महिलाओं का धूम्रपान या स्मोकिंग करना एक समय ‘टैबू’ माना जाता था, हालांकि समय के साथ इस अवधारणा में अंतर आया है, लेकिन आज भी ये चिंता का विषय ही है.
‘धूम्रपान करना सेहत के लिए हानिकारक है’ . धूम्रपान का मतलब है-धुआं पीना! सिगरेट, बीड़ी, गांजा, भांग का आदि का सेवन करने से दूषित और हानिकारक धुआं फेफड़ों में फ़ैल कर उन्हें रोगग्रस्त बना देता है और यह जानते हुए भी हम में से कई लोग धूम्रपान की बुरी आदत छोड़ते नहीं हैं या छोड़ नहीं पाते हैं.
आजकल महिलाएं पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर सारी जिम्मेदारियां सक्षमता से उठाते हुए दिखती हैं और इसके साथ ही कॉर्पोरेट कल्चर में अपने कलीग्स के साथ धूम्रपान भी कर रहीं हैं.
भारत में महिलाओं के धूम्रपान करने का आँकड़ा पिछले कुछ सालों में बहुत ज़्यादा बढ़ गया है. इसका कारण पूछने पर डॉक्टर्स बताते हैं कि महिलाओं में धूम्रपान की लत काफी हद तक तनाव से जुड़ी होती है. अक्सर महिलाएं अगर तनावपूर्ण स्थिति में है तो उससे राहत पाने के लिए वह सिगरेट का सहारा लेतीं हैं.
धूम्रपान की लत बढ़ने में बॉलीवुड और टीवी के अदाकारों का काफी रोले है. जब कॉलेज में पढ़ने वाली या अन्य युवतियां इन अभिनेत्रियों को सिगरेट पीते हुए देखती हैं, तो वो अपने मन में धूम्रपान को सफल महिलाओं के साथ जोड़ती हैं, और इसका नतीज़ा हमारे सामने है.
धूम्रपान करना पुरुष और महिलाओं दोनों के लिए ही हानिकारक होता है. लेकिन महिलाओं में हृदयविकार होने के साथ ही मेनोपॉज़ के समय परेशानी हो सकती है और फेफड़ों से सम्बंधित कई रोग भी हो सकते हैं. धूम्रपान से खाने की इच्छा भी मर जाती है. महिलाओं का सिगरेट पीना गर्भावस्था में उनके शिशु के साथ ही उनके अपने स्वास्थ्य पर भी कई बुरे प्रभाव डालता है.
एक सिगरेट में 9 मिलीग्राम निकोटीन होता है. सिगरेट जलने के बाद एक मिलीग्राम निकोटिन बचता है. बाकी का 8 मिलीग्राम निकोटिन धुएं के रूप में आपके फेफड़ों में चला जाता है. हालांकि निकोटिन शरीर पर सीधे असर नहीं करता लेकिन अनेक केमिकल्स के साथ रिएक्शन होकर इस का टार बनता है. स्मोकिंग के दरम्यान जितना भी टार बनता है उसकी 70 फ़ीसदी टार फेफड़ों में ही जमा होता है. इस टार में चूहे मारने वाला जहर आर्सेनिक और हाइड्रोजन सायनाइड जैसे जहरीले रसायन होते हैं.
पिछले 5 सालों में धूम्रपान करने वाली महिलाओं की संख्या में 50% से 60% तक की वृद्धि हुई है. अक्सर महिलाएं यह सोचती है कि काम की जगह पर किसी से दोस्ती करने के लिए तथा कामकाज के अलावा बातें करने के लिए सिगरेट ब्रेक्स अच्छे होते हैं. धूम्रपान करना आजकल स्टेटस सिंबल माना जाता है. इसीलिए कभी-कभी पुरुषों की तरह महिलाएं भी अपना स्टेटस दिखाने के लिए धूम्रपान करती हुई नजर आती है. मॉडलिंग इंडस्ट्री में महिलाओं का धूम्रपान करना कोई नई बात नहीं. अक्सर मॉडलिंग करने वाली लड़कियां तनाव से दूर रहने के लिए या पतला रहने के लिए धूम्रपान करती है.
महिलाओं की आर्थिक निर्भरता बढ़ने के कारण तंबाकू और सिगरेट उद्योग, महिलाओं की तरफ एक अच्छे और बढ़ते ग्राहक वर्ग के तौर पर देखता है. दिलचस्प बात ये है कि सिगरेट पीने के मामले में जहाँ अमेरिकी महिलाएं सबसे आगे मानी जातीं हैं वहीँ भारतीय महिलाएं दूसरे नंबर पर हैं . लेकिन भारत में ज्यादातर महिलाएं धूम्रपान छिपकर करतीं हैं जिससे धूम्रपान करनेवाली महिलाओं का सही आंकड़ा सामने नहीं आ पाता. शायद जो आंकड़ा अभी दिखाई दे रहा है उससे कहीं ज़्यादा महिलाएं स्मोकिंग करती होगी और यह निश्चित रूप से चिंताजनक बात हैं.
यहाँ इस बात को समझने की जरुरत है कि मॉडर्न दिखने या कॉर्पोरेट कल्चर से तालमेल बिठाने के लिए सिगरेट पीना अनिवार्य नहीं है. धूम्रपान से बचें, स्वस्थ रहें.
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