सूर्य के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। ‘सूर्य नमस्कार’ सूर्य के प्रति आभार व्यक्त करने या सम्मान देने की एक बहुत प्राचीन तकनीक है। यहां हम आपको नित्य सूर्य नमस्कार करने के 10 फायदों के बारे में बताएंगे।
प्रतीकात्मक रूप से सूर्य हमारे ऊर्जा का स्त्रोत माना जाता है। भारत के प्राचीन ऋषियों ने कहा है कि शरीर के विभिन्न हिस्से विभिन्न देवताओं द्वारा शासित होते हैं। सूर्य नमस्कार के कई फायदे होते हैं।
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अगर नियमित रूप से इसे किया जाए तो आपको केवल चर्बी कम करने में मदद नहीं मिलेगी, बल्कि आप कई रोगों से भी स्वयं को बचा सकते हैं। प्रारम्भिक रूप से सूर्य नमस्कार सुबह सूर्य का सामना करके किया जाता है। आमतौर पर लोग सूर्य नमस्कार को एक अभ्यास के रूप में समझते हैं। यह आपकी पीठ, मांसपेशियों आदि को मजबूती प्रदान करता है। यह भौतिक प्रणाली के लिए भी काफी लाभदायक है। यह एक व्यापक व्यायाम है, जिसमें किसी भी वस्तु की आवश्कयकता नहीं पड़ती। सूर्य नमस्कार आपके शरीर और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर उपाय है।
अतिरिक्त कैलोरी को घटाने के लिए सूर्य नमस्कार प्रभावी उपकरण है। यह पेट की चर्बी को कम करने के लिए उपयोगी हैं। इस मोड्यूल के सभी योगों से पूरे शरीर को पर्याप्त खिंचाव और घुमाव की सुविधा मिलती है, जो वजन घटाने के लिए बहुत लाभकारी है। यह उन लोगों के लिए बहुत अच्छा अभ्यास है, जो वजन घटाने की लालसा रखते हैं।
इस अभ्यास में शरीर और पेट पर खिंचाव महसूस होता है। इससे आपके पाचन तंत्र को मालिश और काम करने के लिए कुशलता मिलती है। सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से पेट के कई रोगों और विकारों से छुटकारा मिल जाता है।
सूर्य नमस्कार करने से किडनी को अच्छी तरह से मालिश प्राप्त होती है। इससे शरीर में रक्त संचार के प्रवाह में तेजी आती है। इसको नियमित रूप से करने से किडनी से संबंधित कोई बीमारी नहीं होती है।
सूर्य नमस्कार को करने से दिल की धड़कन में वृद्धि होती है, जो संचार प्रणाली के लिए भी जरूरी है। यह शरीर से अपशिष्ट उत्पादों को हटाने के लिए अच्छा है और कुशल मानव हृदय सुनिश्चित करता है। इससे शरीर के सभी कोशिकाओं को ताजा ऑक्सीजन और पोषक तत्व प्राप्त होते हैं, जो शरीर के स्वस्थ जीवन शक्तियों को बढ़ावा देते हैं। इस प्रकार बीमारी से लड़ने में मदद मिलती है|
सूर्य नमस्कार में कई योग मुद्राएं हैं, जो सिर के क्षेत्र में रक्त परिसंचार को बढ़ाती है। पर्वतासन और पढ़ाराणा योग सिर के क्षेत्र में रक्त की आपूर्ति को बढ़ावा देता है। इस प्रकार बालों को गिरने से रोकने में मदद मिलती है।
सूर्य नमस्कार फेफड़ों और श्वसन प्रणाली के इष्टतम उपयोग में मदद करता है। यह प्रणाली रोगाणुओं और कई रोगों के निर्माण को रोकता है। इसको करने से फेफड़ें पूरी तरह से अशुद्ध हवा से खाली हो जाते हैं और मस्तिष्क को ताजा ऑक्सीजन मिलता है, जिससे व्यक्ति ऊर्जा से भरा हुआ महसूस करता है।
सूर्य नमस्कार स्वस्थ और चमकदार त्वचा के साथ निष्पक्ष रंग प्राप्त करने का एक प्रभावी साधन है। अभ्यास के परिणामों में वृद्धि तब होती है जब शरीर के अंदर से पसीना रिलीज होता है। यह तरोताजा और स्वस्थ त्वचा प्राप्त करने का एक उत्कृष्ट तरीका है।
सूर्य नमस्कार रीढ़ की हड्डी, गर्दन, कंधे, हाथ, पैर आदि की मांसपेशियों को टोन करता है, जो शरीर में लचीलापन को बढ़ावा देता है। सूर्य नमस्कार की मुद्राएं मांसपेशियों को खींचने के साथ ही हमारे शरीर को बहुत ही लचीला बनाती है।
सूरज की किरणें विटामिन डी का सबसे अच्छा स्त्रोत है। यह हमारी हड्डियों को मजबूती प्रदान करने में मदद करता है और हमारी दृष्टि को भी स्पष्ट करने में सहायक है।
सूर्य नमस्कार विभिन्न अंतःस्त्रावी ग्रंथियों के अनुरूप है, जिससे ग्रंथियों की किसी भी अनियमितता को दूर करने में मदद मिलती है। इससे रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है।
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