दुर्गा पूजा, जिसे कुछ भागों में शारदीय नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है, अब बस कुछ ही दिनों के पश्चात है। ऐसे में बंगाली लोगों में उल्लास कुछ अलग किस्म का है। बाज़ारो में अलग ही रौनक है ।
लोग भीड़ लगाकर ख़रीदारी कर रहे हैं, अपने परिवार अपने रिश्तेदारों के लिए । इस दौरान पूरा शहर एक अलग ही रंग में रंगा होता है। हर जगह रौशनी टिम टिमा रही होगी और वातावरण संगीतमय होगा , चाहे छोटी से छोटी जगह ही क्यों न हो।
अगर आप पूजा इस साल कलकत्ता में मनाने को सोच रहे हैं, तो इन ख़ास पंडाल में अवश्य जाएँ।
नार्थ कलकत्ता , शोभा बाजार फेरी के नज़दीक ये पंडाल ज़्यादा पुराना नहीं है । लेकिन इसकी चमक ही अलग है। तंग गलियों के बीच न जाने कितने वर्षो से हज़ारों कुम्हार कलाकार रह रहे हैं और प्रतिवर्ष माँ की प्रतिमा को नया आयाम दे रहे हैं। उन लोगों के लिए समर्पित ये पूजा पंडाल अपने संस्कृति को आज भी संजोए हुए है।
यहाँ की दुर्गा पूजा हर साल न सिर्फ पुरे कलकत्ता वासी बल्कि देश विदेश का भी ध्यान आकर्षित करते हैं । यहाँ हर साल कुछ न कुछ नया थीम होता है और बॉलीवुड और टॉलीवुड के कलाकार भी यहाँ की पूजा में शामिल होते है। पिछले वर्ष विद्या बालन और ऋतुपर्ण सेनगुप्ता सहित बॉलीवुड और टॉलीवूड के कई नामी कलाकार यहां के पंडाल में देखे गए.
इस बार ये लोग बाहुबली थीम पे पूजा पंडाल को रूप देंगे। तो अगर आप अमरेंद्र बाहुबली के सच्चे फैन है , यहाँ जाना न भूलें।
3. तेलंगनाबागान सार्वजनीन दुर्गा पूजा
यहाँ के पंडाल की ख़ासियत है – माँ की प्रतिमा । यह पूजा पंडाल माँ और बाकि देवताओं की मनमोहक मूर्ति के लिए प्रसिद्द है । यहां, माँ कि प्रतिमा इतनी सुन्दर और भव्य होती है कि किसी नास्तिक के मन भी श्रद्धा भाव जाग जाये.
अगर आपको रंग बिरंगे क्रिएटिविटी से भरे पंडाल और मूर्ति पसंद हैं, तो यहाँ आना न भूलें। यह पूजा पंडाल थीम बेस्ड दुर्गा , रंग बिरंगे थीम बेस्ड पंडाल का आयोजन करते हैं, जो एथनिक के साथ मॉडर्न टच देता है।
जहाँ पूरा कलकत्ता थीम बेस्ड पंडाल लगाने में व्यस्त है, वहीं लेक टाउन के इस पंडाल में आज भी सादगी से पूजा मनाई जाती है। ये लोग कोई आर्टिफीसियल डेकोरेशन नहीं करते, बल्कि हमारे समाज और रोज़मर्रा से जुड़े तत्वों से थीम बनाते हैं। इन सब चीज़ों के कारण ही, ये लीग से हटके है और लोग यहाँ देखने आते हैं।
इस जगह की ख़ास बात यही है, कि हर साल ये लोग अपने पंडाल को किसी न किसी प्रसिद्ध मोन्यूमेंट की शक्ल देते हैं। ये लोग हर साल तरह तरह के प्राइज़ेज़ भी ले जाते हैं । इन्हीं सब कारणों से यहाँ हज़ारो की तादाद में लोग इस पंडाल को देखने आते हैं।
1963 से चल रहे इस दुर्गा पंडाल ने बंगाल के संस्कृति को इस तरह से दर्शाया, कि लोग यहाँ अपने आप को लाए बिना रोक नहीं पाते हैं। चाहे वो बिष्णुपुर के टेराकोटा थीम हो या मलूटी ग्राम,हर साल ये पंडाल देखने लायक होता है।
माँ के आने का समय हो गया है, और कलकत्ता के भक्तगणों ने एक से एक जबरदस्त तैयारी की है माँ के स्वागत कि. दुर्गा पूजा के समय कलकत्ता कि सड़कों का और ट्रैफिक का जो हाल होता है, तो यह तो भूल ही जाइये कि आप सारे पंडाल देख पाएंगे. इसलिए, अपने पंडालों कि एक सूची अग्रिम में ही तैयार कर लीजिये – यही दसबस कि सलाह है!
खूबसूरत और चमकता चेहरा पाने की ख्वाहिश तो हर किसी की होती है लेकिन चेहरे…
मेथी एक ऐसी चीज़ है जो दिखने में छोटी होती है पर इसके हज़ारों फायदे…
यूं तो नवरत्न अकबर के दरबार में मौजूद उन लोगों का समूह था, जो अकबर…
वैसे तो गहरे और चटकदार रंग के कपडे किसी भी मौसम में बढ़िया ही लगते…
डैंड्रफ एक ऐसी समस्या है जो आपके बालों को तो कमज़ोर बनाती ही है, साथ…
हमारी त्वचा बहुत ही नाजुक होती है। यदि इसकी सही तरह से देखभाल नहीं की…