मेरी छोटी बहन धरा, जिसका अभी पिछले वर्ष ही अपने पति से तलाक हुआ था, मेरे घर आई हुई थी। कुछ दिनों से मैं देख रही थी, वह बहुत खोई खोई रहने लगी थी। कल मैंने उससे कहा कि मैं आज ऑफिस से घर जल्दी आ जाऊंगी और उसके साथ एक मूवी देखने जाऊंगी पर ऐन वक्त पर कोई अति आवश्यक काम की वजह से मुझे दफ्तर से घर लौटने में बहुत देर हो गई।
मेरे घर लौटते ही धरा मुझ पर अतीव गुस्से से फट पड़ी, “यह आपका ऑफिस से आने का टाइम है? आपको तो मेरी बिल्कुल फिक्र ही नहीं है कि घर में छोटी बहन आई हुई है तो उसे जरा घुमाएं फिराएं। आपके लिए मेरा तो कोई महत्व ही नहीं है,” और यह कहकर वह फूट-फूट कर रो पड़ी और गुस्से में अपना सूटकेस पैक करने लगी।
मैंने अगले दिन शाम को पिक्चर जाने का वायदा कर उसे बड़ी मुश्किल से मनाया लेकिन उसके इस व्यवहार से मैं बेहद चिंतित हो गई। इधर कुछ दिनों से मैं उसके स्वभाव में बहुत परिवर्तन देख रही थी।
इन दिनों वह उदास रहने लगी थी और अपनी पुरानी जीवंतता खो बैठी थी। 7 वर्षों के दुखद वैवाहिक जीवन ने उसका स्वभाव और व्यक्तित्व पूरी तरह से बदल डाला था। वह बहुत चिड़चिड़ी हो गई थी। बहुधा बातें भूल जाती थी और हर समय थकान की शिकायत करती रहती थी। देर रात तक नींद ना आने की वजह से करवटें बदलती रहती थी।
कल तो मैं देर आने पर उसकी विस्फोटक प्रतिक्रिया से डर ही गई और मेरे मन में संदेह उठा, इतने वर्षों के वैवाहिक जीवन में प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते करते कहीं उसे डिप्रेशन तो नहीं हो गया। मैंने अपनी एक परिचिता दिल्ली के यंग इंडिया साइकोलॉजिकल सॉल्यूशंस की काउंसेलिंग कम क्लीनीकल साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर सीमा शर्मा को उसके लक्षण बताए तो उन्होंने कहा कि मुझे उसे उनके पास अपनी समस्या के निदान के लिए फौरन ले आना चाहिए।
कल ही मैं धरा को डॉक्टर सीमा के पास ले गई और उन्होंने उससे बहुत सारे प्रश्न पूछे और उनके उत्तरों के आधार पर उसके डिप्रेशन का पता लगाया। मैंने इस विषय पर डॉ सीमा शर्मा से विस्तार में बात की और डिप्रेशन के विषय में उन्होंने जो कुछ भी बताया वह सब मैं आपके साथ साझा कर रही हूं।
उनके अनुसार जीवन में कभी कभी निराशा, उदासी या अकेलेपन का भाव अनुभव करना स्वाभाविक है लेकिन जब ये भाव हमें लंबे समय तक अपने शिकंजे में जकड़े रहते हैं और हमारा पीछा नहीं छोड़ते, तो यह डिप्रेशन हो सकता है।
उनके अनुसार यदि आपके व्यक्तित्व में निम्न स्तरों पर बदलाव आते हैं तो आपको डिप्रेशन हो सकता है। इस स्थिति में आप को फौरन किसी मनोचिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
डिप्रेशन से व्यवहार में परिवर्तन:
डिप्रेशन का मरीज घर में बंद रहना चाहता है। वह घर से बाहर निकलना नहीं चाहता।
डिप्रेशन का मरीज अपने कार्यस्थल अथवा स्कूल कॉलेज में सामान्य कार्य करना बंद कर देता है।
डिप्रेशन का रोगी अपने आपको अपने करीबी पारिवारिक संबंधियों एवं मित्रों से काटकर अलग थलग हो जाता है।
वह किसी भी मुद्दे पर स्पष्टता से नहीं सोच पाता और उस पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता।
सामान्यतया डिप्रेस्ड मरीज आनंददाई गतिविधियों को करना छोड़ देता है। वह अपनी सामान्य गतिविधियों जैसे हॉबी या खेल में रुचि लेना बंद कर देता है।
शराब एवं सेडेटिव का सेवन अधिक करने लगता है।
भावनाओं में परिवर्तन:
- डिप्रेशन का रोगी उदास रहता है। वह जीवन में खालीपन, निराशा और बेचैनी का अनुभव करता है।
- किसी भी मसले पर निर्णय लेने में असमर्थ होता है ।
- वह अधिकतर नाखुश दिखता है।
- उसमें आत्मविश्वास का अभाव नजर आता है।
- वह कुंठित महसूस करता है और चिड़चिड़ा हो जाता है।
- अपनी किसी बात पर अपराध भाव पाल लेता है।
- डिप्रेशन के मरीजों का मूड क्षण क्षण में बदलता है। कभी वह गुस्से में चिल्लाने लगता है तो दूसरे ही क्षण वह बुरी तरह से रोना शुरू कर देता है।
चिंतन प्रक्रिया में बदलाव:
वह निरंतर ऐसे ख्यालों से घिरा रहता है:
- मैं अपने परिवार जनों पर अनचाहा बोझ हूं। यदि उन्हें मुझ से मुक्ति मिल जाए तो उनके लिए बेहतर होगा।
- मेरे जीवन का कोई मोल नहीं । मेरा जीवन व्यर्थ है।
- मैं असफलता का पुतला हूं।
- जो कुछ भी मेरे जीवन में घट रहा है वह सब मेरी गलती है।
- मेरे साथ कभी कुछ अच्छा नहीं होता। सदैव बुरा ही होता है।
- मैं आत्महत्या कर लूं तो सब जंजालों से मुक्त हो जाऊंगा।
यदि कभी आपके मन में स्वयं को नुकसान पहुंचाने या मरने का विचार आता है तो उस स्थिति में तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क करें।
अस्पताल की इमरजेंसी में जाएं।
किसी करीबी मित्र या रिश्तेदार को अपने इस विचार के विषय में बताएं।
आप डाक्टर सीमा शर्मा से इस नंबर पर परामर्श कर सकते हैं: 9599670262
शारीरिक स्तर पर परिवर्तन:
अनवरत थकान का अनुभव होना:
अवसाद ग्रस्त मरीज निरंतर थकान की वजह से खुशी प्रदान करने वाली गतिविधियों को करना छोड़ देता है। वह स्वयं में ऊर्जा के अभाव का अनुभव करता है।
नींद में व्यवधान:
अवसाद का मरीज या तो बहुत कम सोता है या बहुत ज्यादा सोना शुरू कर देता है। कुछ मरीजों को नींद आनी बिल्कुल बंद हो जाती है।
भूख एवं वजन में परिवर्तन:
कुछ लोग अवसाद की स्थिति में अधिक भूख का अनुभव करते हैं। परिणाम स्वरूप उनके वजन में वृद्धि होती है। दूसरी ओर कुछ लोगों की भूख कम हो जाती है जिससे उनके वजन में गिरावट आ जाती है।
सर दर्द एवं मांसपेशियों में दर्द:
अवसाद की स्थिति में अनेक लोग सर दर्द और मांस पेशियों में दर्द की शिकायत करते हैं।
पाचन में गड़बड़ी:
शोधकर्ताओं के अनुसार पेट एवं मस्तिष्क में मजबूत संबंध होता है। तनाव की स्थिति में आपके शरीर द्वारा छोड़े गए हार्मोन्स एवं रसायन आपके पाचन संस्थान में घुस कर पाचन की क्रिया में बाधा पहुंचाते हैं।
उनके अनुसार डिप्रेशन के उपचार के लिए निम्न विकल्प प्रभावी सिद्ध होते हैं
साइकेट्रिस्ट अथवा साइकोलॉजिस्ट द्वारा काउंसेलिंग:
यह साइकोथेरेपी कहलाती है। इसके अंतर्गत एक साइकेट्रिस्ट अथवा साइकोलॉजिस्ट अवसाद ग्रस्त मरीज से बात कर उसकी काउंसेलिंग करते हैं। साइकोथेरेपी मन की ग्रंथियों को खोलने में कुछ समय लेती है लेकिन इसके कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होते।
औषधियों द्वारा उपचार:
डिप्रेशन का उपचार करने के लिए साइकेट्रिस्ट एंटीडिप्रेसेंट के नाम से प्रचलित दवाइयां अवसाद ग्रस्त मरीजों के लिए लिखते हैं। यह दवाइयां मरीज की अवसाद पूर्ण मन: स्थिति में काउंसेलिंग से अपेक्षाकृत कम समय में सुधार लाती हैं। लेकिन इन दवाइयों के अनेक साइड इफेक्ट हो सकते हैं।
स्व सहायता:
आप निम्न उपायों द्वारा डिप्रेशन की मनःस्थिति में राहत का अनुभव कर सकती हैं:
करीबी मित्रों एवं संबंधियों से जुड़ाव:
मित्रों,परिचितौं और पारिवारिक संबंधियों से जुड़ने का प्रयास कीजिए। उन्हें अधिक से अधिक अपनी जिंदगी में शामिल करने का प्रयत्न करें। आपके परिवार में बहुत लोग जैसे मां, पिता, बहन, भाई और करीबी मित्र आपको बेशर्त चाहते होंगे और आपको खुश देखना चाहते होंगे। यदि आप अपनी डिप्रेस्ड मन: स्थिति की वजह से उन से कट गई हैं तो उनसे वापस संबंध जोड़िए। यह आपको खुशी देगा और अपने डिप्रेशन से उबरने में बहुत मदद करेगा।
नेगेटिव सोच पर लगाम कसें:
डिप्रेशन में नेगेटिव सोच आना स्वाभाविक है।
नेगेटिव सोच प्रक्रिया को बदलकर आप अपने मूड में पॉजिटिव बदलाव ला सकती हैं।
टालने की आदत छोड़ें:
डिप्रेशन में अमूमन लोग थकान और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई के कारण हर काम को टालते रहते हैं। अपनी इस आदत से आप काम नहीं कर पाने से अपराध भावना, चिंता और तनाव से घिर जाती हैं।
इससे बचने के लिए हर काम को खत्म करने का समय नियत करें और उसे समय पर खत्म करने का भरसक प्रयास करें। काम को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटे और एक टुकड़े को पूरा करने के बाद ही दूसरे को हाथ में लें। महत्वपूर्ण काम पहले करें।
इससे आपको कुछ नहीं कर पाने की अपराध भावना, चिंता और तनाव से मुक्ति मिलेगी और आपका मूड बेहतर होगा।
पसंदीदा गतिविधियां करें:
- सोचें आपको क्या करना सबसे पसंद है। यदि आपको इन गतिविधियों में से कोई भी पसंद है तो उसे नियमित रूप से करें।
- पालतू पशु के साथ खेलना
- कोई रोचक किताब पढ़ना
- अपनी मां, पिता, बहन या भाई से मिलना या फोन या वीडियो चैट पर बात करना
- पार्क में चहल कदमी करना
- सुबह की ताजी हवा में सैर करना
- अपने बगीचे में पौधों की देखभाल करना
- गीत गाना
- नृत्य करना
- चित्रकारी करना
पर्याप्त नींद लें:
नींद और मूड का बहुत घनिष्ठ संबंध है। डिप्रेशन की वजह से आपको नींद नहीं आने की शिकायत हो सकती है।
इस स्थिति में फोन, टीवी, म्यूजिक सिस्टम जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को सोने से 1 घंटे पहले बंद कर दें। सोते वक्त आप मंद प्रकाश में कोई पसंदीदा किताब पढ़ सकती हैं या अपने बच्चों से बात करके रिलैक्स हो सकती हैं। योगा के रिलैक्सिंग व्यायाम जैसे शवासन से भी आप रिलैक्स हो कर अच्छी नींद ले सकती हैं। शाम को भ्रामरी और और नाड़ी शोधन प्राणायाम करने से भी आपका तनाव दूर होगा और आपको रात को अच्छी नींद आएगी।
स्वास्थ्यप्रद भोजन लें:
अनेक शोधों ने साबित किया है कि हमारे खानपान और मानसिक स्वास्थ्य का गहरा संबंध है। मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए आप निम्न खाद्य पदार्थ अपने भोजन में शामिल करें:
- विभिन्न प्रकार की बेरी जैसे स्ट्रौबेरी, ब्लूबेरी, रास्पबेरी एवं ब्लैकबेरी
- साबुत अनाज जैसे गेहूं, चावल, क्विनोआ और ओट्स
- मेवा जैसे अखरोट, बादाम और काजू
- हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, सरसों, चौलाई, मेथी
- काबुली चना, दालें, राजमा, रमास, मोठ और काले चने
- बीज जैसे तरबूज, खरबूज, सूरजमुखी, काशीफल, तिल
- दूध दही चीज़
- अंडे
- डार्क चॉकलेट
Nitu singh
Jo karne ka man n.a. kare karna pade to kaya kare