द्रौपदी को नारियों में श्रेष्ठ समझा जाता है। परन्तु यह श्रेष्ठ नारी अर्जुन से नहीं, बल्कि कुंती के ज्येष्ठ पुत्र कर्ण से विवाह करना चाहती थी – कितनी हकीकत है इस बात में?
द्रौपदी ने हमारे रूढ़िवादी समाज के लिए एक मिसाल कायम की है। जिस समय हमारा समाज केवल पुरुषों को ही एकाधिक पत्नियाँ रखने का अधिकार देता था, उस समय में भी द्रौपदी ने पाँच पुरुषों से विवाह कर नर और नारियों में समानाधिकार की स्थापना करने का एक उदाहरण दिया था।
जहाँ बात द्रौपदी के विवाह पर आती है, तो सदैव इस बात पर कई प्रश्न उठे हैं और लोगों के मध्य यह हमेशा एक चर्चा का विषय रहा है – कि वास्तव में द्रौपदी प्रेम किस से करती थी? बहुत लोगों के मन में ऐसा ख़्याल है, कि द्रौपदी अंगराज कर्ण से प्रेम करती थीं.
वहीँ, महाभारत के कई विशेषज्ञों ने ने इस मत का पूरी तरह से खंडन करते हुए इसे अस्वीकारा है। आइये, इस लेख के ज़रिये हम इस बात का विश्लेषण करेंगे, कि क्या वाकई में द्रौपदी कर्ण से विवाह करना चाहती थी?
महाभारत की पूरी कहानी और उसके पात्रों के विषय में जानकारी हमे केवल महाभारत के ग्रंथ से ही मिलती है।
हालांकि द्रौपदी के जीवन के विषय में हमें इससे काफी जानकारी अवश्य मिल जाती है, परंतु, उनके प्रेम का वर्णन कहीं पर भी ठोस तरीक़े से नहीं मिल पाता है। अतः किसी उल्लेख की अनुपस्थिति में इस बात पर अपना ठोस निर्णय देना काफी कठिन है, कि वाकई में उन्हें अपने पतियों के अलावा इससे पूर्व किसी और से प्रेम था भी या नहीं।
कई लोगों में ऐसी मान्यता है, कि जब द्रौपदी के स्वयंवर के लिए राजा द्रुपद ने महान योद्धाओं के चित्र भिजवाए थे, तो उनमें कर्ण का चित्र भी था। द्रौपदी ने तो कर्ण का चित्र देखकर ही उन्हें अपने मन में बसा लिया था।
स्वयंवर में भी वो सभी प्रतियोगियों में से केवल कर्ण को ही ढूंढ़ रही थीं। परंतु, नियति तो शायद कुछ और ही होना मंजूर था। पिता के प्रतिशोध लेने की प्रतिज्ञा के बारे में उन्हें बहुत पहले ही पता था।
वो ये भी जान चुकी थी, कि कर्ण एक सूतपुत्र हैं और अगर उनका विवाह कर्ण से होता है, तो वह अपने पिता की प्रतिज्ञा को पूरा करने में सहायता नहीं कर पाएगी। इस दुविधा में पड़कर द्रौपदी ने कर्ण से विवाह का मंतव्य ही त्याग दिया।
एक और मत के अनुसार द्रौपदी को कर्ण से कोई प्रेम ही नहीं था। द्यूत सभा में कर्ण ही वही थे, जिन्होंने दुर्योधन को द्रौपदी को भरी सभा में घसीट कर लाकर उसे असम्मानित करने की मंत्रणा दी थी।
इतना ही नहीं, कर्ण ने तो द्रौपदी को पांच पुरुषों से विवाह करने के कारण उन्हें वेश्या कह कर ताने भी कसे थे। अतः इस घटना के पश्चात द्रौपदी के मन में कर्ण के लिए असीम घृणा का होना स्वाभाविक है।
लेकिन यह नफरत विवाह उपरांत की बात है. स्वयंवर पूर्व, शायद द्रौपदी का प्रथम प्रेम कर्ण ही थे.
प्रातिक्रिया दे