ठंड का मौसम आने पर हम सभी गर्म कपड़े पहनने लगते हैं। इसके साथ ही ठंड से बचने के लिए आग जलाने समेत अन्य कई उपाय करते हैं। हमारे मन में यह सवाल उत्पन्न होता है कि कड़कड़ाती ठंड में भी जानवर कैसे बिना कपड़ों के रह लेते हैं?
शरीर को जमा देने वाली ठंड में हमारे लिए घर से बाहर निकलना तक मुश्किल हो जाता है। इस स्थिति में उन जानवरों का क्या होता होगा जो बाहर खुले में रहते हैं?

कुदरत ने सभी जीवों के लिए अलग-अलग मौसम के हिसाब से अलग-अलग शारीरिक व्यवस्थाएं की हैं, जिससे हर जीव कठिन परिस्थितियों में भी जिंदा रह सके। आइये जानते हैं कि कुदरत ने जानवरों को कौन-कौन सी खूबियां दी हैं जो उन्हें ठंड से बचाती हैं।
जानवरों के शरीर की खाल
जानवरों को ठंड से बचाने में सबसे बड़ी भूमिका उनके शरीर के खाल और बड़े-बड़े बालों की होती है। शरीर के बाल उनके शरीर की गर्मी को बाहर नहीं निकलने देते जिससे वे ठंड में भी आसानी से रह लेते हैं।
सीतनिद्रा
अगर हम बात करें ठंडे प्रदेशों के जानवरों की, तो उनमें से कई ऐसे होते हैं जो ठंड के समय में गुफाओं में या अन्य जगह, जहां भी वे रहते हैं, जैसे बिल, मांद आदि में सोते रहते हैं और पूरी सर्दी वहीं काटते हैं। ठण्ड में वो बहुत कम बाहर निकलते हैं।
मादा ध्रुवीय भालू (female polar bear) शीतनिद्रा का दोहरा उपयोग करती हैं – इस समय का उपयोग वो प्रजनन के लिए भी कर लेती है।
शरीर के बाल
अनेक जीव जो इस श्रेणी के नहीं होते हैं, उनके शरीर पर आपको और भी बड़े-बड़े बाल देखने को मिलेंगे।
झुंड का उपयोग
इसके अलावा झुंड में रहने वाले जानवर ठंड से बचने के लिए एक दूसरे से सट कर सोते हैं, जो उन्हें ठंड से बचाता है।
प्राकृतिक रूप से शरीर के तापमान को नियमित करने की क्षमता
कई जानवरों में तो अपने शरीर के तापमान को कम या ज्यादा करने की क्षमता भी पाई जाती है जिसका प्रयोग वे ठंड से बचने के लिए करते हैं।
हम कह सकते हैं कि यह कुदरत की ही मेहरबानी और सुव्यवस्था का परिणाम है जो जानवर भरी ठण्ड में भी आराम से जीवन व्यतीत कर लेते हैं।
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