हमारा देश भारत बहुत सी आस्थाओं एवं विश्वास की पृष्ठभूमि पर युगों युगों से विश्वास और अनुकरण करते चला आ रहा है। यहाँ ऐसे बहुत से लोग हैं, जो अपनी अपनी मान्यताओं और विश्वास की आधारशिला के अनुसार ही इस दुनिया के साथ चलते हैं।
आस्था और विश्वास अपने अपने स्थान और अपनी अपनी सीमाओं में रहें तो पूरी तरह से सही हैं। परंतु यदि आस्था और विश्वास बेबुनियाद होने लगें, और इंसानी सोच की पराकाष्ठा को पार करने लगें, तो ऐसी परिस्थितिओं में आस्था और विश्वास दोनों अंधे हो जाते हैं।
जिस इंसान के मन और मस्तिष्क पर अंधी आस्था और अंधविश्वास की पट्टी बंधी हुई होती है, उसका विवेक भी उसकी सहायता नहीं कर सकता है। ऐसी स्थिति में उस इंसान का विवेक और उसकी मूल शिक्षा ही उसके मन मस्तिष्क पर बंधी हुई अंधविश्वास नामक पट्टी को खोल सकता है.
परंतु एक व्यक्ति के सुशिक्षित होने के बावजूद भी हम इस बात पर कोई भरोसा नहीं रख सकते, कि वो किसी भी अंधविश्वास के मायाजाल में न फंसे। ऐसे भोले भाले और मासूम लोगों की अंधी श्रद्धा ही इस देश में अलग अलग ढोंगी बाबाओं को इस बात के लिए शह देती हैं, कि वे लोगों के विश्वास का फ़ायदा उठाकर मासूमों का शोषण करें।
आज हम आपको इस तरह के बाबाओं के ढोंग की पहचान करने के ऐसे पाँच ठोस तरीक़े बताने जा रहे हैं, जिससे आप इनका शिकार बनने से बच सकें।
• किसी भी सुप्रसिद्ध बाबा से मार्गदर्शन लेने से पहले आप उसके बारे में इंटरनेट पर थोड़ी सी खोजबीन अवश्य कर लें। इससे हो सकता है, कि आपको बाबा के बारे में थोड़ी अधिक जानकारी मिल जाए. जैसे कि बाबा बनने से पहले की जिंदगी में वो क्या था? अगर आपको कुछ भी आपत्तीजनक या संदेहास्पद लगे तो समझ लीजिये, कि वो ढोंगी है।
• यदि वो खुद को भगवान का एक अवतार होने का दावा करता है, तो जान लीजिये इसमे कोई शक नहीं, कि वो ढोंगी है।
• यदि आपको वो किसी भी चमत्कार के जरिये आपकी समस्यओं से छुटकारा दिलाने का दावा करता है, तो निश्चित रूप से ही वो ढोंगी है, क्योंकि आपके सिवा ऐसा कोई पैदा नई हुई जो किसी चमत्कार से आपका जीवन सुलझा दे। आप अपनी ज़िन्दगी में खुद एक चमत्कार हैं।
• महिलाओं के प्रति उसके व्यवहार पर ज़रा गौर फरमाइएगा। यदि वो औरतों से अकेले में मिलने की फ़िराक में हैं, तो अवश्य ही बाबा चरित्रहीन है। औरतों को उसके शोषण से बचना चाहिए, क्योंकि सिद्ध पुरुषों के लिए सभी भक्त एक समान होने चाहिए।
•यदि आपको बाबा के चेलों का व्यवहार ज़रा भी संदेहास्पद लगे तो जान लीजिये, कि दाल में कुछ तो काला ज़रूर है, क्योंकि, जैसा गुरु, वैसे ही उसके चेले होते हैं।
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