कोरोना वायरस

क्या कोरोना के खतरे के मद्देनज़र बच्चों को इस समय स्कूल भेजा जाना चाहिए?

आज कोविड-19 का प्रकोप पूरे विश्व के साथ-साथ भारत में भयावह रूप से पांव पसार रहा है। देश में इसके दिनों दिन बढ़ते घातक प्रसार को रोकने के लिए लॉक डाउन – 1 की शुरुआत से  मार्च, 2020 से पूरे देश के स्कूल और कॉलेज बंद चल रहे हैं। इन परिस्थितियों में  विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन शिक्षण एक संभावित कारगर विकल्प के रूप में उभरा है। वर्तमान में देश के शहरी इलाकों में स्कूली बच्चे अपने स्कूलों द्वारा आयोजित ऑन लाइन क्लास अटेंड कर रहे हैं, लेकिन हमारे  ग्रामीण इलाकों के विद्यार्थियों का एक बड़ा प्रतिशत इंटरनेट कनेक्टिविटी के अभाव  और गरीबी की वजह से स्मार्टफोन की अनुप्लब्धता  के कारण घर बैठे स्कूलों द्वारा आयोजित ऑनलाइन क्लास अटेंड नहीं कर पा रहे। इस वजह से देश के विद्यार्थियों का एक बड़ा वर्ग इस वर्ष अपनी अपनी क्लास का निर्धारित सिलेबस पूरा करने में असमर्थ है। इस स्थिति में यह विकल्प अपना उद्देश्य पूरा करने में असमर्थ साबित हो रहा है।

29 अगस्त, 2020 को भारत सरकार ने  लॉक डाउन 4.0 की गाइडलाइंस जारी की है। उनके अंतर्गत 21 सितंबर 2020 के बाद शिक्षकों और अशैक्षणिक स्टाफ के लिए विशेष परिस्थितियों में स्कूल खोले जा सकते हैं। इन गाइडलाइंस के अनुसार 30 सितंबर 2020 तक नियमित क्लास प्रारंभ नहीं होंगी।

1 सितंबर 2020 तक अपने देश में कोविड – 19 के 7,85,996 सक्रिय केस  हैं और इस बीमारी से पूरे देश में  65,288 मौतें हो चुकी हैं। लॉकडाउन खुलने के बाद से देश में कोविड-19 के प्रसार की रफ्तार बढ़ती ही जा रही है, जिसके थमने के कोई हालिया आसार नज़र नहीं आ रहे।  देश का कोई कोना इस बीमारी के कहर से नहीं बचा है।

इस परिदृश्य में प्रश्न यह उठता है कि क्या अभिभावकों को अपने बच्चों को 30 सितंबर 2020 के बाद स्कूल खुलने पर स्कूल भेजना चाहिए?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस मसले पर लोकल सर्किल्स  द्वारा देश के 252 जिलों में 25,000 अभिभावकों एवं ग्रैंड पेरेंट्स पर सर्वे किया गया। पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि लोकल सर्किल्स  भारतीय नागरिकों के लिए पहला कम्युनिटी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है, जिसके माध्यम से हम नागरिक अपनी स्थानीय सरकार के साथ स्थानीय समुदाय आधारित और राष्ट्रीय मुद्दों पर साझेदारी निभा सकते हैं।

लोकल सर्किल्स  द्वारा आयोजित हालिया सर्वे से यह बात स्पष्ट हुई  है कि देश में कोविड-19 के भयावह  प्रसार के संदर्भ में अभिभावक गण सरकार के 30 सितंबर 2020 के बाद स्कूलों को खोलने के विचार के विरुद्ध हैं।

अभिभावक गण अपने बच्चों के लिए  दिनोंदिन फैलती इस  बीमारी का कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते। पूरे विश्व के वैज्ञानिक अभी तक कोविड-19 के विषय में संपूर्ण जानकारी देने में  असमर्थ हैं। अतः लोकल सर्किल्स द्वारा आयोजित सर्वे में 13% अभिभावकों ने कहा कि वे कोविड-19 के प्रसार के संदर्भ में संपूर्ण विश्वसनीय  वैज्ञानिक जानकारी के अभाव में बच्चों को घर के बाहर भेज बीमारी को न्योता देने का खतरा मोल नहीं ले सकते।

58  प्रतिशत  अभिभावक 30 सितंबर, 2020 के बाद स्कूलों को खोलने के पक्ष में नहीं हैं। मात्र 33% अभिभावकों के अनुसार क्लास सिक्स से  क्लास ट्वेल्फ़्थ  के विद्यार्थियों के लिए स्कूल खोलने की सरकार की योजना से सहमत हैं ।

9 प्रतिशत  अभिभावकों के अनुसार स्कूलों में इस खतरनाक बीमारी से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना संभव नहीं होगा।

5% अभिभावकों का मत था कि यदि स्कूल खोले गए तो कोविड-19 के प्रसार की गति बढ़ जाएगी।

1% अभिभावकों के मतानुसार यदि किसी परिवार में एक भी बच्चा स्कूल जाने के परिणामस्वरुप संक्रमित हो जाता है तो परिवार के बुजुर्गों का बीमारी पकड़ने का खतरा बहुत बढ़ सकता है।

मात्र 2% अभिभावकों ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में ऑनलाइन शिक्षण बेहतरीन विकल्प है ।

आज के परिदृश्य में पूरी दुनिया में भारत में कोविड के दैनिक केसों की संख्या उच्चतम है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की गाइड लाइन्स  के अनुसार बच्चे उच्च जोखिम की श्रेणी में आते हैं।

हमारा निजी मत:

इस परिदृश्य में हमारा निजी मत है कि अभिभावकों को अपने बच्चों की जान जोखिम में डालते हुए चालू सत्र में उन्हें स्कूल कतई नहीं भेजना चाहिए।

यहां यह उल्लेखनीय है कि अमेरिका के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार जुलाई 30, 2020 तक अमेरिका में स्कूल खुलने के बाद लगभग 338,000 अमेरिकी बच्चे कोरोना पॉजिटिव हो गए।

इज़राइल पहला देश है जिसने मई माह 2020 के प्रारंभ में अपने स्कूलों को खोलने का निर्णय लिया, लेकिन कुछ ही दिनों में उसे अपने हजारों विद्यार्थी एवं शिक्षकों के कोविड-19 से संक्रमित होने की वजह से उन्हें बंद करना पड़ा।

यहां यह उल्लेखनीय है कि केन्या ने अपने बच्चों को इस भयावह बीमारी से बचाने के लिए 2020- 2021 का सम्पूर्ण सत्र निरस्त कर दिया है क्योंकि वहां भी देश के शत प्रतिशत विद्यार्थी ऑनलाइन क्लास लेने में असमर्थ हैं। अगले सत्र में देश के सभी विद्यार्थी इस सत्र को दोहराएंगे।

कोविड-19 को लेकर आज अनिश्चितता का माहौल है। स्थिति पल-पल बदल रही है। कुछ कहा नहीं जा सकता कि इस का टीका कब तक जनसाधारण को उपलब्ध होगा। अतः इस परिदृश्य में विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन शिक्षा ही सबसे कारगर विकल्प नज़र आता है। लेकिन देश के ग्रामीण एवं दूर-दराज के क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी बहुत कम और कमज़ोर है। अगले सत्र से पहले सरकार को युद्ध स्तर पर देश के ऐसे सभी इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी सुनिश्चित करनी चाहिए, जिससे देश के शत प्रतिशत विद्यार्थी इसका लाभ उठाते हुए ऑनलाइन शिक्षण का फायदा उठा सकें, एवं अबाधित रूप से नए सत्र में ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण कर सकें।

बच्चों का जीवन अनमोल है और सरकार को सभी पक्षों पर गौर करते हुए स्कूल खोलने के विषय में निर्णय लेना चाहिए।

Renu Gupta

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