क्या आप जानती हैं कि बांधनी साड़ियों का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता के समय शुरू हुआ था? पश्चिमी भारत में रंगाई की यह कला ईसा पूर्व 4000 से चलती आ रही है, यानि कि छह हजार वर्ष पुराना है यह कौशल। आज भी बांधनी के मुख्य केंद्र पश्चिम भारत में ही हैं – मुख्यतर गुजरात और राजस्थान में। ये तो हो गयी थोड़ी पुरानी बातें, अब देखते हैं इन बंधेज साड़ियों के कुछ नए रूपरंग।
बांधनी कला में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाले रंग हैं लाल, पीला, हरा, नीला और हरा। इनमें से भी सबसे ज्यादा लाल रंग की बांधनी साड़ियों की ही डिमांड रहती है। तो हम भी शुरुआत एक मनमोहक लाल बांधनी साड़ी से ही करते हैं। बुनकरों ने इस साड़ी की बार्डर पर फूलों के सुंदर डिजाइन बुने हैं और संग में जोड़ी हैं प्यारी-प्यारी लटकनें। साड़ी पर लाल के अलावा सुनहरे रंग का प्रयोग किया गया है, जो इसे एक एक्सट्रा चमक दे रहा है और साड़ी को एक स्पेशल लूक।
इस बांधनी साड़ी के लाल रंग को एक गुलाबी शेड वाला टच दिया गया है। साड़ी के संग मिलेगा आपको हरे रंग का ब्लाउज़ पीस। आप चाहें तो अपना माप देकर ब्लाउज़ को सिलवा भी सकती हैं।
एक बार देखते ही इस साड़ी में आपको बनारसी साड़ियों और बंधेज, दोनों का लूक दिखेगा। क्योंकि इस बांधनी साड़ी को बनारसी सिल्क से तैयार किया गया है। इस साड़ी को फ़ैशन डिजाइनर समारा सिंह ने डिजाइन किया है।
नीली रंग की इस डोला सिल्क साड़ी पर देखिये मनमोहक बांधनी प्रिंट। साड़ी का रंग पूर्ण रूप से नीला न होकर नीले और हरे रंगों का एक सुंदर मिश्रण है। पल्लू बार्डर पर लाल रंग की लटकनें हैं। साड़ी की पूरी बार्डर भी लाल रंग की है – एक पतली पट्टी में। इसलिए इसके संग आप बार्डर के रंग से मेल खाता लाल रंग का ब्लाउज़ पहन सकती हैं, अच्छा जँचेगा।
लाल के अलावा एक और रंग जिसका बंधेज साड़ियों में अधिक प्रयोग होता है, वो है पीला। अब जो हम साड़ी दिखा रहे हैं, इसमें आपको यह दोनों रंग एक संग दिखेंगे – हाफ एंड हाफ साड़ी स्टाइल में, आधी पीली और आधी लाल।
साड़ी यह भले ही राजस्थान की हो, पर इस पर रंग चढ़ रखा है पड़ोस के पंजाब के सरसों के खेतों का। रेशम के धागों से बुनी हुई इस साड़ी पर ज़री के अतिरिक्त डोरी का काम भी है। सरसों के रंग वाली इस साड़ी के साथ लाल रंग का यह ब्लाउज़ बड़ा ही सुंदर लग रहा है। इस साड़ी का गेटप तब कंप्लीट होगा जब आप इसके संग पहनेंगी ढेर सारे गहने। कलाइयों में डालिएगा रेड/गोल्ड कंगन और गले में चोकर नेकलेस।
देखिये बनारसी सिल्क में एक और खूबसूरत बांधनी साड़ी, इस दफा एक प्यारे गुलाबी रंग में। इस साड़ी की सुंदरता पर चार चाँद लगा रहे हैं इस पर किया गया डोरी और पेच वर्क। साड़ी की बार्डर डिजाइन भी बड़ी ही सुंदरता से बनाई गयी है। इसके संग गहरे हरे रंग का ब्लाउज़, जैसा कि नीचे फोटो में मोडेल ने पहन रखा है, उत्तम रहेगा।
अगर एक बांधनी साड़ी में आपको भरपूर दमक लानी हो, तो क्या करना चाहिए? जी हाँ, गोटा पत्ती का जी खोलकर प्रयोग करें। तब जाकर तैयार होगी ऐसी दमक वाली बांधनी साड़ी।
बांधनी साड़ियों का गढ़ है गुलाबी नगरी जयपुर। रँगीले राजस्थान की रंगीली राजधानी में डिजाइन और निर्मित इस साड़ी के बार्डर पर गोटा से सुंदर पुष्पों को अंकित किया गया है। चौड़े गोटा पत्तियों वाले बार्डर ने इस पारंपरिक बांधनी साड़ी को एक नया रूप प्रदान कर दिया है। आपको पसंद आनी चाहिए।
इस साड़ी के तो रंग ही आपका दिल जीत लेंगे। हमें तो जिस तरह से लाल और पीले रंगों का प्रयोग किया गया है, यह अंदाज़ बड़ा नया भी और बड़ा ही स्टाइलिश भी लगा। साड़ी और भी खिल रही है क्योंकि इस पर फोइल प्रिंट भी किया गया है। फैब्रिक शिफ़्फोन है।
हमने ऊपर भी आपको एक ब्लू-ग्रीन कलर की डोला सिल्क साड़ी दिखाई थी। सेम उसी फैब्रिक में अब देखिये अब पूर्ण रूप से ग्रीन साड़ी। ऊपर वाली साड़ी की माफिक ही इस पर भी लाल रंग की एक पतली पट्टी वाला बार्डर है और लटकनें भी। इस साड़ी के संग भी बार्डर पट्टी वाले लाल रंग से मेचिंग ब्लाउज़ ही बेस्ट लगेगा।
एक और प्रकार की साड़ी जिसके लिए राजस्थान और गुजरात जाने जाते हैं, वो है घाटचोला साड़ी। अब जो हम आपको साड़ी दिखा रहे हैं, इस बांधनी साड़ी में आपको घटचोला साड़ियों की एक छंटा भी दिखेगी।
बॉक्स पल्लू वाली यह साड़ी आर्ट सिल्क में बनी है। आमतौर पर बांधनी साड़ियाँ थोड़े ब्राइट रंगों में होती है। अगर आप को थोड़ा सा मेट फिनिश पसंद है, तो आप यह डिजाइन देखें।
हालांकि अभी तक लाल और गुलाबी रंगों पर ही केन्द्रित रहे हैं, पर बांधनी कला में काले धागों का भी काफी प्रयोग होता है। सो लीजिये, पेश है एक एलीगेंट ब्लैक बांधनी साड़ी।
नंबर पंद्रह पर देखिये आज की हमारी बांधनी साड़ियों के संग्रह का आखरी पीस और एक बेहद ही खास पीस भी। यह गुलाबी बांधनी साड़ी तो है ही इतनी खूबसूरत कि जिन महिलाओं ने काफी बांधनी साड़ी नहीं पहनी हैं, वो भी इसे देख पहनने का मूड बना ही लेंगी। इस स्पेशल साड़ी को और भी स्पेशल बना रहे हैं इस पर किया गया आरी और ज़री का काम। साड़ी पर सिकविन का प्रयोग हुआ है और मोतियों का भी!
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