सभ्यता के आरंभ से मानव विभिन्न प्रकार के उत्सवों और त्योहारों को मनाता आ रहा है। कुछ त्यौहार किसी परंपरा के पालन हेतु मनाए जाते हैं, तो कुछ को किसी न किसी देव अवतार के रूप में मनाया जाता है। इसी क्रम में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव है, जो भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाने के लिए हर उम्र के नर-नारी और बच्चे पूरे दिन व्रत रखकर रात 12 बजे श्रीकृष्ण के जन्म लेने पर उनके अभिषेक का जल पीकर अपना व्रत पूर्ण करते हैं। पूजा के समय कृष्ण जन्म कथा को कहकर और कृष्ण आरती के साथ पूजा सम्पूर्ण करते हैं। कृष्ण जन्म कथा को आपके लिए यहाँ हम संक्षेप में सुना रहे हैं:
द्वापर युग में मथुरा के राजा उग्रसेन के पुत्र कंस ने अपनी सबसे प्यारी बहन देवकी का विवाह अपने मित्र वसुदेव के साथ किया था। उस समय देववाणी के अनुसार देवकी की आठवीं संतान कंस का काल बनेगी। यह सुनकर कंस ने अपनी बहन और मित्र को जेल में बंद कर दिया और समय आने पर उसकी एक-एक करके सात संतानों को नष्ट कर दिया। आठवीं संतान के प्रसव पूर्व विधाता की मर्जी के अनुसार देवकी-वसुदेव के कारागार के द्वार खुल गए और पहरेदार भी नींद में सो गए। यह देखकर वसुदेव ने अपनी नवजात संतान को एक टोकरी में रखकर बृंदावन में अपने मित्र नन्द लाला और यशोदा के घर छोड़ आए। समयानुसार श्री कृष्ण नन्द-यशोदा के घर बड़े हुए और निश्चित समय आने पर उन्होने कंस का वध भी कर दिया।
इस दिन घर के लोग अपने पूजाघर को कृष्ण लीला के लिए सजाते हैं, बाल-गोपाल की पालकी सजाते हैं और भजन संध्या से भगवान कृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं। तो आइये, आप घर बैठे ही अपने पूजा घर को बाल-गोपाल की पालकी से कैसे सजा सकते हैं, इस बारे में बताते हैं:
बाल गोपाल का यहाँ झूला आपको वृन्दावन की याद दिलाएगा। इस झूले की साथ ही आपको माखन चोर बाल गोपाल की मन मोहिनी मूरत इस झूल की शोभा बढ़ा रही है।
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श्री कृष्ण जन्मोत्सव के दिन आप अपने घर ले आइए यह खूबसूरत हस्त निर्मित झूला। इस झूले को चारों ओर से आकर्षित मोर से सजाया गया है।
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इस झूले को आपको अतिरिक्त फूलों से सजाने की जरूरत नहीं है। गुलाब के फूलों से सजा हुआ यह झूला जन्माष्टमी के लिए बेस्ट है।
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यह आकर्षित झूला हस्त निर्मित है। पालकी में लगी हुई मोतियों की डोर बहुत सुंदर दिखाई दे रही है। मनमोहक रंगों से इस झूले की सुंदरता और बढ़ गई है।
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आप इन झूलों से अपने पूजाघर को निःसंकोच सजा सकतीं हैं।
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