भारत विविधताओं में एकता का देश है। चाहे धर्म या जाति की बात करें, भाषा की बात करें या तीज त्योहारों की बात करें, यहां तमाम रंग एक सुर में पिरोये नज़र आते हैं। इन सबके अलावा भारत के शहरों पर भी अलग-अलग रंगों की छाप दिखाई पड़ती है। राजस्थान के गुलाबी शहर या पिंक सिटी जयपुर के बारे में तो सब लोग जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश का कौन सा शहर ब्लू सिटी के नाम से मशहूर है। अगर नहीं जानते तो आज हम आपको देश के नीले शहर यानी ब्लू सिटी की सैर कराते हैं।
जिस तरह जयपुर को पिंक सिटी और उदयपुर को लेक सिटी कहते हैं, ऐसे ही जोधपुर को ब्लू सिटी कहा जाता है। ये राजस्थान का एक ऐसा खूबसूरत शहर है जिसे अपने रंग की वजह से ब्लू सिटी उपनाम मिला है क्योंकि यहां के ज्यादातर घरों का रंग नीला होता है। सन 1459 में जोधपुर के 15वें राजा राव जोधा के द्वारा इस खूबसूरत शहर को बसाया गया था। पहले इस शहर का नाम मारवाड़ था लेकिन बाद में राव जोधा के नाम पर इस शाही शहर का नाम जोधपुर पड़ा। रेगिस्तान के बीचो बीच बसे इस शहर को ‘गेटवे टू थार’ भी कहा जाता है।
देश के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक जोधपुर हमेशा से ही टूरिस्टों की आकर्षण का केंद्र रहा है। एक बात जो यहां आने वाले हर सैलानी का ध्यान अपनी ओर खींचती है, वो है यहां के घरों का नीला रंग। यहां के ज्यादातर घर नीले रंग के दिखते हैं इसलिए जोधपुर को नीला शहर यानी ब्लू सिटी कहा जाता है। यहां के पुराने शहर के तमाम घरों की दीवारों पर नील मिले चूने से पुताई की जाती है।
राजस्थान में गर्मियों के दौरान पारा 45 डिग्री को पार कर जाता है। ज्यादातर लोग मानते हैं कि नीला रंग ज्यादा सूर्य की किरणों को रोकता है। इससे गर्मी के दौरान घरों को ठंडा रखने में मदद मिलती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जो विष निकला था उसे भगवान शिव ने ग्रहण कर लिया था ताकि पृथ्वी सुरक्षित रहे। उस विष को पीने के बाद शिव जी का शरीर नीला पड़ गया था। तभी से नीले रंग को भगवान शिव से जोड़कर पवित्र मान लिया गया। इन मान्यताओं की वजह से यहां रहने वाले शिवभक्तों ने अपने घरों को नीले रंग से रंगना शुरू कर दिया।
जोधपुर के कुछ बुजुर्ग निवासी मानते हैं कि दीमक नीले रंग से दूर भागते हैं। उनका ये कहना है कि दीमकों ने शहर की कई एतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुंचा दिया जिसके बाद लोग दीमकों से बचाव के लिए अपने घरों पर नीला रंग चढ़ाने लगे। हालांकि ये नीला रंग चूने में घोल के लगाया जाता है, संभवतः इसी वजह से दीमक दूर भागते होंगे।
अगर आपको जोधपुर की खूबसूरती और यहां बिखरे नीले रंग की आभा का असल ऐहसास करना है तो आप यहां के मेहरानगढ़ किले में जा सकते हैं। इस किले को जोधपुर की शान कहा जाता है जहां से इस पूरे नीले शहर को और इसकी खूबसूरती को निहारा जा सकता है। इस विशालकाय किले की छत से इस शहर को देखने पर लगता है मानो किसी ने पूरे शहर को नीले चादर से ढक दिया है।
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय जोधपुर शहर की सुंदरता अपने चरम पर होती है। यहां के लोगों का मानना है कि इस शहर में सूर्य देवता सबसे अधिक समय के लिए रहते हैं। यही वजह है कि इस शहर को सनसिटी भी कहा जाता है।
जोधपुर की संस्कृति अपने आप में अतिविशिष्ट पहचान रखती हैं। यहां के लोगों की वेशभूषा बहुत सुंदर और आकर्षक होती है। पुरुष जहां आकर्षक पगड़ी पहने नजर आते हैं तो वहीं महिलाएं अपने शरीर पर ढेर सारे गहनें पहनना पसंद करती हैं। जोधपुर के लोगों को बीच मिर्च वड़ा और प्यार कचौड़ी बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय है। इस शहर का गीत-संगीत, लोक नृत्य और हस्तशिल्प सभी अपने आप में बुहत निरालें हैं। यहां के ऐतिहासिक किले, भव्य मंदिर और संग्रहालय इस शहर की भव्यता को कई गुणा अधिक बढ़ा देते हैं क्योंकि ये ऐतिहासिक इमारतें इस शहर के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक हैं।
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