क्या आप दिनभर बैठे-बैठे अपना काम करते रहते हैं? अगर आप लगातार बैठे रहकर अपने ऑफिस का काम निपटाते रहते हैं
या फिर आपके पास कोई काम ही नहीं है, इसलिए आप ज़्यादातर समय बैठे-बैठे गप्पे मारते या टीवी देखते रहते हैं, तो आप अपने स्वास्थ्य को बिगाड़ रहे हैं. अगर आप अपने स्वास्थ्य को लेकर सचेत नहीं हैं तो आज, अभी से ही हो जाइए. कुर्सी से जमे रहने की आदत बदलना बहुत ज़रूरी है. आपको शायद ये बात जानकर हैरानी होगी कि लगातार बैठे रहना आपके स्वास्थ्य के लिए उतना ही ख़तरनाक है, जितना सिगरेट पीना. चलिए जानते हैं कि लम्बे समय तक बैठे रहने से हमें क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं|
1. अगर हम अत्यधिक समय तक टीवी के सामने या दफ्तर की कुर्सी पर बैठे रहते हैं, तो कई तरह की बीमारियाँ हो सकती हैं| इन बीमारियों में हाई ब्लड प्रेशर,
कोलेस्ट्रोल बढ़ना, मोटापा, हार्ट प्रॉब्लम, मधुमेह, गैस, कब्ज, पेट की अन्य बीमारियाँ, तनाव, सरदर्द, पीठ में दर्द, गर्दन में दर्द जैसी बीमारियाँ शामिल हैं| जहाँ बहुत ज़्यादा सिगरेट पीने से हमें लकवा, हार्ट की बीमारी, त्वचा रोग, गले, फेफड़े, और मुंह का कैंसर होने का डर है ,वही अत्यधिक समय तक बैठे रहने से तो हमें कई बीमारियों का डर है, जो हमारा जीवन नष्ट कर सकती हैं| छोटी-मोटी बीमारियाँ आगे चलकर किसी घातक बीमारी का रूप भी ले सकती हैं|
2. स्मोकिंग के बुरे प्रभाव के कारण हमारी उम्र ज़्यादा लगने लगती है मतलब हम समय से पहले ही बूढ़े होने लगते हैं. स्मोकिंग के कारण त्वचा पर सूजन, झुर्रियां, एज स्पॉट्स, फाइन लाइन जैसी समस्याएं हो जाती हैं| ठीक ऐसा ही सेडेंटरी लाइफस्टाइल से भी होता है. लगातार बैठे रहने से हमारे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक से नहीं होता है और त्वचा पर बुरा असर होता है. त्वचा धीरे-धीरे खुरदुरी और झुर्रीदार हो जाती है.
3. हाल ही में एक रिसर्च से ये पता चला है कि ज़्यादा समय तक बैठे रहने वाले लोग कम जीते हैं. यह ठीक वैसे ही है ,जैसे स्मोकिंग करने वाले स्मोकिंग नहीं करने वालों की तुलना में कम जी पाते हैं. रिसर्च के मुताबिक घंटो कुर्सी से चिपके रहने वाले लोगों में तरह-तरह की बीमारियों से मौत होने का खतरा 27 प्रतिशत और टीवी के सामने घंटो बैठे रहने वाले लोगों में बीमारियों से मौत का खतरा 19 प्रतिशत होता है. इस रिसर्च से ये बात वैज्ञानिक रूप से साबित हो गयी है, कि सेडेंटरी लाइफस्टाइल स्मोकिंग से कहीं ज़्यादा खतरनाक है.
4. जिस तरह से इंसान को सिगरेट पीने की लत लग जाती है उसी तरह घंटो बैठे रहना भी हमारी आदत बन जाता है.
अगर हमारे लिए काम के बीच में ब्रेक लेकर थोड़ा टहल लेना संभव हो, तो भी बैठे रहने की आदत हो जाने के कारण हमारी हिलने-डुलने की इच्छा ही नहीं होती. हमारे लिए ये बेहद ज़रूरी है कि अगर संभव है तो हम एक-दो घंटे में एक छोटा ब्रेक ले लें और थोड़ी चहलकदमी कर लें. दिन के लंच ब्रेक के समय थोड़ा टहल लेना भी जरूरी है.
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