भारत में प्राचीन समय से ही त्यौहारों के विशेष अवसरों पर मीठे को शुभ प्रतीक के रूप में माना जाता है, क्योंकि मीठे की मिठास हमारे जीवन में उमंग व उत्साह का रस भर देती है। मकर सक्रांति हमारे देश एक मुख्य त्यौहार है, जो कि सर्दियों मौसम में आता है। इस त्यौहार का मुख्य आकर्षण है, इसमें बनने वाले तिल के लड्डू, जो खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी काफी पौष्टिक होते है व इस महत्वपूर्ण त्यौहार की पहचान माने जाते है। इसके अतिरिक्त तिल से बने व्यंजनों व मिष्ठानों का प्रयोग पूजा, अनुष्ठान एवं अन्य मांगलिक कार्यों जैसे – शादी ब्याह के अवसर पर भी शुभ माना गया है। मुख्यत: तिल तीन प्रकार के होते है – काला, सफ़ेद एवं लाल । इसमें से काले तिल के लड्डुओं को स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। तिल के यह लड्डू हमें किस प्रकार से फायदा पहॅुचाते है, यह हम आपको यहॉ बता रहें हैं।
तिल के लड्डू के अनेक फायदे
प्राचीन समय से ही तिल को एक अत्यधिक गुणकारी औषधि माना गया है। इसकी तासीर गर्म होती है। अतः इसके सेवन से कफ, सर्दी, लीवर सम्बन्धी बीमारियाँ, बालों की जड़े कमजोर होना एवं पेशाब सम्बन्धी कई बिमारियों से राहत मिलती है। इसमें मुख्य रूप से दो प्रकार के एमिनो अम्ल पाए जाते है, मीथोनाइन एवं ट्रायप्टोफन, जो की दिमाग को तनावमुक्त रखकर नींद लाने में लाभदायक है।
तिल के बने लड्डुओं को छोटे बच्चों को रात में सोने से पहले खिलाने से उनकी रात में पेशाब करने की समस्या नहीं रहती। इसके अतिरिक्त तिल के लड्डू बवासीर एवं सूखी खाँसी जैसी बीमारियों के लिए भी लाभदायक है। तिल का सेवन किसी घाव या जख्म को भरने में भी सहायक होता है।
तिल या तिल से बने लड्डू का सेवन और भी कई बीमारियों जैसे- डायबिटीज, पेट दर्द, कब्ज, दांतो एवं मसूड़ों सम्बन्धी रोग व गले में दर्द या सूजन आदि में भी लाभदायक सिद्ध होता है। इनके सेवन से बालों एवं सिर सम्बन्धी बीमारियाँ जैसे बालों का झड़ना, चिड़चिड़ापन, वृद्धि का रुकना एवं सिर दर्द आदि समस्याएँ भी दूर होती है।
तिल में प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट, कैल्शियम व फाइबर भरपूर मात्रा में उपलब्ध होना इसे और अधिक गुणकारी बना देता है। इसका सेवन शरीर को ऊर्जा एवं स्फूर्ति देता है। यह त्वचा सम्बन्धी रोगों का निदान कर एक दमकती हुई एवं साफ़ त्वचा प्रदान करता है। इससे जोड़ों व मॉशपेशियों के दर्द में भी राहत मिलती है।
काले तिल से बने हुए लड्डू शरीर में खून की कमी को पूरा करने में सहायक होते है। इसके अलावा इन्हें महावारी के समय नियमित खाने से उस समय की सभी तरह की परेशानियों से राहत मिलती है। तिल के लड्डुओं को सर्दियों में खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है, साथ ही साथ यह पथरी व कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों को होने से भी रोकता है।
इसके सेवन से शिशुओं की हडि्डयाँ मजबूत होती है एवं इसमें मौजूद कैल्शियम शिशु को बढ़ने में मदद करता है। तिल के लड्डुओं में पाया जाने वाला फोलिक एसिड गर्भवती महिलाओं के लिए अत्यधिक लाभदायक है। यह भ्रूण के विकास एवं उसे स्वस्थ रखने में सहायक होता है। इसका सेवन बुद्धि के विकास में मदद करता है एवं मानसिक पीड़ा से मुक्ति दिलाता है।
अतः तिल से बने लड्डु खाने के अनेक फायदे है। परन्तु यह ध्यान रहें की यह अत्यधिक गर्म तासीर वाला खाद्य पदार्थ है, जिस कारण इसका अधिक सेवन करने से शरीर में गर्मी एवं पेट सम्बन्धी बीमारियाँ उत्पन्न हो सकती है। इसलिए इसका एक उचित मात्रा में उपयोग ही शरीर के लिए लाभदायक है।
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