पीरियड (माहवारी) एक सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया है। पीरियड्स को मेन्सट्रूएशन भी कहा जाता है।पीरियड्स की शुरुआत किशोरावस्था में हो जाती है और इसे मेनार्क कहते हैं। ४५ -५५ वर्ष की आयु में पीरियड्स बंद हो जाते हैं और इस प्रक्रिया को मीनोपॉज कहते हैं। हर महीने पीरियड्स के दौरान यूटेरस की अंदरूनी परत के साथ- साथ रक्त भी डिस्चार्ज होता है।
➡ यह शब्द हिंदी की बोलचाल की भाषा में काफी काम ही इस्तेमाल होता है, इसलिए अधिकतर लोग नहीं जानते कि मीनोपॉज को हिंदी में राजोनिवृति बोलते हैं।
माँ बनने का अहसास बहुत सुखद होता है। कहते हैं स्त्री का दूसरा जन्म तब होता है जब वो माँ बनती है। आप माँ बनने वाली है या नही इसमें पीरियड्स बहुत मुख्य भूमिका निभाते हैं। गर्भधारण तभी होता है जब एग स्पर्म द्वारा फ़र्टिलआईज हो कर यूटेरस में इम्प्लांट होता है। आमतौर पर पीरियड्स मिस होने पर ही गर्भधारण का पता चलता है परन्तु कई ऐसे लक्षण हैं जिनसे पीरियड्स बंद होने से पहले ही प्रेगनेंसी का पता चल जाता है। ज़्यादातर गर्भावस्था के लक्षण गर्भाधान के पहले हफ्ते के दौरान ही दिख जाते हैं।
१. थकान होना – थकान का महसूस होना बहुत सामान्य और गर्भ धारण का पूर्व लक्षण है। कुछ महिलाओं में थकान बहुत जल्दी ही हो जाती है। १२ हफ़्तों में थकान की समस्या लगभग कम हो जाती है और इसे ब्लूमिन्ग फेस कहते हैं।
२. वजायनल डिस्चार्ज– गर्भावस्था के दौरान सफ़ेद डिस्चार्ज होना सामान्य बात है। ये अर्ली प्रेगनेंसी का संकेत हो सकता है।
३. इमप्लांटटेशन ब्लीडिंग- ये भी गर्भावस्था के लक्षणों में से एक है। इमप्लांटटेशन ब्लीडिंग तब होती है जब स्पर्म एग से जुड़ जाता है यानि जब फ़र्टिलआईज़ेशन होता है। इस दौरान हलकी सी ब्लीडिंग होती है।
४. फ़ूड क्रेविंग्स– ज़्यादातर महिलाएं गर्भावस्था के दौरान फ़ूड क्रेविंग्स का अनुभव भी करती हैं। इस दौरान खानपान की कोई चीज़ खाने की तीव्र इच्छा होती है।
५. भूख न लगना– ये जैसी समस्या भी है और अर्ली प्रेगनेंसी की ओर इशारा करती है।
६. ब्रैस्ट टेंडरनेस– गर्भावस्था के शुरूआती दिनों के दौरान स्तनों में सूजन या दर्द की शिकायत हो सकती है। ये प्रोजेस्टेरोन औए एस्ट्रोजन होर्मोनेस का लेवल बढ़ने के कारण होता है।७. गर्भावस्था के दौरान मूड स्विंग्स भी बहुत होते हैं। अचानक मूड में बदलाव आते हैं। मूड स्विंग्स होर्मोनेस में परिवर्तन के कारण होते हैं।
८. सूंघने की क्षमता– गर्भावस्था के दौरान सूंघने की क्षमता भी बढ़ जाती है। ये भी अर्ली प्रेगनेंसी का संकेत हो सकता है।
९. वेजाइना के रंग में बदलाव आना – ये भी अर्ली प्रेगनेंसी का एक लक्षण है। वैसे वेजाइना का रंग हल्का पिंकिश होता है परन्तु प्रेगनेंसी के दौरान वेजाइना का रंग पर्पलिश-रेड हो जाता है। कभी–कभार वेजाइना की त्वचा में कालापन आ जाता है जो अर्ली प्रेगनेंसी का संकेत हो सकता है।
ऊपर बताये गये जितने भी लक्षण हैं वो अर्ली प्रेगनेंसी के दौरान महसूस किये जाते हैं परन्तु इससे पुष्टि नहीं होती। इससे किसी नतीजे पर न पहुंचे तो बेहतर है। चिकित्सिक की सलाह और परामर्श ज़रूर ले क्योंकि यह किसी बीमारी के लक्षण भी हो सकते हैं।
इसलिए आपको ऐसे कोई लक्षण दिखें और मन में शंका है, तो बेहतर यही है कि आप प्रेगनेंसी टेस्ट करवा लें।
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