अलसी बहुत पुराने जमाने से रसोई का एक अहम हिस्सा रही है, क्या हैं इस अलसी के फायदे-नुक़सान. तफ़सील से बता रहीं हैं ‘चारु देव’
अलसी
आदिकाल से अलसी, मानव आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है. इतिहास पर नजर डालें तो अलसी के बीजों का इस्तेमाल मिस्र के लोग इसके रेशे से ममी को कवर करने वाला कपड़ा और पेंटिंग के लिए कैनवस बनाने के लिए करते थे. उसके बाद अलसी रोम पहुंची जहां जहाज के मस्तूल बनाने के लिए इसका इस्तेमाल होने लगा. बहुत ज्यादा फाइबर से युक्त होने के कारण इसका दवाइयों में भी प्रयोग किया जाने लगा.
अलसी के औषधीय गुण:
अलसी के बीज जिन्हें ‘फ्लैक्स सीड’ या ‘लिनेसीड्स’ के नाम से भी जाना जाता है दुनिया भर में अपने चिकित्सकीय गुणों के कारण प्रसिद्ध हैं. आज अलसी के पोषक तत्वों को पूरे विश्व ने स्वीकार कर लिया है. इसमें विभिन्न विटामिन्स जैसे फोलेट और विटामिन B6, थायमिन के अलावा मिनरल्स जैसे फास्फोरस, कैल्शियम, पोटेशियम , कॉपर, मैंगनीज आदि पाए जाते हैं. इन बीजों में कोलेस्ट्रॉल और सोडियम आदि तत्व होते हैं जो हमें दिल की बीमारियों से सुरक्षित रखते हैं. इसमें ओमेगा-3-फैटी एसिड्स अच्छी मात्रा में होता है. इसलिए वो लोग जो फिश ऑयल या मछली नहीं खाना चाहते तो उनके लिए अलसी एक उत्तम न्यूट्रीटिएंट है. इन तत्वों के अलावा इन अलसी के बीजों और भी बहुत से गुण हैं जैसे :
इन बीजों में लीगनंस पाए जाते हैं जो मूल एस्ट्रोजेन के समान होते हैं और अपने एंटी ऑक्सीडेंट गुणों के कारण जाने जाते हैं.
इसमें अल्फा-लिनोलेनिक एसिड भी होते हैं जो खुद एंटी इंफल्मेटरी होते हैं इसलिए इन बीजों का उपयोग जोड़ों के दर्द और गठिया के दर्द में बहुत लाभदायक होता है.
अलसी में फाइबर काफी मात्रा में होता है इसलिए इसका उपयोग पेट संबंधी समस्याओं और वजन कम करने में भी सहायक होता है.
पाइटोस्टेरोल्स के गुणों के कारण यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम करने की क्षमता रखती है.
अलसी में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता है जो मांसपेशियों के बनाने में, शुगर को नियंत्रित करने में और फंगल इन्फेक्शन को भी दूर करने में अच्छा रहता है.
अलसी के फायदे:
अलसी के पौष्टिक गुण अनेक बीमारियों को ठीक करने में सहायक होते हैं. आइये देखें अलसी कैसे शरीर को निरोगी रखने का काम करती है:
वजन कम करे:
अलसी में प्रोटीन और फाइबर की मात्रा बहुत ज्यादा होती है जो वजन नियंत्रण में सबसे ज्यादा फायदा देते हैं. प्रोटीन एक ओर मसल्स को ताकत देता है वहीं फाइबर भूख को नियंत्रित रखता है इससे वजन कम करने में सहायता मिलती है.
मधुमेह पर नियंत्रण:
अलसी के बीजों में लीगनंस होते हैं और इसके गुण के कारण अलसी का नियमित सेवन शरीर में ग्लूकोज और इंसुलिन की मात्रा को नियंत्रित रखता है.
कैंसर से बचाव:
अलसी के बीजों में ओमेगा3, फैटी ऐसिड और लीगनंस तत्वों एंटी कैंसर एजेंट होते हैं जो न केवल कैंसर से बचाव करते हैं बल्कि प्रोस्टेट, ब्रेस्ट कैंसर, लंग कैंसर और कोलोन से भी रक्षा करते हैं.
हृदय का रखरखाव:
अलसी के नियमित सेवन से बैड कोलेस्ट्रॉल, आर्थ्रोस्क्लेरोसिस और ब्लड प्रेशर को कम किया जा सकता है यही सब कारण होते हैं जिनसे हृदय में रोगों की शुरुआत होती है. अलसी के सेवन से दिल की इन बीमारियों से बचा जा सकता है.
पाचन तंत्र की सुरक्षा:
पेट में होने वाली विभिन्न परेशानियाँ जैसे इनडाइजेशन, गैस बनाना, कब्ज रहना, पेट का ठीक से साफ न होना, एसिडिटी, दस्त होना आदि कुछ सामान्य परेशानियों को अलसी के नियमित सेवन से दूर किया जा सकता है.
महिला रोगों में लाभदायक:
प्री- मेनोपॉज़ और पोस्ट मेनोपॉज़ और हार्मोन्स को नियंत्रित करने में अलसी का तेल बहुत गुणकारी होता है. इसके अतिरिक्त लीगनंस ब्रेस्ट कैंसर से भी बचाव करता है.
पुरुष संबंधी रोगों का उपचार:
पुरुषों में बढ़ती उम्र के साथ प्रोस्टेट की समस्या एक आम समस्या है. अलसी के रोज खाने से प्रोस्टेट संबंधी अन्य परेशानियाँ जैसे सूजन, इन्फ़्लेमेशन और कैंसर आदि से भी बचाव होता है. इसके अलावा नपुंसकता, शुक्राणु निल होना या कम होना, लिंग में ब्लड फ्लो सही ना होने के कारण ED (मर्दाना कमजोरी) की समस्या को भी अलसी का सेवन, ख़त्म करने में काफ़ी मददगार साबित होता है.
दर्द और सूजन में आराम:
अलसी में शामिल ओमेगा 3 और अनेक फैटी ऐसिड होने के कारण शरीर में प्रोस्टग्लंडीन हार्मोन्स का निर्माण अच्छी तरह से होता है और यही हार्मोन्स शरीर के निर्माण के लिए बहुत जरूरी होते हैं. दरअसल ये हार्मोन्स एंटी इंफल्मेटरी होते हैं जो अस्थमा, माइग्रेन, गठिया, और जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने और नियंत्रित करने में भी सहायक होते हैं.
हड्डियों का स्वास्थ्य:
अलसी में अल्फा लाइनोएनिक ऐसिड हड्डियों की सभी बीमारियों को दूर रखने में मदद करते हैं. इन्हीं तत्वों के कारण उम्र बढ्ने पर हड्डियों की परेशानियों में कमी आती है और इनकी सेहत में सुधार आता है.
सौंदर्य उपचार:
अलसी के बीज, बीजों का पाउडर और बीजों का तेल सभी त्वचा और बालों के रखरखाव के लिए उत्तम सोर्स हैं.
अलसी और त्वचा:
इनके निरंतर प्रयोग से स्किन टोन में सुधार आता है और चमक बनी रहती है. स्किन को साफ रखने से ब्लैक हैड, व्हाइट हैड, मुँहासे और दानों की समस्या खड़ी नहीं होती है. अलसी का तेल इस्तेमाल करने से यह ड्राई स्किन, सनबर्न की परेशानी को हल करके त्वचा को मुलायम और नम रखता है. इसके नियमित प्रयोग से खुजली और एग्ज़िमा भी नहीं होते हैं. स्किन एलर्जी और स्किन कैंसर से बचाव में भी अलसी मदद करती है.
अलसी और बालों का सौंदर्य:
अलसी के नियमित प्रयोग से बालों की सेहत बनी रहती है और रूखे और बेजान बाल, दोमुंहे बाल और बालों के झड़ने और असमय सफ़ेद होने की समस्या का हल फौरन हो जाता है. अलसी का तेल सिर में खुजली, बालों के टूटने और कमजोर बालों की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है.
अलसी के प्रयोग में सावधानियाँ:
अलसी के प्रयोग करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे:
जरूरत से ज्यादा अलसी पेट संबंधी परेशानियों को खड़ा कर सकती है.
अगर शरीर में आयरन की कमी हो तो अलसी नहीं खानी चाहिए.
जो लोग ब्लड थिनर्स ले रहे हों, उन्हें अलसी से परहेज करना चाहिए.
अलसी का पाउडर रोज तैयार होना चाहिए.
प्रेगनैन्सी और ब्रेस्ट फीडिंग के समय अलसी नहीं लेना चाहिए।
शरीर में एलर्जी, बाइपोलर डिसऑर्डर और रक्त संबंधी परेशानी हो तो अलसी न खाएं
डायबिटीज़, थाइराइड, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर की दवाई के साथ अलसी का सेवन वर्जित है.
अलसी का प्रयोग कैसे करें:
अलसी के बीजों को कभी सीधा न खाएं बल्कि पाउडर या जूस के रूप में ही इनका सेवन करें.
पेट की परेशानियों से बचने के लिए अलसी के खाने के साथ बहुत सारा पानी पी लें.
अलसी ऑयल का हमेशा कैप्सूल के रूप में ही सेवन करें.
अति हर चीज की बुरी होती है और अलसी भी इसका अपवाद नहीं है, इसलिए अलसी का उचित मात्रा में ही सेवन करें और इसके अनगिनत गुणों का लाभ उठाएं.
प्रातिक्रिया दे