Health

शहरी महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा अधिक होता है जानिए क्यों

नारी सौंदर्य में वैसे तो शरीर के हर अंग का सौंदर्य महत्वपूर्ण होता है, लेकिन शुरू से ही हर नारी अपने वक्ष सौन्दर्य को लेकर कुछ अधिक ही जागरूक रहती है। फिर भी कभी कैंसर नाम का ग्रहण इस सौंदर्य को नष्ट करने के लिए उभर आता है।

विभिन्न प्रकार की शोध रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत के शहरों में महिलाएँ बहुत तेज़ी से स्तन-कैंसर की चपेट में आ रहीं हैं। दिल्ली के प्रसिद्ध कैंसर संस्थान के कैंसर विभाग के अध्यक्ष का कहना है कि हर साल लगभग 3000 महिलाएँ दिल्ली में स्तन कैंसर से प्रभावित हो रही हैं।

तब मन में यह सवाल उठता है कि ऐसा क्या कारण है कि गाँवों की तुलना में शहरी महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा अधिक होता है। इस सवाल के जवाब जब ढूँढे गए, तब कुछ यह कारण सामने आए :

1. अधिक उम्र में गर्भवती होना:

महानगरीय संस्कृति में नारी-शक्ति के प्रभाव समाज में चारों ओर दिखाई देते हैं। आज की आधुनिक नारी के लिए परिवार और विवाह प्राथमिकता नहीं रह गए हैं। इसके अतिरिक्त विवाह होने के बाद भी पति-पत्नी एक निश्चित आय-स्तर पर पहुँच कर ही अपने परिवार को आगे बढ़ाने का निर्णय लेते हैं।

इस कारण शहरी महिलाएं तीस वर्ष और कभी-कभी चालीस वर्ष के बाद ही गर्भवती होने का निर्णय लेती हैं। इस कारण शरीर में हार्मोनल असंतुलन उत्पन्न हो जाता है और यही असंतुलन कभी-कभी स्तन कैंसर का कारण भी बन जाता है।

2. नौ-चाइल्ड सिंड्रोम:

आधुनिक तकनीकी क्रांति ने समाज में महिला और पुरुष दोनों के लिए विभिन्न प्रकार के व्यवसाय के ऑप्शन खोल दिये हैं। आज एक महिला न केवल घर सम्हाल रही है बल्कि वह वायुयान और रेल से लेकर बड़े-बड़े उधयोग तक चला रही हैं।

इस स्थ्ति में पति-पत्नी विशेषकर कॉर्पोरेट सेक्टर में कार्य करने वाले नौ-चाइल्ड सिंड्रोम से ग्रसित हो रहे हैं। इस कारण महिलायेँ जब गर्भ न ठहरने का निर्णय लेती हैं तो इसका उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। विशेषकर शरीर में हार्मोनल इम्बेलेंस होने के कारण स्तन कैंसर के खतरा बढ़ जाता है।

3. स्तनपान से परहेज:

सौंदर्यबोध तो हर नारी को प्राचीन काल से चला आ रहा है। लेकिन शहरी युवतियाँ अपने सौंदर्य को सहेज कर रखने के लिए कुछ ऐसे निर्णय भी लेती हैं, जो दीर्घकाल में उनकी हेल्थ के साथ खिलवाड़ ही सिद्ध होता है। ऐसा ही एक निर्णय है स्तनपान से परहेज़ करना।

प्रसव के बाद स्तनपान करवाना एक प्राकृतिक क्रिया मानी जाती है। लेकिन जो आधुनिक युवतियाँ अपने वक्ष के सौंदर्य को बनाए रखने के लिए स्तनपान से परहेज़ करती हैं वो अपने शरीर में स्तन कैंसर को खुला आमंत्रण देती हैं। दूध के स्तन में सूख जाने के कारण गाँठ बन सकती है जो बाद में कैंसर बन सकती है।

4. अत्यधिक वजन का बढ़ना:

शरीर का अनियमित रूप से वजन का बढ़ना शरीर में अनेक प्रकार की बीमारियों का कारण बन जाता है। इन्हीं कारणों में से एक कारण स्तन कैंसर का होना भी है।

5. धूम्रपन और मदिरापान:

बदलती जीवनशैली के कारण वर्तमान काल में धूम्रपान और मदिरापान कुछ युवतियों के लिए स्टेटस सिंबल बन गया है। इस कारण शहर में अनेक महिलाएँ विभिन्न रोगों के अलावा स्तन कैंसर जैसे प्राणघातक रोग की गिरफ्त में भी आ रही हैं।

6. अनियमित जीवनशैली:

तकनीकी क्रान्ति ने महिला समाज को घर के अंदर और बाहर तरह-तरह के इलेक्ट्रोनिक गेजेट्स दे दिये हैं। इनके कारण जो काम पहले हाथों से किए जाते थे वो अब कुछ सेकेंड्स में हो जाते हैं । इसके अलावा पार्टी कल्चर और देर तक काम करने के कारण सोने और जागने का समय अनियमित हो गया है।

पास्ता-बर्गर खान-पान का हिस्सा बन गया है। कुल मिलाकर शहरी महिलाओं की जीवनशैली पूरी तरस से अनियमित और अनियंत्रित हो गई है। स्तन कैंसर के बढ्ने के कारण यह बिगड़ी हुई जीवनशैली को भी माना जाता है।

7. मेनोपॉज का देर से होना:

प्रायः शहरी महिलाओं में काम की व्यस्तता और तनाव के कारण कभी-कभी मेनोपॉज निर्धारित समय पर न होकर देर से होता है। अगर महिला को 55 वर्ष की आयु तक मेनोपॉज न हो तब उनमें स्तन कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।

8. गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन:

आधुनिक महिलायेँ गर्भधारण का उचित समय का इंतज़ार करने के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं। लेकिन लंबे समय तक गर्भनिरोधक दवाइयों का सेवन शरीर में प्रोस्टेजोन हारमोन का लेवल बढ़ा देता है। इस कारण स्तन कैंसर के खतरे भी बढ़ जाते हैं।

9. विशिष्ट नौकरीयों में काम करना:

शहरी संस्कृति में महिलाएँ विभिन्न प्रकार के कामों को करने में पीछे नहीं रहती हैं। लेकिन कभी-कभी कुछ काम करने की जगहें महिलाओं के स्वस्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकते हैं जैसे:

मेटल से जुड़े उधयोग

बार-कैसिनों

औटोमेटिव प्लास्टिक इंडस्ट्री

इन जगहों पर काम करने से कभी-कभी काम के दौरान विभिन्न प्रकार के रसायन विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न कर देते हाँ। इन रोगों में स्तन-कैंसर भी एक प्राणघाती रोग होता है जिसकी शिकार इन उधयोगों में काम करने वाली महिलायेँ हो जाती हैं।

10. समय से पहले मेंसुरेशन होना:

वर्तमान समय में पर्यावरण, प्रदूषण व तनाव के कारण कुछ युवतियों में मेंसुरेशन 12-13 वर्ष की आयु से पहले हो जाता है। इस युवतियों को बाद में स्तन-कैंसर की शिकायत हो सकती है।

इस प्रकार आपने देखा कि वैसे तो स्तन कैंसर वैसे तो किसी भी स्थान की महिला को हो सकता है, लेकिन शहरी महिलाओं में इसकी संभवना अधिक होती है।

 

Charu Dev

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