आलू की कचौरी को देखते ही दिल गार्डन-गार्डन हो जाता है। लेकिन कई बार जब हम घर पर कचौरी बनाते हैं तब वह बाजार जैसी फूली और करारी नहीं बन बाती है। तो इस समस्या का समाधान आज हमे बताएँगी भारत की सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली शेफ निशा मधुलिका। कुछ ऐसे खास टिप्स जिसको फॉलो करने के बाद आपकी कचौरी हर बार फूली हुई और एकदम करारी बनेगी।
सामग्री
- डो (वो गूँथा गया आटा जिससे कचौरी बनानी हैं)के लिए
- मैदा दो कप
- नमक आधा चम्मच
- अजवायन आधा चम्मच
- तेल एक चौथाई चम्मच
स्टफिंग या भरावन के लिए
- आलू तीन मीडियम साइज के
- तेल एक चम्मच
- अदरक एक चम्मच कद्दूकस की हुई
- पिसा धनिया आधा चम्मच
- जीरा आधा चम्मच
- नमक स्वाद अनुसार
- चाट मसाला आधा चम्मच
- अमचूर आधा चम्मच
- हल्दी चौथाई चम्मच
- गरम मसाला आधा चम्मच
- हरा धनिया बारीक कटा दो चम्मच
- हरी मिर्च बारीक कटी
- लाल मिर्च
डो (गूँथा हुआ आटा) बनाने की विधि
डो बनाने के लिए दो कप मैदा लेकर इसमें चार बड़े चम्मच तेल मिला लेते हैं। आधा चम्मच नमक और आधा चम्मच अजवायन मिलाकर आटे को अच्छी तरह मिला लेते हैं। हाथ में आटा लेकर चैक करते हैं यदि आटा मुट्ठी में बँधने लगे तब मोयन बिल्कुल सही मात्रा में है।अब इसमें पानी मिलाकर आटे को अच्छे से गूँथ लेते हैं। ध्यान रहे आटा सॉफ्ट रखें। कचौरियों का आटा चपाती के आटे से मुलायम होता है। अब आटे को बीस मिनट के लिए ढककर रख देते हैं।
भरावन/स्टफिंग
तीन मीडियम साइज के आलू लेकर उबाल कर इन्हें छीलकर मैश (कद्दूकस कर सकते हैं) कर लेते हैं।
पैन में एक चम्मच तेल लेकर इसमें आधा चम्मच जीरा, दो बारीक कटी हरी मिर्च, कद्दूकस की हुई अदरक, आधा चम्मच पिसा धनिया और चौथाई चम्मच पिसी हल्दी डालकर एक मिनट के लिए भूनते हैं। आँच हल्की रखनी है। अब इसमें मैश किये आलू मिलाकर अच्छी तरह भूनते हैं। इसमें आधा चम्मच अमचूर या गरम मसाला डालते हैं। नमक स्वाद के अनुसार डालना है। आधा चम्मच गरम मसाला डालते हैं। थोड़ी लाल मिर्च डाल लेते हैं। अगर आप तीखा खाते हैं तब लाल मिर्च थोड़ी ज्यादा डाल लीजिए। कम तीखा खाते हैं तब लाल मिर्च नहीं डालनी है।अब इसमें कटा हुआ हरा धनिया मिला कर आलू को अच्छी तरह भून लीजिए। आलू भूनने से आलू की नमी समाप्त हो जाती है जिससे कचौरी भरने में आसानी होती है। स्टफिंग या भरावन बिना भूने भी इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन भूनने पर स्वाद और खुशबू दोनों ही बढ़ जाते हैं। अब स्टफिंग तैयार है।
अब तक हमारा डो भी तैयार हो गया है। हाथ पर थोड़ा तेल लेकर आटे को मलते हैं। इसे ज्यादा नहीं बस दो मिनट तक मलना है। आटे को दो भागों में बाँटकर हाथों से रोल बनाकर मीडियम साइज की लोई तोड़ लेते हैं। पहले इसे गोल करते हैं फिर गोल लोई को हथेली पर रखकर उँगलियों और हथेली की सहायता से प्याली जैसे बना लेते हैं।ध्यान रहे किनारे पतले हों और बीच में लोई मोटी रहे। अब इस प्याली जैसी लोई में एक चम्मच आलू की स्टफिंग भर लोई को बंद कर दबाते हैं। दबाने वाले हिस्से से थोड़ा आटा तोड़ इसे वापस दबाकर बंद कर देते हैं।
इससे स्टफिंग निकलती नहीं है। अब एक-एक कर सारी कचौरी भर कर तैयार कर लेते हैं। पैन में तेल लेकर गरम करते हैं। ध्यान रहे तेल ज्यादा गरम न हो। जब हल्के हल्के बुलबुले निकलने लगें तभी कचौरी हाथ से बढ़कर अर्थात हथेली की सहायता से बेल कर कढ़ाई में डाल कर तल लेते हैं। पाँच मिनट तक कचौरी ऐसे ही पड़ी रहने देते हैं। पाँच मिनट मे यह फूल कर ऊपर आ जाती है।फिर इसे अलट पलट कर गोल्डन ब्राउन होने तक सेंक लेते हैं। कचौरी पूरी तरह सिकने में बारह से चौदह मिनट का समय लगता है।
पाँच टिप्स जिन्हें ध्यान रख कचौरी फूली व करारी बनेगी
- मैदा में मैदा की तोल का एक चौथाई मोहन(तेल) डालना चाहिए। जैसे अगर मैदा २५० ग्राम हो तो तेल ६० ग्राम लेना है।
- डो सॉफ्ट ही रखना है।
- स्टफिंग को अच्छी तरह भूनना है।
- स्टफिंग भरने के बाद लोई को अच्छी तरह दबा कर बंद करने के बाद लोई खींच कर बंद करना है।
- तेल कम गर्म रखना है। ध्यान रहे तलने के लिए तेल कभी बहुत गर्म न हो।
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