आप विवाह करने जा रही हैं, लेकिन अपने रिश्ते में परस्पर प्रेम, सम्मान, विश्वास और प्रतिबद्धता को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नहीं है। जब भी आप अपने आप से पूछती हैं, “क्या इस रिश्ते में आपसी प्रेम, सम्मान, विश्वास और प्रतिबद्धता का जज़्बा है, ?” इस प्रश्न का उत्तर ढूंढते हुए आप कंफ्यूज हो जाती हैं। तो इसका अर्थ है कि आपको यह विवाह कतई नहीं करना चाहिए।
याद रखें, विवाह तभी करना चाहिए जब आप अपने संबंध में परस्पर प्रेम, भरोसे और प्रतिबद्धता को लेकर 100% आश्वस्त हैं कि इस संबंध में बंध कर आप खुश रहेंगी। यदि आप यह अनुभूति नहीं करती तो आपको विवाह कतई नहीं करना चाहिए।
आपसी प्रेम ही वैवाहिक बंधन में बंधने का एकमात्र कारण होना चाहिए, लेकिन यह एक चौंकाने वाला तथ्य है कि अनेक युवक युवतियां परस्पर प्यार के अलावा अन्य कई कारणों से विवाह बंधन में बनने का निर्णय ले लेती हैं। अतः अपने पार्टनर के साथ दांपत्य जीवन में बंधने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आप मात्र निम्न बातों के मद्देनजर ही तो कहीं इस सात जन्मों के इस मधुर बंधन में बंधने तो नहीं जा रहीं।
आजकल उच्च शिक्षा प्राप्त करने की वजह से लड़कियां अमूमन 26- 27 – 28 वर्ष की उम्र तक विवाह बंधन में बंधती हैं। यदि कोई युवती इस उम्र तक वैवाहिक बंधन में नहीं बंधती, तो समाज, परिवार एवं मित्रों की ओर से उस पर शीघ्र विवाह करने का दबाव पड़ने लगता है। उनके अनुसार हर युवती को इस उम्र तक आते-आते विवाह कर ही लेना चाहिए।
युवतियों को समाज, परिवार एवं मित्रों की इस अपेक्षा के सामने घुटने नहीं टेकने चाहिए। “उम्र हो गई है, अतः अब मुझे विवाह कर ही लेना चाहिए”, यह सोच सही नहीं।
आपको विवाह तभी करना चाहिए जब आपको लगे कि आपको अपना सच्चा सोलमेट मिल गया है।
स्वयं अपनी सोच का दबाव महसूस करना एक अन्य गलत कारण है जिसकी वजह से अनेक युवतियां मानसिक रूप से तैयार हुए बिना विवाह करने का फैसला ले लेती हैं। वे सोचती हैं, उनकी उम्र बढ़ती जा रही है। वे स्वयं के बच्चे चाहती हैं। वे देखती हैं कि वक्त के साथ उनके इर्द गिर्द सभी समवयस्क युवतियों का विवाह हो चला है और वे अपना परिवार बढ़ा चुकी हैं। इसलिए वे स्वयं भी रिश्ते की अनुकूलता परखे बिना मात्र इस वज़ह से विवाह करने का निर्णय ले लेती हैं।
यह पूरी तरह से सामान्य है, परंतु उन्हें सोचना चाहिए कि क्या मात्र इस सोच की तहत किया गया विवाह उन्हें वास्तविक खुशी दे पाएगा सही लाइफ पार्टनर से किया गया विवाह निस्संदेह अनमोल खुशी देता है। लेकर परंपरावादी सोच कि विवाह एवं बच्चे करने की उम्र हो जाने के कारण समय रहते उन्हें विवाह बंधन में बंध ही जाना चाहिए, विवाह करने का एक गलत कारण है।
सही लाइफ पार्टनर के साथ विवाह प्यार एवं परस्पर प्रतिबद्धता का खूबसूरत रिश्ता होता है। अतः विवाह तभी करें जब इसके लिए आपका मन पूरी तरह से तैयार हो ना कि अपनी सोच के दबाव के तहत।
अनेक युवतियां जिंदगी की दौड़ में अकेले रह जाने के खौफ़ से बेमेल विवाह करने का निर्णय ले लेती हैं। जिंदगी की सांध्य बेला में अविवाहित अकेले रह जाने की दहशत इतनी तीव्र होती है कि भावी लाइफ पार्टनर की अनेक खामियों के बावजूद वे उससे विवाह करने का निर्णय ले लेती हैं।
ऐसा करना आपके लिए घातक हो सकता है। भावी जीवन साथी और अपने लिए उसके बेशर्त प्रेम, प्रतिबद्धता एवं अनुकूलता की ओर से 100% आश्वस्त होने पर ही विवाह का निर्णय लें।
आप किसी से मिलीं, उसे डेट किया, फिर आपने सगाई की और अब विवाह इसका अगला अनिवार्य एवं आवश्यक पड़ाव है। नहीं, मेरे विचार से ऐसा नहीं है।
अधिकतर युवतियां इसी मार्ग का अनुसरण करते हुए अंत में विवाह बंधन में बंध जाती हैं, लेकिन यदि आपको अपने संबंध में कभी भी किसी भी मोड़ पर एहसास हो कि आपका पार्टनर आपके अनुकूल नहीं है, तो उससे वैवाहिक रिश्ते में बंध कर आप पूरी तरह से सुखी नहीं हो पाएंगी। ऐसी स्थिति में आपका उस रिश्ते से अपने कदम वापस खींच लेना ही उचित होगा।
हां, यह कदम कभी जल्दबाजी में ना उठाएं। अपने संबंध का बारीकी से विश्लेषण करें। इस विषय पर गंभीर चिंतन मनन करें और फिर भी यदि आपको लगता है कि रिलेशनशिप के किसी भी पड़ाव पर आपका अपने पार्टनर से विवाह करना उचित नहीं होगा, अपने संबंध को वहीं विराम दे दें।
इस सोच के साथ अपने भावी पार्टनर के साथ विवाह के खूबसूरत रिश्ते में न बंधें। यदि आपको लगता है कि आपके पार्टनर में कोई गंभीर खामी है, लेकिन आपको अपनी कुछ सीमाओं की वजह से उससे बेहतर पार्टनर नहीं मिल पाएगा, तो यह आपकी गलत सोच है।
उस इंसान के साथ आपको अपना पूरा जीवन गुज़ारना है। अतः यदि आप महसूस करती हैं कि आपका पार्टनर किसी अहम वजह से आपके अनुकूल नहीं है, तो उसके साथ विवाह सूत्र में आबद्ध होने से पहले संजीदगी से विचार करें। मात्र कोई और विकल्प आपके सामने न होने के कारण विवाह हरगिज़ न करें। याद रखें एक नाखुश वैवाहिक जीवन से बेहतर है अविवाहित जीवन बिताना।
वैवाहिक बंधन परस्पर केयरिंग का दूसरा नाम है। इस बंधन में दोनों पार्टनर एक-दूसरे को अपने प्रेम, विश्वास और प्रतिबद्धता की सुरक्षा देते हैं।
यदि एक पार्टनर दूसरे पार्टनर पर हर बात के लिए निर्भर रहता है तो यह किसी दूसरे को अपने फायदे के लिए उपयोग करना भर रह जाता है। सुखी विवाह वह होते हैं जिसमें दोनों पार्टनर अपनी अपनी देखभाल खुद कर सकते हैं।
कुछ लोग सोचते हैं कि यदि आपकी रिलेशनशिप में सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा, आप अनेक समस्याओं से जूझ रही हैं, तो यह सोचना गलत है कि रिलेशनशिप को विवाह में बदलकर आपकी सारी परेशानियां का खात्मा हो जाएगा।
यदि आप अपने पार्टनर को सच्चे मन से प्रेम एवं सम्मान करती हैं तो विवाह के उपरांत यह प्यार और सम्मान कई गुना बढ़ने की संभावना होती है।
इस बात को यूं और बेहतर ढंग से समझा जा सकता है।
यदि रिलेशनशिप के दौरान आप दोनों के मन में एक दूसरे को लेकर कुछ गलतफहमियां घर कर गई हैं, तो यह सोचना गलत है कि विवाह के बाद यह गलतफहमियां अपने आप मिट जाएंगी। वरन विवाह के बाद इनके बढ़ने की अधिक संभावना है।
यदि विवाह से पहले आप दोनों के विचार नहीं मिलते, तो यह सोचना सही नहीं कि विवाह के बाद जादुई ढंग से आपके विचार मिलने लगेंगे। वरन इस बात की पूरी पूरी संभावना है कि यह समस्या विवाह के पश्चात और विकट रूप धारण करेंगी।
विवाह आपके जीवन का अहम पड़ाव है। अतः सुनिश्चित करें कि आप हर मायने में सही जीवनसाथी का चुनाव करें।
यह न सोचें कि विवाह के बाद आपकी रिलेशनशिप में आने वाली सारी प्रॉब्लम खुद-ब-खुद सुलझ जाएंगी या आपका रौबदार, हर बात में अपनी चलाने वाला पार्टनर विवाह के बाद आदर्श ड्रीम पार्टनर में तब्दील हो जाएगा। यह सोचना आपकी बहुत बड़ी भूल होगी। अतः विवाह जैसे अहम रिश्ते में बंधने से पहले पूरी पूरी तसल्ली कर लें कि आपका पार्टनर आपको सच्चे मन से प्रेम करता है, आपके भरोसे के काबिल है और आप के प्रति जीवन पर्यंत समर्पित रहते हुए कभी आपका विश्वास भंग नहीं करेगा। तभी पूरी तसल्ली करके अपने रिश्ते को विवाह बंधन में बदलें अन्यथा नहीं। विवाह बंधन में बंधने में जल्दबाजी हरगिज़ ना करें।
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