गणपती, गणनायक, विध्न्हर्ता, एकदंत आदि नामों से प्रसिद्ध गणेश देवताओं में अग्रपूजक हैं। कोई भी विशेष कार्य करने से पहले गणपती पूजन किसी भी पूजा का अनिवार्य अंग है।
इन्हीं गणेश जी के सम्पूर्ण भारत में विभिन्न प्रसिद्ध मंदिरों हैं। कुछ मंदिर विश्व प्रसिद्ध हैं, जिनके बारे में आप और हम बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। लेकिन कुछ मंदिर विश्व प्रसिद्ध होते हुए भी अनजाने मंदिरों की गिनती में आते हैं।
आइये आपको दस विशेष गणेश मंदिरों के बारे में बताएं जिनकी प्रसिद्धि न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी फैली हुई है, फिर भी शायद आपने इनके बारे में सुना भी न होगा:
इंदौर के एक छोटे से शहर खजराना में विश्व प्रसिद्ध गणेश मंदिर है, जिसके बारे में मान्यता है, कि
यहाँ भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए गणेश की प्रतिमा की पीठ पर उल्टा स्वस्तिक का निशान बनाते हैं
और मन्नत पूरी होने पर मोदक का भोग लगाते हैं।
इस मंदिर का निर्माण 1735 में होल्कर वंश की महारानी अहिल्याबाई ने करवाया था। इस मंदिर में आने वाले भक्त जब तक इस मंदिर की तीन परिक्रमा करके मंदिर की दीवार में धागा न बाँधें, उनकी यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाती है। बुधवार के दिन इस मंदिर में विशेष पूजा और आरती होती है। यह मंदिर देश के सबसे धनी मंदिरों में से एक माना जाता है।
मध्यप्रदेश के जूना इलाके में चिंतामान गणेश का मंदिर है । 1200 वर्ष पुराने इस मंदिर के बारे में यह सुना जाता है, कि
यहाँ गणेश जी फोन, मोबाइल और खत से भक्तों की समस्या को सुनकर उनका हल करते हैं।
कहते हैं एक बार जर्मनी के एक भक्त ने भगवान गणेश से बात करने की ज़िद करी और उसके बात करने के कुछ दिन बाद उसने अपनी मनोकामना पूरी होने की सूचना दी। तब से ही यह सिलसिला शुरू हो गया है और भक्त पुजारी के माध्यम से गणेश भगवान से बात करके अपनी मनोकामना पूरी करते हैं।
रणथंभौर किले में लगभग 1000 वर्ष पुराना तीन नेत्रों वाले गणेश का मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण महाराजा हममिरदेव चौहान ने करवाया था लेकिन कहते हैं, कि इस मंदिर में गणेश जी स्वयं प्रकट हुए थे।
पुणे के मड़ई इलाके में सबसे बड़ा गणपती मंदिर है, जिसे अखिल गणपती मण्डल के नाम से जाना जाता है। देश-विदेश से इस मंदिर में दर्शन करने वाले भक्तों का यहाँ तांता लगा रहता है।
तमिलनाडू के त्रिची शहर में एक पहाड़ पर स्थित यह मंदिर देश-विदेश के भक्तों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। इस मंदिर का निर्माण चैल राजाओं द्वारा पहाड़ों को काटकर किया गया था। पहाड़ के शिखर पर बना होने के कारण यह गणेश मंदिर उच्चि पिल्लईय्यर कहते हैं।
यह मंदिर पुणे के प्रसिद्ध श्रीमंत दगड़ूशेठ हलवाई के द्वारा उनके पुत्र की स्मृति में बनवाया गया था। उनके पुत्र की प्लेग में मृत्यु होने के पश्चात पंत पति-पत्नी ने इस मंदिर के गणेश की स्थापना करके गणेश उत्सव का आरंभ किया था। आजादी की लड़ाई में लोकमान्य तिलक ने इसी मंदिर से गणेश उत्सव में सभी लोगों को एक साथ होकर आज़ादी की लड़ाई लड़ने की प्रेरणा दी थी। तभी से यह उत्सव बढ़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।
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आंध्रप्रदेश के चित्तूर में स्थापित यह गणेश मंदिर आस्था और चमत्कार का अनोखा मिलन स्थल है। इस मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में चोल राजा कुलोतुंग चोल प्रथम ने किया था। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि यहाँ गणेश जी के आकार का विस्तार लगातार जारी है। कहते हैं, कि अगर आपको किसी से शत्रुता समाप्त करनी हो तो इस मंदिर की पूजा करने से वो समाप्त हो जाती है।
पाण्डेचेरी में स्थित यह प्राचीन मंदिर देश-विदेश के बीच बहुत प्रसिद्ध है। कहते हैं, इस मंदिर का फ्रांसीसी शासकों के कई बार विनाश करने के लिए पानी में डुबोने का प्रयास किया, लेकिन हर बार यह मंदिर और गणपती की मूर्ति अपने आप बाहर आ गयी। इसी कारण इस मंदिर की भक्तों के बीच बहुत मान्यता है।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि शुरुआत में यह मंदिर एक शिव मंदिर होता था। लेकिन एक बार इस मंदिर के पुजारी ने गणेश जी की प्रतिमा का निर्माण कर दिया। कुछ समय बाद इस प्रतिमा का आकार अपने आप बढ़ने लगा। तब से इस मंदिर की प्रसिद्धि और मान्यता बढ़ने लगी। तब से लेकर आज तक इस मंदिर की प्रसिद्धि में कोई कमी नहीं आई है।
सिक्किम का एक प्रसिद्ध मंदिर गणेश टोक मंदिर है, जहां का आकर्षण वहाँ लगाई जाने वाली रंग-बिरंगी पताकाएँ हैं। यह पताका सिक्किम के किसी और मंदिर में नहीं हैं।
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