आमतौर पर बच्चे 10 महीने से 16 महीने के बीच चलना शुरू कर देते हैं। कुछ बच्चे इससे देर में भी चलना सीखते हैं। क्या आप के शिशु ने खड़ा होना शुरू कर दिया है? तो ठीक से चलने में दो-तीन महीने का समय लग सकता है। सभी बच्चों की शारीरिक एवं मानसिक विकास एक सामान गति से होना आवश्यक नहीं हैं।
बच्चे प्रथम वर्ष में विकास के दौरान अपनी मांशपेशियों पर नियंत्रण करना सीखते हैं। इस दौरान करवट लेना,बैठना, घुटनों के बल चलना, फिर घर में रखी चीजों को पकड़ कर खड़े होना शुरू करते हैं। सामान्यतः ये सभी क्रियाएं बच्चे छः से दस महीने के अन्दर करने लगते हैं।
यदि आपका बच्चा इन क्रियाओं को करने की शुरुआत देर से करता है, तो उसे ठीक से चलने की शुरुआत करने में भी देर होना स्वाभाविक होगा। इसके अतिरिक्त यदि निम्नलिखित कारणों के लक्षण आपके बच्चे के ठीक से चलने में रुकावट बन रहे हों। तो आइये जाने उन्हें दूर करने के उपाय।
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● यदि आपका बच्चा बारह बारह महीने पूरे करने के बाद भी बैड, टेबल, कुर्सी आदि को पकड़ कर खड़ा न हो पा रहा हो, तो डाक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। किन्तु यदि बच्चा समय से पहले यानि सातवें या आठवें महीने में पैदा हुआ हो, तो उसकी शारीरिक विकास की गतिविधियाँ सामान्य बच्चे से दो से तीन महीने देर से होती हैं। ऐसे बच्चों का 15 महीने में चीजों को पकड़ कर खड़ा हो पाना सामान्य बात है।
● यदि बच्चा 18 महीने पूरा करने पर और समय से पूर्व पैदा हुए बच्चों के मामले में दो वर्ष पूरा करने पर डगमगाते हुए भी चलना शुरू नहीं किया हो। तो शिशु रोग विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए।
● ज्यादा से ज्यादा बच्चे को गोद में रखने के कारण भी बच्चा जल्दी चलना शुरू नहीं कर पाता है। बच्चे को फर्श पर न छोड़ना भी उसकी मसल्स के विकास में बाधा उत्पन्न करती है। इसलिए जैसे हीं बच्चा घुटनों के बल चलना शुरू करे, उसे गोद में कम लेना चाहिए। इससे बच्चों की मसल्स मजबूत होने के साथ हीं वे जल्दी चलना शुरु भी कर देते हैं।
● यदि बच्चा दो या तीन महीने के दौरान सुखा रोग, निमोनिया, पीलिया आदि किन्हीं बीमारियों से ग्रस्त रहा हो। तो उसको ठीक से चलने में देर हो सकती हैं।
● बच्चो को चलने में सहायता करने के लिए बैठने वाले वॉकर का सहारा देने पर भी बच्चा देर से चलना शुरू कर सकता है। इस प्रकार के वॉकर गाड़ी की जगह तीन पहिया वाली लकड़ी की वॉकर गाड़ी का सहारा देना ठीक रहता है। इस प्रकार के वॉकर को खड़े होकर बच्चे पकड़ कर चलाते हैं। जिससे शरीर की तमाम माँसपेशियों की कसरत होती है। जिसके कारण माँसपेशियाँ एवं हड्डी मजबूत होती है और बच्चे समय पर चलना शुरू कर देते हैं।
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