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बच्चे के प्यार में पतिदेव को भूल मत जाइए, नहीं तो आपके सुखी विवाहित जीवन में खलल पड़ सकती है

सामान्य रूप से यह देखा गया है कि मातृत्व भार से दबी हुई एक स्त्री, माँ का फर्ज़ निभाने में इतना व्यस्त हो जाती है कि वह पत्नी का रोल निभाने में कभी-कभी कमजोर हो जाती है। ऐसे में पुरुष भी जहां एक ओर पिता के रूप में प्रसन्न तो हो जाते हैं वहीं दूसरी ओर पति के रूप में खुद को अकेले महसूस करने लगते हैं। इस स्थिति की परिणति कभी-कभी अच्छी नहीं होती है। इसलिए हम आपको यही सलाह देते हैं कि बच्चे के प्यार में पतिदेव को भूल मत जाइए, नहीं तो आपके सुखी विवाहित जीवन में खलल पड़ सकती है। इसके लिए आप कुछ इस तरह के उपाय अपना सकती हैं:

1. सम्बन्धों की गर्मी बनाए रखें:

जब किसी भी संबंध में संवादहीनता की स्थिति बन जाती है तब वह उस संबंध की मृत्यु का सूचक होती है। इसलिए इस स्थिति को आने से रोकने के लिए यह बहुत जरूरी है कि आप अपने रिश्तो की गर्माहट को बनाए रखें। इसके लिए समय निकाल कर केवल पति के साथ बैठकर एक कप कॉफी पीना भी आपके पति को आपकी निकटता का अहसास करवा सकता है।

2. शारीरिक संबंध में रुचि:

अधिकतर पति को अपने पत्नियों से शिकायत होती है कि माँ बनने के बाद उनकी पत्नी या तो संबंध बनाने में रुचि नहीं दिखाती है। इस शिकायत को दूर करने के लिए आप पति को अपने शारीरिक और मानसिक स्थिति में आने वाले परिवर्तनों की जानकारी दें। उन्हें यह भी समझाएँ कि यह एक टेम्परेरी स्थिति है जो जल्द ही दूर भी हो जाएगी।  अचानक पति को बाहों में लेना, उन्हें चुंबन् देना या फिर उनके कंधे पर सिर रखकर बैठना भी उन्हें आपके प्यार का संदेश देने के लिए काफी हो सकता है।

3. सरप्राइज़ दें:

पतियों को अपनी पत्नी से मिलने वाले सरप्राइज़ जिंदगी में मिलने वाले अन्य घटनाओं से अधिक प्यारे लगते हैं। कभी-कभी लांच बॉक्स में ‘आई लव यू ‘ का मेसेज कार्ड,  तनाव वाली मीटिंग में जाने से पहले मोबाइल पर आने वाला एक छोटा मिसींग यू का मेसेज भी काम कर जाते हैं। इसके साथ ही उनके लिए एक अच्छा सा उपहार, छोटी सी पार्टी का आयोजन भी पति को पिता बनने का अफसोस होने से रोक सकता है।

4. बच्चों को बड़ा होने में मदद करें:

आपो यह याद रखना है कि बच्चों के काम के साथ ही आपको पति के काम भी करने हैं। इसलिए अच्छा होगा कि बच्चों के कुछ काम उन्हें स्वयं अपने आप करने दें। इससे जहां एक ओर बच्चों में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी वहीं दूसरी ओर आप पति के लिए भी समय निकाल पाएँगी।

5. भावनात्मक प्रगाढ़ता:

माँ बनने के बाद भी पति के साथ भावनात्मक सम्बन्धों में मजबूती को बनाए रखें। इसके लिए ज़रूरी है कि आप देखें कि अगर पति किसी समय परेशान हैं तो उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से सहारा बनें।

इन सभी उपायों से न केवल आप एक माँ के रूप में अपना कर्तव्य अच्छी तरह निभा पाएँगी बल्कि अपने पति की भी प्राण-प्रिया बनी रहने में सफल हो सकती हैं।

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Charu Dev

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