“गमला क्यों फूटा? कमला क्यों टूटी?” यह पंक्तियाँ दूरदर्शान पर आने वाले एक पुराने सरकारी विज्ञापन की हैं जो कि बाल विवाह के कड़वे सत्य को उजागर करता है। १५ अगस्त २०१७ को हमने भारत का ७१ स्वतंत्रता दिवस मनाया पर क्या हम सही मायनो में स्वतंत्र हैं ? खासकर क्या देश की महिलाएं, हमारी बेटियां सही मने में आज़ादी से जी पा रहीं हैं?
आंकड़ों को देखें, तो हर साल १५ लाख लड़कियों का विवाह १८ वर्ष की उम्र से पहले ही करा दिया जाता है। बालविवाह एक लड़की के पढ़ने के अधिकार और स्वस्थ रहने के अधिकार पर एक क्रूर और सीधा प्रहार है। २०१६ में जारी यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में १८ प्रतिशत लड़कियों का विवाह १५ वर्ष से पहले करा दिया जाता है और ४७ प्रतिशत लड़कियों का विवाह १८ वर्ष से पहले हो जाता है।
बालविवाह के मामले में भारत उच्च स्थान पर आता है। सबसे अधिक मामले बिहार और राजस्थान में देखने को मिलते हैं। बिहार में यह प्रतिशत ६९ तो राजस्थान में ६५ पहुँच जाता है।
गरीबी, शादी का खर्च, दहेज़ आदि कई कारण हैं जो बाल विवाह के लिए जिम्मेदार हैं। ग्रामीण इलाकों में खस्ता हाल शिक्षण व्यवस्था भी बालविवाह का एक मुख्य कारण है।
भारत के संविधान के तहत महिलाओं के लिए विवाह की आयु १८ वर्ष और पुरुषों के लिए ये आयु २१ वर्ष सुनिश्चित की गयी है। इसका उल्लंघन करने पर कानूनी तौर पर चाइल्ड मैरिज एक्ट के तहत १,००,००० का जुर्माना अथवा २ साल की जेल हो सकती है। बालविवाह एक जघन्य अपराध है।
भारत सरकार कई वर्षों से कई ऐसी योजनाएँ चला रही हैं जैसे – धनलक्ष्मी योजना, किशोरी शक्ति योजना आदि जो कि बाल विवाह को रोकने में कुछ हद तक कारगर हुईं हैं, पर अभी तक व्यापक परिणाम नहीं मिले हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य न सिर्फ महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देना बल्कि महिलाओं को बालविवाह से होने वाले दुष्परिणामों से बचाना भी है। लड़के व लड़कियाँ दोनों ही वर्ग बालविवाह के दुष्परिणामों से ग्रसित हैं। पर लड़कियाँ अभी भी इस कुरीति से ज्यादा प्रभावित हैं।
हमारे समाज में आज भी कई ऐसे लोग हैं जो लड़कियों को ऋण के तौर पर देखते हैं और उनके मुताबिक महिलाओं का काम केवल घर संभालना होता है। हमारे समाज में मौजूद ऐसी ही सोच समाज की कुरीतियों को बढ़ावा देती है जिनमें से बालविवाह मुख्य है। बालविवाह का सीधा असर महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है। आंकड़ों के मुताबिक १८ वर्ष से काम उम्र में गर्भधारण माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थय के लिए खतरनाक है और यह माँ और बच्चे की मृत्यु का कारण भी हो सकता है।
गमला और कमला, दोनों इसलिए टूटे थे क्योंकि दोनों ही कच्चे और कमज़ोर थे।यह समाज का फ़र्ज़ है कि हम अपनी बच्चियों को पहले समय दें कि वो अपनी शिक्षा पूरी कर अपने पैरों पर खड़ी हो सकें, ताकि अपने जीवन के महत्वपूर्ण फैसले वो खुद सोच-समझ कर ले सकें।
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