श्रीकृष्ण की रास-लीला के बारे में तो शायद सभी ने सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते है, कि एक ऐसा स्थान है, जहाँ कहा जाता है, कि आज भी श्रीकृष्ण हर रात गोपियों के संग रास-लीला रचाते हैं।
माना जाता है, कि मथुरा के निकट वृंदावन के निधिवन मंदिर में हर रात्रि श्रीकृष्ण राधा व अन्य गोपियों के साथ रास-लीला करते हैं। तो, चलिये जानते हैं, इस रहस्य के बारे मेंविस्तार से ।
स्थानीय महात्माओं व लोगों के अनुसार यहाँ के निधिवन मंदिर में हर रात ‘ठाकुरजी’ (स्थानीय लोग श्रीकृष्ण को कहते है) आते हैं और राधाजी व अन्य गोपियों संग आध्यात्मिक गतिविधियां या रास-लीला करते हैं। यह सिर्फ एक नृत्य नहीं है, किंतु दिव्य अभिव्यक्ति होती है।
इस मंदिर के अंदर बहुत ही सुंदर, मनोहारी व आकर्षक आभूषणों से अलंकृत भगवान श्रीकृष्ण व राधाजी की मूर्ती स्थापित है। यहाँ एक पवित्र कुंज भी है, जहाँ श्रीकृष्ण व राधा रास-लीला नृत्य के बाद विश्राम करते हैं।
मंदिर परिसर के भीतर व आसपास कई ऐसे प्रमाण मिलते हैं, जो इस आध्यात्मिक रहस्य को समर्थन प्रदान करते हैं। इसी कारणवश इस मंदिर का बहुत महत्व है। इस वन में कई वृक्ष एक-दूसरे से जुड़े हुए है, कहा जाता हर वृक्ष राधे-कृष्ण को दर्शाते हैं।
यहाँ पर अधिक संख्या में बंदर व पक्षी रहते हैं। रात होते ही सभी वृक्ष गोपियों का रूप धारण कर लेते हैं और सभी बंदर, पक्षी व अन्य जीव-जंतु अदृश्य हो जाते हैं।
कभी किसी मनुष्य द्वारा इस कृष्ण रास-लीला को नहीं देखा गया है। दिन के समय यह स्थान भक्तों व श्रद्धालुओं से भरा रहता है, लेकिन शाम 5 बजे के बाद मंदिर बंद कर दिया जाता है और रात आठ बजे की आरती के बाद पुजारी भी अंदर प्रवेश नहीं करते।
हर शाम निधिवन के रंग महल में पुजारी द्वारा राधा-कृष्ण के विश्राम के लिए चंदन के पलंग को सजाया जाता है और पास में ही दो दतून, एक लोटा पवित्र जल, श्रृंगार की सामग्री और पान रख दिया जाता है।
अगले दिन सुबह जब देखा जाता है, तो बिस्तर अस्त-व्यस्त, दातुन उपयोग की हुई व जलपात्र खाली मिलता है। श्रीकृष्ण यहाँ आकर बॉसुरी बजाते हैं, जिसकी मधुर व दिव्य ध्वनि कई व्यक्तियों के द्वारा सुनी गई है।
माना जाता है, कि जिसने भी इस रास-लीला के रहस्य को जानने का प्रयास किया, उनमें से कुछ की मृत्यु हो गई, कुछ अपना मानसिक संतुलन खो बैठे और कुछ इस स्थिति में नहीं रहे, कि वो बता पाते कि उन्होंने इस वन में क्या देखा।
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