भारतीय महिलाओं और पुरुषों में बड़ा पेट होना आम बात है। अधिक बाहर निकला या बड़ा पेट देखने में तो ख़राब लगता ही है, साथ ही यह व्यक्तित्व और आत्मविश्वास में भी कमी लाता है। ऐसे में हमें पेट के बढ़ने के कारणों और उसे कम करने के उपायों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी होना आवश्यक है। आज हम इस लेख में आपको पेट के मोटापे के मुख्य पांच प्रकारों एवं उनसे छुटकारा पाने के तरीकों के बारे में बताएंगे।
पांच प्रकार के पेट के मोटापे कौन-कौन से हैं? इनसे किस प्रकार छुटकारा पाया जा सकता है?
1. एल्कोहोल बेल्ली (Beer Belly)
बियर, वाइन या अन्य एल्कोहलयुक्त पदार्थों का सेवन करने से इनका हमारी पाचन क्रिया पर विपरीत प्रभाव पड़ने लगता है। इसके अतिरिक्त एल्कोहोल युक्त मादक पदार्थों में कैलोरी की मात्रा भी अत्यधिक होती है जो हमारे पेट को फुलाती है।
इस तरह के पेट से बचने के लिए खान-पान में परिवर्तन लाना ज़रूरी है । बढे हुए पेट को कम करने के लिए आवश्यक है कि हम एल्कोहोल युक्त मादक पदार्थों का सेवन न कर हरी सब्जियाँ और ताजा फल भोजन में सम्मिलित करें।
2. मातृत्व बेल्ली (मम्मी बेल्ली)
एक बच्चे के जन्म के बाद माँ का पेट सामान्य स्थिति से ज्यादा बड़ा हो जाता है। इस तरह के पेट को कम करने के लिए हल्के व्यायाम का सहारा लें और पेट पर रोजाना हल्की-हल्की मालिश करें। ज्यादा बड़ा पेट होने पर आप ऐसी स्थिति में चिकित्सक की सलाह भी ले सकते हैं।
3. तनावयुक्त बेल्ली
पर्याप्त नींद नहीं लेने या अत्यधिक तनाव की स्थिति में आपके शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अधिक तनाव का सीधा प्रभाव आपके पेट पर पड़ता है, जिससे आपका पेट धीरे-धीरे बड़ा होने लगता है। इसीलिए आवश्यक है कि तनावमुक्त वातावरण में रहें और दिन में कम से कम 6 से 7 घंटे की नींद अवश्य लें। इससे आपका शरीर रिलैक्स होगा और आपका पेट भी संतुलित बना रहेगा।
4. हार्मोनल बेल्ली
हमारे शरीर में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन के कारण भी कभी-कभी हमारा पेट बड़ा होने लगता है। इससे बचे रहने के लिए पौष्टिक आहार और तरल पदार्थों का नियमित सेवन अत्यंत आवश्यक है। हार्मोनल परिवर्तन में यदि आपका पेट बढ़ने लगे तो इसके लिए आप चिकित्स्कीय परामर्श का सहारा लें।
5. फूला हुआ पेट
कभी-कभी पाचन क्रिया ठीक तरह से नहीं चलने के कारण या पेट साफ नहीं होने से भी हमारा पेट फूलने लगता है। ऐसे पेट से छुटकारा पाने के लिए आप ज्यादा से ज्यादा पानी पिएँ और खाने में केवल पौष्टिक आहार को प्राथमिकता दें।
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