जुएँ एक प्रकार के परजीवी हैं। जो दूसरों पर अपने खाने के लिए निर्भर रहते हैं और दूसरे के शरीर पे ही पनपते और पैदा होते हैं।आमतौर पर ये सर के बालों में पाये जाते हैं, परंतु यह जननांगों में भी हो सकते हैं। रंगो के भेद पर देखा जाए तो, ये दो प्रकार के होते हैं। एक सफ़ेद और एक काले। जो काले होते हैं, उसे जुएँ कहते हैं और जो सफ़ेद होते हैं, उसे चिलुआ कहा जाता है।
चिलुआ और जुएँ , दोनों में एक साधारण सा अंतर है, कि चिलुआ शरीर में पनपते हैं और जुएँ सिर्फ सर या बालों में पाये जाते हैं। दोनों का एकमात्र यही लक्ष्य है कि वह शरीर का खून पिये।
जुएँ मनुष्य के सिर की त्वचा में छेद करके शरीर का रक्त चूसते हैं। ये उड़ते अथवा कूदते नहीं हैं, परंतु ये बड़ी तेज़ी से चल सकते हैं।इसी कारणवश इन्हें पकड़ पाना मुश्किल हो जाता है। देखा गया है,कि अमेरिकन और अफ़्रीकी लोगों में यह कम होते हैं। इसका कारण उनके बालों का आकार।
जुएँ अपने अंडे जिसे आम भाषा में लीख कहा जाता है, वह सिर में छोड़ देते हैं। जिसमें से दो या तीन दिन बाद असंख्य जुएँ निकलते हैं। वह अपने अंडे को सुरक्षित रखने के लिए गर्दन के नीचे या कानों के पीछे एक खास प्रकार के गोंद से चिपका देते हैं ।जिससे पानी या ब्रश से धोने से वह नहीं निकलते इन्हें एक-एक करके हाथों से ही निकालना पड़ता है।
जुएँ होने के कारण
जुएँ आमतौर पर तो शरीर में उत्पन्न हुए पसीने से, बालों की गंदगी के कारण उत्पन्न होतें है। अगर बालों की देखभाल सही तरीके से ना की जाए या उसकी साफ सफ़ाई में थोड़ी भी कमी की जाए तो ,यह पनप सकतें हैं । इन्हें गंदगी बहुत पसंद होती है। तो जहाँ गंदगी होती है ,वहाँ यह होते हैं।ऐसा व्यक्ति जिसके सर में पहले से जुएँ हो उसके संपर्क में आने से भी जुएँ पड़ सकतें है।
- जैसे किसी का स्कार्फ़, हैट या कंघी इस्तेमाल किया जाए ।
- उनके साथ एक ही बिस्तर का प्रयोग किया जाये।
- उनके एकदम निकट या सर के करीब रहा जाये ।
जुएँ निकालने के लिए यूं तो बाज़ार में बहुत सारे उत्पाद उपलब्ध हैं । लेकिन इन में कई ऐसे केमिकल्स होते हैं जो हमारी आंखों पर बुरा असर करते हैं| देखरेख से ज़्यादा सावधानी सहज होती है। इसीलिए ,यह ख़ासतौर पर ध्यान रखना चाहिए कि आपके बालों में बिल्कुल भी गंदगी ना हो या आप किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में ना आये जिस के सर में जुएँ हो।
फिर भी अगर किसी कारणवश आप के सर में जुएँ पनप जाते हैं, तो उसका उपाय घरेलू तरीक़े से ही किया जाना चाहिए। केमिकल्स का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए।
जुएँ को मारने के लिए लोग नाखूनों का प्रयोग करते हैं, जो कि बहुत ख़तरनाक साबित हो सकता है। जुएँ में होने वाला ज़हर अगर आपके शरीर में पहुंच जाए तो जलोदर नामक रोग हो जाता है। जिससे आपके पेट में पानी भर जाता है।इसका इलाज आज तक कोई डॉक्टर ढूंढ नहीं पाये हैं। इसलिए समझदारी इसी में है कि आप इन बातों का ध्यान रखें।
Rudra kumar Bhattachariya
चिलुअ को हाटाने के लिये केया कोरु Sir
Annu
mere sar par joo h plzz htane k koi medicine bta hai.