।
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