छोटे-नन्हें बच्चे हर घर की जान और हर चेहरे की मुस्कान होते हैं। लेकिन यह मुस्कान उस समय बदल जाती है जब येही नन्हें बच्चे सूसू या पोटी करके अपने और बड़ों के कपड़े खराब कर देते हैं। तकनीकी विकास ने इस समस्या का हल दिया है, बच्चों को डायपर बांधकर। अब आपको कुछ नहीं करना है, बस बच्चों को एक अच्छा सा डायपर पहनाएँ और अपनी व बच्चों की मुस्कुराहट को बनाएँ रखें।
लेकिन इस बात का ध्यान रखें की डायपर ऐसा हो, जो आपकी ज़रूरत तथा बच्चों की शारीरिक जरूरतों के अनुरूप हो। इसलिए डायपर लेने से पहले इन बातों का ध्यान ज़रूर रखें:
एक नवजात शिशु से लेकर ठुमक-ठुमक चलते बच्चों तक के लिए डायपर बाज़ार में उपलब्ध हैं। अच्छी कंपनी का पूर्ण सोखने वाली क्षमता वाला डायपर बच्चे की पोटी तक सोखने की क्षमता रखता है। इसलिए आप अपनी ज़रूरत के अनुसार डायपर का चयन कर सकतीं हैं।
आजकल हर अच्छी कंपनी अपने डायपर में बच्चे की उम्र, आकार और वज़न ज़रूर लिखती है। इसलिए डायपर लेते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। नहीं तो डायपर टाइट या फिर ढीला होगा और दोनों ही सूरतों में बच्चों को परेशानी होगी। इसलिए नन्हों की मुस्कान का राज़ उनका सही आकार व साइज़ का डाइपर होता है।
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बाज़ार में मिलने वाले विभिन्न डायपरों की कीमत भी अलग-अलग होती है। आप अपनी पसंद और ज़रूरत के अनुसार डायपर लेने से पहले सभी ब्रांड की कीमत को कंपेयर कर लें। इसके बाद अगर हो सके तो बल्क में खरीद लें। इससे आपको एक डायपर की कीमत सस्ती भी हो सकती है।
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डायपर की फ़िटनेस उसमें लगी कमर की वेलकृ पट्टी और टांगों के लिए बने छेद पर निर्भर करती है। आप डायपर पर लगे साइज़ और आकार और अपनी ज़रूरत के अनुसार एक उपयुक्त डायपर को चुन लें। अगली बार आप किसी दूसरी कंपनी के डायपर का प्रयोग करके उसकी उपयुक्तता भी जांच सकतीं हैं।
यदि आप नवजात शिशु के लिए डायपर ले रहीं हैं तो कम से कम एक दिन में 12 डायपर लग सकते हैं। लेकिन जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ती है उसकी डायपर की ज़रूरत कम होती जाती है। इसके अतिरिक्त जब बच्चा स्वयम अपनी सूसू-पोटी के बारे में बता देता है तब तो और भी ज़रूरत कम हो जाती है। इसलिए आपके लेने वाले डायपर की संख्या, आपके बच्चे की उम्र और उसकी आदत पर निर्भर करती है।
अगर आप यह सवाल किसी डायपर बनाने वाली कंपनी से पुछेंगी तो वो कहेगी, कि हाँ क्यूंकी उनके डायपर बच्चों की स्किन को नुकसान नहीं करते हैं। लेकिन व्यावहारिकता में बच्चों के लिए डायपर का इस्तेमाल केवल बहुत ज़रूरत पर ही करना चाहिए। कुछ बच्चों में नैपि रेष जैसी परेशानी हो जाती है। ऐसे में उन्हें तुरंत डॉक्टर को दिखाकर उनका इलाज करवाएँ।
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